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ममता का प्रस्ताव लेफ्ट की नजर में बौखलाहट

माकपा तृणमूल कांग्रेस के उस प्रस्ताव को ठुकरा चुकी है जिसमें उन्होंने भाजपा से मुकाबले के लिए वामदलों एवं कांग्रेस से साथ आने को कहा था। वामदलों का मानना है कि ममता का यह प्रस्ताव कोई राजनीतिक दांव...

ममता का प्रस्ताव लेफ्ट की नजर में बौखलाहट
लाइव हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्ली Sat, 29 Jun 2019 04:23 AM
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माकपा तृणमूल कांग्रेस के उस प्रस्ताव को ठुकरा चुकी है जिसमें उन्होंने भाजपा से मुकाबले के लिए वामदलों एवं कांग्रेस से साथ आने को कहा था। वामदलों का मानना है कि ममता का यह प्रस्ताव कोई राजनीतिक दांव नहीं बल्कि बौखलाहट का प्रतीक है। उन्हें आगामी चुनावों में सत्ता हाथ से निकलने का डर सता रहा है।

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद भी राजनीति गर्म है क्योंकि विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं। लोकसभा चुनावों में 18 सीटें जीतने के बाद भाजपा के हौसले काफी बुलंद हैं और पार्टी ने राज्य में जमीनी स्तर पर अभियान तेज कर रखा है।

लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से गठबंधन से भी बचती रही ममता का प्रस्ताव कि माकपा और कांग्रेस साथ आ जाएं, एकदम चौंकाने वाला था। जो वामदलों को भी हजम नहीं हुआ। एक वरिष्ठ वाम नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश का हश्र सबने देख लिया है। दो धुर विरोधी दल सपा-बसपा भाजपा से लड़ने के लिए एक हुए लेकिन फिर भी कुछ खास नहीं कर पाए। ऐसे में ममता बनर्जी यह कौन सा राजनीतिक दांव चल रही हैं। जो फार्मूला उत्तर प्रदेश में पिट गया है, वह पश्चिम बंगाल में कैसे सफल हो सकता है? इसलिए उनके प्रस्ताव को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया है। 

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माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी मानते हैं कि अभी तक वह सिर्फ तृणमूल से लड़ रहे थे। लेकिन अब तृणमूल के साथ-साथ भाजपा से भी लड़ेंगे। माकपा के वोट को भाजपा ले गई। इस हिसाब से भाजपा उसके लिए बड़ी दुश्मन होनी चाहिए। लेकिन माकपा दोनों दलों से मुकाबले की रणनीति पर ही टिके रहना चाहते हैं। 

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लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सबसे ज्यादा वामदलों के मत छीने थे। भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बावजूद तृणमूल कांग्रेस न सिर्फ अपने वोट बैंक को बचाने में कामयाब रही है बल्कि उसका मत प्रतिशत करीब साढ़े तीन फीसदी बढ़ा है। जबकि भाजपा का मत प्रतिशत 22 फीसदी बढ़ा है लेकिन उसने वामदलों एवं कांग्रेस के वोट काटे हैं। किन्तु तृणमूल का मत प्रतिशत अब भाजपा से महज दो फीसदी ही ज्यादा है। इसलिए ममता के लिए विधानसभा चुनावों में बड़ी चुनौती पैदा हो सकती है।

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