कोरोना महामारी का स्कूली छात्राओं पर दिखेगा भयावह असर, स्टडी में दावा
चीन से दुनिया के अन्य देशों में फैल चुका कोरोना वायरस लगातार कहर बरपा रहा है। महामारी को अब तक एक साल पूरे हो चुके हैं और लाखों लोगों की जान जा चुकी है। भारत समेत विभिन्न देश लगातार कोरोना की वैक्सीन...

चीन से दुनिया के अन्य देशों में फैल चुका कोरोना वायरस लगातार कहर बरपा रहा है। महामारी को अब तक एक साल पूरे हो चुके हैं और लाखों लोगों की जान जा चुकी है। भारत समेत विभिन्न देश लगातार कोरोना की वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिलती दिखाई दे रही है। कोरोना ने पिछले एक साल में इकॉनमी, हेल्थ आदि पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है।
हाल ही में प्रकाशित हुई एक स्टडी की मानें तो कोरोना वायरस की वजह से छात्राओं की शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ा है। स्टडी में दावा किया गया है कि हो सकता है कि तकरीबन दो करोड़ छात्राएं कभी भी स्कूल वापस न लौट सकें। यह स्टडी राइट टू एजुकेशन फोरम ने सेंटर फॉर बजट एंड पॉलिसी स्टडीज और चैंपियंस फॉर गर्ल्स एजुकेशन के साथ मिलकर की है। यह स्टडी पांच राज्यों में की गई है।
स्टडी में बताया गया है कि लगभग 37 फीसदी छात्राएं इस बात पर निश्चित नहीं हैं कि वे स्कूल वापस भी लौट सकेंगी। 'मैपिंग द इंपैक्ट ऑफ कोविड-19' नाम से हुई यह स्टडी गुरुवार को रिलीज हुई, जिसमें यूनिसेफ के एजुकेशन प्रमुख टेरी डर्नियन के अतिरिक्त बिहार स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की अध्यक्ष प्रमिला कुमारी प्रजापति ने इस गंभीर चिंता व्यक्त की है। इस स्टडी में जून महीने में 3176 परिवारों पर सर्वे किए गए हैं। जिन राज्यों के जिलों को इसमें शामिल किया गया है, उनमें यूपी के 11 जिले, बिहार के 8 जिले, असम के 5 जिले हैं। इसके अलावा, तेलंगाना के 4 और दिल्ली का भी 1 जिला इसमें शामिल है। स्टडी के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर तबके के तकरीबन 70 फीसदी लोगों ने माना है कि उनके पास पर्याप्त खाने के लिए भी नहीं है।
डिजिटल स्टडी में छात्राओं को नुकसान
स्टडी में दावा किया गया है कि डिजिटल तरीके से हो रही पढ़ाई में छात्राओं को नुकसान हो रहा है। इसमें सामने आया है कि अगर किसी घर में मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा एक ही व्यक्ति के पास है तो फिर उसमें प्राथमिकता छात्रा के बजाए छात्र को मिल रही है। 37 फीसदी लड़कों की तुलना में सिर्फ 26 फीसदी लड़कियों ने माना कि उन्हें पढ़ाई के लिए फोन मिल पाता है। इसके अलावा, स्टडी में शामिल कुल परिवारों में से लगभग 52 फीसदी के पास घर पर टीवी सेट था। इसके बाद भी केवल 11 फीसदी बच्चों ने ही पढ़ाई से जुड़ा प्रोग्राम देख पाने की बात कही है।
