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कोरोना सीधे दिमाग तहस-नहस करने में सक्षम; नई स्टडी में डराने वाला दावा

कोरोना वायरस सिर्फ हमें बीमार ही नहीं कर रहा बल्कि हमारे मस्तिष्क को भी तहस-नहस कर रहा है। एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि सार्स कोव-2 वायरस हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं को सीधे नुकसान पहुंचाता...

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हिन्दुस्तान ब्यूरो,नई दिल्लीTue, 26 Oct 2021 06:33 AM

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कोरोना वायरस सिर्फ हमें बीमार ही नहीं कर रहा बल्कि हमारे मस्तिष्क को भी तहस-नहस कर रहा है। एक नए शोध में यह दावा किया गया है कि सार्स कोव-2 वायरस हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं को सीधे नुकसान पहुंचाता है। यह शोध नेचर न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने पाया कि वैस्कुलर सेल से जुड़े ब्लड ब्रेन बैरियर को यह वायरस तबाह कर देता है। इसके कारण न्यूरो से जुड़ी समस्याएं कम या ज्यादा समय के लिए हो सकती हैं। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि कोरोना वायरस मस्तिष्क में सीधे पहुंच कर इन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है या किसी अन्य प्रकार से।

मस्तिष्क के ऊतकों की जांच की
यह नया अध्ययन एक विशेष प्रकार की मस्तिष्क कोशिका पर केंद्रित है। इसे सेरेब्रल वैस्कुलर एंडोथेलियल कोशिकाओं के रूप में पहचाना जाता है। ये कोशिकाएं ब्ल्ड ब्रेन बैरियर (मस्तिष्क की कोशिकाओं को रक्त संचार) का एक अनिवार्य घटक हैं। ये वो सुरक्षात्मक दीवार होती है जो मस्तिष्क से बाहरी जहरीले अणुओं को बाहर रखने में मदद करती हैं। शोधकर्ताओं ने इन एंडोथेलियल कोशिकाओं पर वायरस का प्रभाव जानने के लिए कोरोना से मरने वाले मरीजों के मस्तिष्क के ऊतकों की जांच की। इस शोध पर काम कर रहे न्यूरोसाइंटिस्ट जान वेन्जेल ने बताया कि जांच के दौरान हमने पाया कि कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों में यह कोशिकाएं काफी मात्रा में पाई गईं।

ब्रेन फाग और दौरे का खतरा
इससे पहले इसी साल येल यूनिवर्सिटी के अध्ययन में कहा गया था कि कोरोना के चलते ब्रेन फाग (स्मृति लोप से जुड़ी बीमारी) तथा मस्तिष्क की कोशिकाओं को रक्त संचार में बाधा से हल्के दौरों का खतरा हो सकता है। इसमें कहा गया था कि कोरोना के गंभीर संक्रमण से ठीक हुए 80 फीसदी लोगों में मस्तिष्क रोगों के लक्षण दिखे। इनमें प्रमुख रूप से स्मृति लोप और हल्के दौरों के लक्षण पाए गए हैं। जबकि कई मामलों में यह देखा गया है कि संक्रमण से मस्तिष्क की कोशिकाओं को रक्त का संचार सही रूप से नहीं हो रहा है। यह भी अंतत मृत्यु या दौरों का कारण बन सकता है।

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