ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशस्वस्थ हवा में सांस लेने के लिए दिल्ली 76, तो गाजियाबाद 77 फीसदी घटाए प्रदूषण

स्वस्थ हवा में सांस लेने के लिए दिल्ली 76, तो गाजियाबाद 77 फीसदी घटाए प्रदूषण

स्वस्थ हवा में सांस लेने के लिए दिल्ली को 76 फीसदी तो गाजियाबाद को 77 फीसदी तक प्रदूषण कम करने की जरूरत है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र ने दिल्ली समेत...

स्वस्थ हवा में सांस लेने के लिए दिल्ली 76, तो गाजियाबाद 77 फीसदी घटाए प्रदूषण
संजय कुशवाहा,नई दिल्लीTue, 18 Jun 2019 06:04 AM
ऐप पर पढ़ें

स्वस्थ हवा में सांस लेने के लिए दिल्ली को 76 फीसदी तो गाजियाबाद को 77 फीसदी तक प्रदूषण कम करने की जरूरत है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र ने दिल्ली समेत देश के कई शहरों में तीन साल के औसत प्रदूषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित हिस्से में शामिल किया जाता है। यहां पर खासतौर पर सर्दी के तीन महीने लोगों के लिए सांस लेना भी दूभर रहता है। लेकिन, देश के अन्य शहरों में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है।

विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट 'एट द क्रासरोड' में देश के 43 शहरों में प्रदूषण की स्थिति पर चिंता जताई है। इन शहरों की हवा में प्रदूषक कण पीएम-10 की मात्रा सामान्य से तीन से चार गुना तक ज्यादा पाई गई है। हवा में पीएम-10 का सालाना औसत 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन, इन शहरों में आमतौर पर हवा में पीएम-10 का सालाना औसत 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा रहा है। इसी आधार पर संस्था ने अलग-अलग शहरों के लिए प्रदूषक कम करने का लक्ष्य (पोल्यूशन रिडक्शन टार्गेट) निर्धारित किया है। इस आधार पर साफ-सुथरी हवा के लिए दिल्ली को 76 फीसदी तो गाजियाबाद को 77 फीसदी तक प्रदूषण घटाने की जरूरत है। 

विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र के वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ विवेक चट्टोपाध्याय ने कहा, "दिल्ली-एनसीआर समेत तमाम शहरों को प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन पर जोर देने से लेकर निर्माण कार्यों में दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने जैसे कदम उठाने की जरूरत है। ऐसा नहीं होने के चलते द्वितीय स्तर के शहरों में भी प्रदूषण के स्तर में तेजी से इजाफा हो रहा है।"

कैसे निकाला निष्कर्ष 
संस्था ने इन शहरों में वर्ष 2015, 2016 और 2017 में औसत सालाना पीएम-10 स्तर का विश्लेषण किया है। इसी के आधार पर इन सभी जगहों पर प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पीएम-10 की मात्रा हवा में 60 के स्तर से नीचे रहनी चाहिए। लेकिन, उदाहरण के तौर पर गाजियाबाद में तीन साल के औसत में यह 255 के स्तर पर रही है। इसलिए गाजियाबाद को सबसे ज्यादा 77 फीसदी तक प्रदूषण कम करने की सलाह दी गई है। 

पीएम-10 कण सेहत के लिए खतरनाक 
प्रदूषक कण पीएम 10 सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकते हैं। हवा में मौजूद इनकी मात्रा सांस के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करती है और श्वांस व हृदय संबंधी तमाम रोगों को जनम देती है। इसके चलते गले में खराश, आंख और नाक में जलन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। 

इन समस्याओं से नहीं मिल पा रही निजात 
1. निर्माण कार्यों पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं। धूल, रेत-सीमेंट उड़ती है 
2. समय पूरा कर चुके वाहनों को सड़क से बाहर करने पर नहीं हो रहा समुचित काम
3. सार्वजनिक परिवहन में अभी भी डीजल वाहनों का हो रहा इस्तेमाल, डीजल जेनसेट का भी इस्तेमाल
4. ईंट भट्ठों से भारी प्रदूषण, जिग जैग तकनीक पर अभी भी पूरी तरह से अमल नहीं
5. जगह-जगह पर कचरा और प्लास्टिक जलाने की प्रवृत्ति पर नहीं लग रही है रोक
6. सार्वजनिक परिवहन को नहीं मिल पा रहा है अपेक्षित बढ़ावा, निजी वाहनों पर जोर
7. उद्यमों में स्वच्छ ईंधन की बजाय ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन का हो रहा प्रयोग

कहां कितना कम होना चाहिए प्रदूषण 
गाजियाबाद----77 फीसदी
दिल्ली----76 फीसदी
बनारस----72 फीसदी
कानपुर---72 फीसदी
धनबाद---72 फीसदी
लखनऊ----71 फीसदी
इलाहाबाद----69 फीसदी
आगरा---68 फीसदी
रांची----68 फीसदी
पटना---67 फीसदी
मेरठ---61 फीसदी
फरीदाबाद----43 फीसदी

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें