कोरोना के कारण 2 साल तक सांसदों के एमपी लैड पर रोक के फैसले पर कांग्रेस ने पीएम को किया आगाह
कोरोना वायरस की महामारी से इस वक्त पूरा देश जूझ रहा है। ऐसे में इस चुनौती से निपटने के लिए जहां एक तरफ कई प्रयास किए जा रहे है और फंड जुटाने के लिए पीएम केयर्स बनाया गया है तो वहीं दूसरी तरफ...
कोरोना वायरस की महामारी से इस वक्त पूरा देश जूझ रहा है। ऐसे में इस चुनौती से निपटने के लिए जहां एक तरफ कई प्रयास किए जा रहे है और फंड जुटाने के लिए पीएम केयर्स बनाया गया है तो वहीं दूसरी तरफ केन्द्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री समेत सभी केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों की सैलरी में 30 फीसदी की कटौती करने का फैसला लिया है और यह कटौती एक साल तक रहेगी।
दो साल तक सांसदों के एमपीलैड फंड पर अस्थाई रोक
इसके साथ ही, सांसदों को मिलने वाले एमपी लैड फंड पर भी दो साल के लिए अस्थाई रोक लगाई जा रही है। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट ने भारत में कोविड 19 के प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए 2020-21 और 2021-22 के लिए सांसदों को मिलने वाले एमपीलैड फंड को अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया है। 2 साल के लिए एमपीलैड फंड के 7900 करोड़ रुपए का उपयोग भारत की संचित निधि में किया जाएगा।
एमपीलैड फंड पर कांग्रेस ने किया आगाह
उधर, कांग्रेस ने सांसदों के एमपीलैड फंड पर दो साल तक लगाई जा रही रोक को लेकर सरकार को आगाह किया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पीएम मोदी के नाम ट्वीट करते हुए कहा, "कांग्रेस पार्टी सांसदों के वेतन में कटौती का समर्थन करती है। लेकिन, यह याद रखिए कि एमपीलैड संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए होता है। इसके रोके जाने से संसदीय क्षेत्र में सेवाओं पर असर होगा और यह सांसद के कार्य और उसकी भूमिका को कमतर करेगा। ”
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थरूर बोले, सरकार फैसले पर दोबारा करे विचार
इधर, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सांसदों के 2 साल तक तक एमपी लैड फंड के अस्थाई रोक पर सरकार को आगाह करते हुए कहा कि सरकार को अपने इस फैसले को दोबारा विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र की तरफ से प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों के वेतन में 30 फीसदी कटौती करने का फैसला स्वागत योग्य कदम है। देश में महामारी से जूझ रही जनता के सामने यह एकता दिखाने का अच्छा रास्ता है। लेकिन, अध्यादेश लाकर दो साल तक सांसद के एमपी लैड के पैसे को रोकना और उसे केन्द्र की तरफ से बनाए गए फंड में डालना यह समस्या खड़ा करनेवाला कदम है।
Centre's decision to cut salaries &pensions of MPs is welcome. It's a good way for us to show solidarity w/people suffering across the country. But the Ordinance ending MPLADS funds for 2 years &pooling them into a Consolidated Fund run by the CentralGovt is problematic: [contd.]
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) April 6, 2020
थरूर ने कहा कि एमपीलैड फंड वह पैसा होता है जिसे सांसदों की तरफ से सीधे संसदीय क्षेत्र में खर्च किया जाता है और भारतीय सांसदों के अच्छे काम में उसे गिना जाता है। लेकिन, अब यह पैसा केन्द्र की तरफ से आवंटित होगा और इसमें नई दिल्ली की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाएगा, न कि 543 सांसदों के स्थानीय मुद्दों को।
जयराम रमेश ने कहा, सरकार के कदम का स्वागत
हालांकि, एमपीलैड के अस्थाई रोक और उस पैसे का कोरोना महामारी के खिलाफ इस्तेमाल के सरकार के फैसले पर कांग्रेस में ही दो फाड़ दिख रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एमपीलैड पर केन्द्रीय कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया है। जयराम ने कहा कि वह ऐसी मांग लंबे समय से करते आ रहे थे।
देश में कोरोना से 109 लोगों की मौत, संक्रमण के मामले 4067
भारत में कोरोनावायरस के संक्रमण से 109 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि पूरे देश में इसके संक्रमण के कुल मामले 4067 हो चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, रविवार की शाम के बाद अब तक देश में कोरोना संक्रमण के करीब 490 नये मामले सामने आए हैं जबकि इस दौरान इस घातक वायरस ने 26 लोगों की जान ले ली है।
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