कोरोना वायरस: भारत बायोटेक लैब में एंटीबॉडी तैयार करेगी
कोरोना वायरस से निपटने के लिए हर मोर्चे पर तैयारी की जा रही है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने कोविड-19 के खिलाफ लैब में एंटीबॉडी तैयार करने का फैसला किया है। इसका जिम्मा टीका...
कोरोना वायरस से निपटने के लिए हर मोर्चे पर तैयारी की जा रही है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने कोविड-19 के खिलाफ लैब में एंटीबॉडी तैयार करने का फैसला किया है। इसका जिम्मा टीका बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक को दिया गया है। पुणे स्थित नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंसेज इसमें उसकी मदद करेगी।
भारत बायोटेक की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इस प्रोजेक्ट के तहत लैब में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार की जाएंगी, जो कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में बेहद कारगर साबित होंगी। इसके तहत स्वस्थ हो चुके कोरोना संक्रमितों से एंटीबॉडी ली जाएंगी। आमतौर पर एक सप्ताह के बाद स्वस्थ हो चुके व्यक्तित के रक्त में ये एंटीबॉडी बनती हैं।
जीन के क्लोन तैयार किए जाएंगे:बयान के मुताबिक, उत्तम गुणवत्ता की एंटीबॉडी लेकर प्रयोगशाला में उनके उनके जीन के क्लोन तैयार किए जाएंगे। ये एंटीबॉडी कोरोना से लड़ने की बेहतर दवा के रूप में कार्य करेंगी।
प्लाज्मा थेरेपी से एक कदम आगे की प्रक्रिया: मूलत: यह उपचार प्लाज्मा थैरेपी से दो कदम आगे की प्रक्रिया है। एक बार सफल होने पर लैब में बड़े पैमाने पर एंटीबॉडी तैयार की जा सकती हैं। जबकि प्लाज्मा थैरेपी में प्लाज्मा की ज्यादा मात्रा में उपलब्धता ही मुश्किल है। यदि कोई कोरोना से संक्रमित होता है, तो ये एंटीबॉडी इस संक्रमण को रोकने में कारगर साबित होती हैं। दुनिया में इस दिशा में कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इससे पूर्व करीब 60 वायरसों के खिलाफ इस प्रक्रिया को इस्तेमाल किया जा चुका है।
देश में फेवीपिरावीर दवा का होगा क्लीनिकल ट्रायल
फेवीपिरावीर दवा का क्लीनिकल ट्रायल होगा। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक शेखर मांडे ने बताया, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने फेवीपिरावीर दवा के ट्रायल को मंजूरी दे दी है।