ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशउधारी की ताकत नहीं, दिखेगा देसी हथियारों का दम; 19,600 करोड़ की डील से और बुलंद होगी नौसेना

उधारी की ताकत नहीं, दिखेगा देसी हथियारों का दम; 19,600 करोड़ की डील से और बुलंद होगी नौसेना

आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय ने लगभग 19,600 करोड़ रुपये की कुल लागत से 11 अलगी पीढ़ी के गश्ती जहाजों और छह अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाजों का करार किया है।

उधारी की ताकत नहीं, दिखेगा देसी हथियारों का दम; 19,600 करोड़ की डील से और बुलंद होगी नौसेना
Himanshu Tiwariलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीThu, 30 Mar 2023 09:40 PM
ऐप पर पढ़ें

भारत डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर होने के दिशा में लगातार कदम बढ़ा रहा है। अब उधारी की ताकत नहीं बल्कि देसी हथियारों का दम दिखाई देने वाला है। आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय ने लगभग 19,600 करोड़ रुपये की कुल लागत से 11 अलगी पीढ़ी के गश्ती जहाजों और छह अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाजों का करार किया है। 11 अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों का करार गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) के साथ और 9,781 करोड़ रुपये की लागत का करार गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के साथ किया गया। 11 जहाजों में से सात को स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा।

इन जहाजों के करार से भारतीय नौसेना को अपनी मारक क्षमताओं को मेंटेन करने सहायता हासिल होगी। वहीं एंटी-पायरेसी, काउंटर-इनफिल्ट्रेशन, एंटी-पोचिंग, एंटी-ट्रैफिकिंग, नॉन-कॉम्बैटेंट इवैक्यूएशन ऑपरेशन, सर्च एंड रेस्क्यू में नए करार से मदद मिलेगी। इन जहाजों के निर्माण से साढ़े सात साल की अवधि में पूरा होगा, जिससे रोजगार भी बढ़ेगा।

1700 करोड़ में फायर कंट्रोल प्रणाली की खरीद
इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ नौसेना के लिए 1700 करोड़ रुपए की लागत से फायर कंट्रोल प्रणाली की खरीद का अनुबंध किया है। इस प्रणाली के अंतर्गत 13 फायर कंट्रोल सिस्टम खरीदे जाएंगे, जिनकी कुल लागत 1,700 करोड़ रुपये से अधिक है। इन्हें भारतीय - आईडीएमएम (स्वदेशी डिजाइन, विकसित और निर्मित) श्रेणी के तहत  खरीदा जायेगा। यह सिस्टिम एक नौसैनिक गोलाबारी नियंत्रण प्रणाली है, जिसे स्वदेशी आवश्यकता के अनुरूप निर्धारित रूपरेखा के अनुसार  विकसित किया गया है। यह समुद्री गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के साथ-साथ हवा और सतह के लक्ष्यों की सटीकता से जानकारी हासिल करने और फिर उनको भेदने में सक्षम है।

खरीदा जाने वाला कंट्रोल सिस्टम, चौथी पीढ़ी की और पूर्ण रूप से स्वदेशी प्रणाली है। इसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित नई पीढ़ी के गश्ती जहाजों पर तैनात किया जाएगा। इस अनुबंध के माध्यम से आगामी चार वर्षों की अवधि में दो लाख मानव-दिवस रोजगार का सृजन होगा। इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सहित विभिन्न भारतीय उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें