प्लास्टिक में 72 और स्टील पर 48 घंटे मौजूद रहता है कोरोना वायरस, शोध में दावा
दुनियाभर में महामारी बन चुके कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। एक शोध में दावा किया गया है कि यह प्लास्टिक में 72 और स्टील की सतह पर 48 घंटे तक जीवित रह सकता है। यह...
दुनियाभर में महामारी बन चुके कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। एक शोध में दावा किया गया है कि यह प्लास्टिक में 72 और स्टील की सतह पर 48 घंटे तक जीवित रह सकता है। यह शोध इसके तेजी से फैलाव के कारणों को उजागर करता है। विश्व के तीन प्रमुख संस्थानों प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी के शोधकर्ताओं ने यह नतीजा निकाला है। यह शोध न्यू इग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में सार्स और कोरोना का तुलनात्मक अध्ययन किया। विभिन्न सतहों पर इनकी मौजूदगी का परीक्षण किया गया। दोनों में काफी समानताएं दिखी हैं। कोरोना के ये दोनों स्ट्रेन हवा में तीन घंटे, कॉपर की सतह पर 4 घंटे, स्टेनलेस स्टील पर 48 घंटे और प्लास्टिक में 72 घंटे तक जीवित रह सकते हैं। लेकिन लकड़ी पर दोनों के कायम रहने की अवधि अलग-अलग दर्ज की गई। कोरोना तकरीबन 24 घंटे तक कार्ड बोर्ड पर मौजूद मिला जबकि सार्स वायरस महज आठ घंटे तक ही कार्ड बोर्ड पर मौजूद मिला।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि यह शोध साबित करता है कि कैसे यह वायरस इतनी तेजी से फैल रहा है। सार्स भी इसी रफ्तार से फैला था। शोधकर्ताओं के अनुसार, यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति स्टील या प्लास्टिक की किसी वस्तु को छूता है तो अगले 48 से 72 घंटे के भीतर उसे यदि कोई दूसरा व्यक्ति छूता है और फिर अपना हाथ मुंह या नाक पर लगाता है तो उसे संक्रमण हो सकता है। यही बात लकड़ी की बनी वस्तुओं के मामले में भी लागू होती है।
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सीडीसी अटलांटा का कहना है कि कोरोना के फैलाव की सबसे बड़ी वजह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को सीधे फैलना है। लेकिन यह अध्ययन कहता है कि वस्तुओं के जरिए इसका संक्रमण दूसरी बड़ी वजह है। बता दें कि पूर्व में हुए एक शोध में दावा किया गया है कि करीब 28 फीसदी लोगों को अज्ञात कारणों से संक्रमण हुआ। वे न तो संक्रमित क्षेत्र में गये, न किसी संक्रमित रोगी के संपर्क में आये न ही वे रोगी के परिजन या स्वास्थ्य कार्यकर्ता थे। अब इसका कारण साफ है।