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तमिलनाडु की दलित कार्यकर्ता कौशल्या ने फिर से रचाया ब्याह

तमिलनाडु की चर्चित दलित अधिकार कार्यकर्ता कौशल्या ने फिर विवाह कर लिया है। वह अपने पहले पति शंकर के हत्यारों को न्याय के कठघरे तक पहुंचाने के लिए संघर्ष करने को लेकर सुर्खियों में आई थीं। दलित समुदाय...

तमिलनाडु की दलित कार्यकर्ता कौशल्या ने फिर से रचाया ब्याह
एम. मणिकंदन,चेन्नईMon, 10 Dec 2018 11:42 PM
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तमिलनाडु की चर्चित दलित अधिकार कार्यकर्ता कौशल्या ने फिर विवाह कर लिया है। वह अपने पहले पति शंकर के हत्यारों को न्याय के कठघरे तक पहुंचाने के लिए संघर्ष करने को लेकर सुर्खियों में आई थीं। दलित समुदाय से आने वाले शंकर की हत्या खुद कौशल्या के परिवारवालों ने भाड़े के हत्यारों से करा दी थी। जातिगत घृणा के कारण की गई इस हत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। 

पहले पति की कर दी गई थी हत्या : 
कौशल्या का परिवार प्रभावी थेवर समुदाय से आता है। वह अपनी बेटी के दलित समुदाय के युवक से विवाह करने से नाराज था। इसलिए उसने शंकर को मार डालने के लिए लोग बहाल किए। इसके बाद 13 मार्च, 2016 को तिरुपुर जिले के उडुमालीपेट के बाजार में शंकर की सरेराह हत्या कर दी गई। यह वारदात कैमरे में भी दर्ज हो गई थी। 

पैराईवादक शक्ति का हाथ थामा :
कौशल्या ने रविवार को पैराई (पारंपरिक ड्रम) वादक शक्ति के साथ थंथाई पेरियार द्रविड़र कषगम के मुख्यालय में विवाह रचाया। इस मौके पर थंथाई पेरियार द्रविड़र कषगम के महासचिव के. रामाकृष्णन, विदुथलाई चिरुथैगल कात्ची के उप महासचिव वन्नीयारासु और दलित कार्यकर्ता एविडेंस कथिर समेत अनेक लोग मौजूद थे। 

जातिभेद विरोधी संघर्ष का साथी :
विवाह के बाद 21 वर्षीय कौशल्या ने कहा, शक्ति ने मुझे बढ़चढ़ कर नैतिक समर्थन दिया है। उसने मेरे तमाम दुख समाप्त कर दिए और जाति-व्यवस्था को खत्म करने के मेरे सभी प्रयासों में मेरे साथ खड़ा रहा। इसलिए मैंने इसके साथ विवाह करने का फैसला किया।  
 
माता-पिता के खिलाफ गवाही दी :  
जातिगत भेदभाव के खिलाफ कौशल्या के संघर्ष को इससे समझा जा सकता है कि उन्होंने अपने पहले पति की हत्या के मामले में अपने पिता चिन्नासामी और मां अन्नाक्ष्मी के खिलाफ गवाही दी। दिसंबर 2017 में उनके पिता समेत छह लोगों को तिरुपुर जिला अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

पीड़ित से प्रेरक बनने की मिसाल :
एक पीड़ित से एक दलित अधिकार कार्यकर्ता बनने का कौशल्या का सफर आसान नहीं रहा। शंकर की हत्या उनके लिए बड़ा आघात था। इस हत्या में जातिगत भेदभाव और अपने माता-पिता की भूमिका ने भी उन्हें काफी तकलीफ पहुंचाई। उनके संघर्ष के प्रति मुख्यधारा की पार्टियां उदासीन बनी रहीं, क्योंकि कौशल्या का साथ देने से उन्हें शक्तिशाली थेवर समुदाय के वोटों के खोने का डर था। इन हालात में उन्होंने मई 2017 में कथित रूप से खुदकुशी करने की कोशिश भी की थी। लेकिन अंतत: उन्होंने अकेलेपन और निराशा को पछाड़कर दलितों के अधिकार के लिए संघर्ष की राह चुनी।

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