INDIA गठबंधन जरूरी, मगर AAP को नहीं दे सकते दिल्ली-पंजाब; कांग्रेस आलाकमान क्या करे?
यह तो साफ है कि सोनिया गांधी गठबंधन की ताकत जानती हैं। यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) था, जिसने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में अजेय माने जाने वाले NDA को सत्ता से बाहर कर दिया।

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को मात देने के मकसद से कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने INDIA गठबंधन बनाया है। इस गठबंधन में दलों के भीतर अलग-अलग राज्यों में सीटों का बंटवारा किस तरह से होगा, यह बड़ा सवाल है। कांग्रेस के लिए दिल्ली और पंजाब को लेकर यह मसला सिरदर्द बनता जा रहा है, जहां आम आदमी पार्टी उसके लिए चुनौती बन सकती है। सोनिया गांधी ने हैदराबाद में कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक के पहले दिन इंडिया ब्लॉक को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा कि 2024 में बीजेपी के खिलाफ जीत के लिए एकजुट होकर चुनाव लड़ना जरूरी है।
साफ है कि सोनिया गांधी गठबंधन की ताकत जानती हैं। यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) था, जिसने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में अजेय माने जाने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को सत्ता से बाहर कर दिया। मगर, समय अब बदल चुका है। तब कांग्रेस लीड करने की स्थिति में थी। वह फैसले ले सकती थी और दूसरे दलों की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को दबाने में भी सक्षम रही। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसे क्षेत्रीय दल कांग्रेस के तहत काम करके खुश नजर आते थे। उस दौरान यूपीए के भीतर बगावती सुर कम ही सुनाई देते थे।
कांग्रेस के लिए बदल गया है समय
अब जब समय बदल गया है और क्षेत्रीय दलों की महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ गई हैं, तो हालात कुछ जटिल नजर आते हैं। कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता AAP की बढ़ती ताकत है। दिल्ली बिल को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने आप का साथ दिया था। इसके बावजूद की इस समर्थन को लेकर विरोध की आवाजें उठी थीं। साथ ही जो लोग ऐसे किसी भी गठबंधन के खिलाफ थे, आखिरकार उन्होंने भी इस निर्णय को स्वीकार कर लिया। हालांकि, CWC की बैठक में इस स्वीकृति पर मतभेद की बात सामने आई है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग के लिए हैदराबाद को इसलिए चुना गया क्योंकि पार्टी को यकीन है कि वह भारत राष्ट्र समिति (BRS) को हरा सकती है। लेकिन, INDIA गठबंधन को लेकर प्रतिबद्धता के बावजूद CWC असहमति की आवाज को नियंत्रित नहीं कर सकी।
'AAP पर नहीं कर सकते भरोसा'
न्यूज 18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पंजाब और दिल्ली के कुछ नेताओं ने यह मुद्दा उठाया। इनका कहना था कि आप पर भरोसा नहीं किया जा सकता। AAP के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ पुरजोर वकालत करने वाले अजय माकन और पंजाब कांग्रेस विधानसभा के नेता प्रताप बाजवा ने सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, 'अगर आप पर भरोसा है, तो वह उन राज्यों में प्रचार क्यों करती है जहां भाजपा बनाम कांग्रेस की सीधी लड़ाई है? क्या इससे भाजपा को मदद नहीं मिल रही?' यह बात छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाल के कैंपेन्स को लेकर कही गई।
खरगे पर छोड़ा गया है अंतिम फैसला
सच्चाई तो यही है कि दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगहों पर कांग्रेस को AAP से नुकसान हुआ है, इसलिए राज्यों के नेता इसे लेकर काफी सावधानी बरत रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इन चिंताओं को ध्यान से सुना और उन्हें स्वीकार भी किया। हालांकि, उन्होंने पार्टी नेताओं का आश्वासन दिया कि आगे कोई भी फैसला स्टेट यूनिट से बातचीत के बाद ही लिया जाएगा। मालूम हो कि भोपाल में इंडिया गठबंधन की अगली बैठक होनी है। यहां सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जा सकता है। कांग्रेस दिल्ली और पंजाब जैसे क्षेत्रों में आप को कोई जगह नहीं देना चाहती। ऐसे में व्यक्तिगत हित के साथ गठबंधन बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी।