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कांग्रेस के लिए खुद से ज्यादा दूसरे विपक्षी दलों का बेहतर प्रदर्शन अहम

Lok sabha Chunav : लोकसभा चुनाव के लिए चार चरण के चुनाव पूरे होने के बाद कांग्रेस ने नफा-नुकसान का आंकलन करना शुरु कर दिया है। पार्टी को जहां चुनाव में अपने बेहतर प्रदर्शन का भरोसा है। वहीं, उसकी...

 कांग्रेस के लिए खुद से ज्यादा दूसरे विपक्षी दलों का बेहतर प्रदर्शन अहम
नई दिल्ली, सुहेल हामिदSat, 04 May 2019 08:23 AM
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Lok sabha Chunav : लोकसभा चुनाव के लिए चार चरण के चुनाव पूरे होने के बाद कांग्रेस ने नफा-नुकसान का आंकलन करना शुरु कर दिया है। पार्टी को जहां चुनाव में अपने बेहतर प्रदर्शन का भरोसा है। वहीं, उसकी उम्मीद दूसरी विपक्षी पार्टियों के प्रदर्शन पर टिकी है। क्योंकि, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और तमिलनाडु में भाजपा और उसके सहयोगियों को शिकस्त दिए बगैर सत्ता की दहलीज तक पहुंचना मुश्किल है।

कांग्रेस के अंदरुनी आंकलन लोकसभा चुनाव में पार्टी को कम से कम तीन अंको में सीट मिलने की उम्मीद जगा रहा है। पर पार्टी के लिए मुश्किल यह है कि इन सीट के आधार पर वह सत्ता तक नहीं पहुंच सकती है। इसलिए, कांग्रेस की नजर उत्तर प्रदेश में अपने प्रदर्शन से अधिक सपा-बसपा गठबंधन पर टिकी है। क्योंकि, गठबंधन जितनी सीट जीतता है, वह भाजपा को सीधा नुकसान होगा।

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महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस गठबंधन में हैं। ऐसे में पार्टी को यकीन है कि दोनों मिलकर भाजपा-शिवसेना गठबंधन को पुराना प्रदर्शन नहीं दोहराने देंगे। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 42 सीट मिली थी। बिहार में कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा है। वहीं, भाजपा-जद(यू) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। जबकि पिछली बार भाजपा ने 22 सीटें जीती थी।

तमिलनाडु में एआईडीएमके और डीएमके की अगुआई वाले गठबंधन भी चुनाव के बाद अहम भूमिका निभाएगें। पिछले चुनाव में एआईडीएमके ने 37 सीट जीती थी। पर इस बार एआईडीएमके के लिए यह आसान नहीं होगा। वहीं, डीएमके को 16 और कांग्रेस को दस सीट मिली थी। चुनाव में एआईडीएमके को जीत मिलती है, तो इससे भाजपा की राह आसान होगी। वहीं, डीएमके के बेहतर प्रदर्शन से विपक्ष को मजबूती मिलेगी।
 

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पश्चिम बंगाल में कांग्रेस अकेले चुनाव मैदान में हैं। पर पार्टी की नजर तृणमूल कांग्रेस के प्रदर्शन पर टिकी हुई है। भाजपा को भी पश्चिम बंगाल से काफी उम्मीदें हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा को रोकने में सफल रहती है, तो केंद्र में विपक्षी दलों की गठबंधन सरकार की संभावनाओं को बल मिलेगा। कांग्रेस भी यह जानती है कि जितनी सीट वह खुद जीतकर संसद में पहुंचेगी, सहयोगी दलों को उससे अधिक सीट जीतनी होगी। तभी भारतीय जनता पार्टी को रोका जा सकता है।

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