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कोरोना वैक्सीन कितने समय तक देगी सुरक्षा, समय ही बताएगा, जानिए टीके पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

चिकित्सा विशेषज्ञ दो टीकों के आपात इस्तेमाल की मंजूरी को कोरोना के विरुद्ध भारत की लड़ाई में बेहद अहम मान रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि टीके सुरक्षित और प्रभावी हैं। सिर्फ एक प्रश्न का उत्तर...

कोरोना वैक्सीन कितने समय तक देगी सुरक्षा, समय ही बताएगा, जानिए टीके पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
Madan Tiwariमदन जैड़ा,नई दिल्लीSun, 03 Jan 2021 09:03 PM
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चिकित्सा विशेषज्ञ दो टीकों के आपात इस्तेमाल की मंजूरी को कोरोना के विरुद्ध भारत की लड़ाई में बेहद अहम मान रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि टीके सुरक्षित और प्रभावी हैं। सिर्फ एक प्रश्न का उत्तर मिलना बाकी है कि एक बार टीका लगाने के बाद असर कब तक रहेगा? इसका जवाब समय बीतने के साथ ही मिल पाएगा। पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों की नजर कोरोना टीकों के कवच की अवधि पर लगी रहेगी।

दोनों टीके पूर्णत सुरक्षित : डॉ. मिश्रा
कोवैक्सीन के ट्रायल में वालंटियर के रूप में शामिल एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने कहा कि दोनों टीके पूर्णत सुरक्षित हैं। दुष्प्रभावों को लेकर लोगों को जरा भी चिंतित होने की जरूरत नहीं। परीक्षणों में यह भी सिद्ध हो चुका है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों टीकों में अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है। लेकिन, यह क्षमता छह महीने रहेगी या एक साल या दस साल या फिर हमेशा, यह आज हमें नहीं पता। इस प्रश्न का जवाब आने वाला समय देगा। यह सिर्फ दो कोविशील्ड या कोवैक्सीन टीके की बात नहीं है। मॉडर्ना और फाइजर के टीकों को लेकर भी यह प्रश्न अनुत्तरित है। टीकाकरण के बाद भी टीकों के असर पर वैज्ञानिकों की नजर रहेगी। जो टीके इस्तेमाल हो रहे हैं, वे कितने समय तक असरदार होते हैं, यह आने वाला समय ही बता सकता है। टीका कम समय में तैयार होने से उत्पन्न संशय पर डॉ. मिश्रा कहते हैं कि टीका बनाने में ज्यादातर समय उसके प्रभाव के आकलन में लगता है, जिसका आकलन इन टीकों में अभी होना है। बाकी संभावित दुष्प्रभावों की जांच कर ली गई है। वह न्यूनतम हैं।

निरंतर निगरानी एवं प्रभाव का आकलन करना होगा : डॉ. कटोच
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के पूर्व सचिव एवं आईसीएमआर के पूर्व प्रमुख डॉ. वीएम कटोच के अनुसार जिस प्रकार देश टीके तैयार करने में सफल हुए हैं, उसी प्रकार इनके उत्पादन एवं लोगों का टीकाकरण करने में भी सफल होंगे। टीका लगाने के दो-तीन महीने के भीतर इसका प्रभाव नजर आने लगेगा। जिन लोगों को टीके लगे हैं, उनका पूरा ब्योरा कोविन साफ्टवेयर पर है, इसलिए निरंतर निगरानी एवं प्रभाव का आकलन भी होगा। डॉ. कटोच का मानना है कि कोराना टीके महामारी की रोकथाम में गेमचेंजर साबित होंगे। जब वह खुद आईसीएमआर के प्रमुख थे तो एच1एन1 की महामारी हुई थी, लेकिन तब टेमिफ्लू प्रभावी दवा साबित हुई थी। हालांकि बाद में टीके भी बन गए थे, लेकिन कोरोना की दवा नहीं है, इसलिए सभी उम्मीदें टीके पर हैं।

आशंकाएं सही नहीं : प्रो. जुगल किशोर
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक प्रोफेसर जुगल किशोर के अनुसार टीके के दुष्प्रभावों को लेकर लोगों की आशंकाएं सही नहीं हैं। किसी भी दवा या टीके के छोटे-मोटे साइड इफेक्ट होते हैं, जिनका समाधान आसानी से किया जा सकता है। इस टीके में भी इस प्रकार से खतरे एक फीसदी से भी कम रहेंगे। जबकि 99 फीसदी लोगों को फायदा होगा।