Hindi Newsदेश न्यूज़Congress government formed in Madhya Pradesh after 15 years did not last even 15 months

15 साल बाद मध्य प्रदेश में बनी थी कांग्रेस सरकार, 15 महीने भी नहीं चली

मध्य प्रदेश में 15 साल शासन के बाद पिछले साल दिसंबर में शिवराज सिंह की सरकार गिर गई थी और कांग्रेस ने सत्ता का स्वाद चखा था। कमलनाथ की सरकार 15 महीने भी नहीं चल सकी और 20 मार्च यानि आज मुख्यमंत्री ने...

Arun Binjola लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीFri, 20 March 2020 01:03 PM
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 15 साल बाद मध्य प्रदेश में बनी थी कांग्रेस सरकार, 15 महीने भी नहीं चली

मध्य प्रदेश में 15 साल शासन के बाद पिछले साल दिसंबर में शिवराज सिंह की सरकार गिर गई थी और कांग्रेस ने सत्ता का स्वाद चखा था। कमलनाथ की सरकार 15 महीने भी नहीं चल सकी और 20 मार्च यानि आज मुख्यमंत्री ने अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। कमलनाथ सरकार ने 11 दिसंबर को विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी और 17 दिसंबर को शपथ ली थी। 

कमलनाथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि उन्होंने पिछले 15 महीनों के दौरान राज्य को एक नई पहचान दिलाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उनकी सरकार को हमेशा अस्थिर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि आप गवाह हैं कि बीजेपी के लोग कहते थे कि यह 15 दिन की सरकार है। यह सरकार चल नहीं पाएगी, लेकिन हमने काम शुरू किया। हमारे 22 विधायकों को प्रलोभन देकर कर्नाटक में बंधक बनाने का कार्य किया। पूरा प्रदेश इसका गवाह है। प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोभियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी। बीजेपी ने जनता के साथ धोखा किया है।

कमलनाथ ने कहा कि हमने 30 लाख किसानों के कर्ज माफ किए और हम कर्जमाफी का तीसरा चरण शुरू करने जा रहे थे। इस कदम से प्रदेश में आत्महत्या करने वाले किसानों पर रोक लगी। लेकिन भाजपा को यह अच्छा नहीं लगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश को माफिया मुक्त करने का काम किया। भाजपा नहीं चाहती थी कि प्रदेश से माफिया राज समाप्त हो। हमने प्रदेश को सुरक्षित बनाने का काम किया। हमने युवा स्वाभिमान कार्यक्रम लांच किया, ताकि युवा को रोजगार मिल सके। भाजपा के कार्यकाल में बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार थे। हमने यहां-वहां घूम रही गायों के लिए 1000 गौशाला बनाने का निर्णय लिया, जो भाजपा को रास नहीं आया।

उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश को ऐसा प्रदेश बनाया जाए, जहां लोगों का विश्वास हो। हमने कोई झूठी घोषणाएं नहीं की। भाजपा को हमारे द्वारा किए गए विकास कार्यों से भय सताने लगा कि प्रदेश कि डोर अब कांग्रेस के हाथों में आ जाएगी। इन महीनों में हमारे ऊपर किसी घोटाले के आरोप नहीं लगे। जनता ने महसूस किया कि जनहितैषी सरकार कैसी होती है।

अल्पमत में थी कमलनाथ की सरकार
गुरुवार रात को 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी और ऐसे में फ्लोर टेस्ट में होने वाली किरकिरी से बचने को मुख्यमंत्री ने पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कांग्रेस के 16 और विधायकों के इस्तीफे गुरुवार की देर रात को मंजूर कर लिए। विधानसभा में 230 विधायक संख्या है, जिनमें से 24 स्थान रिक्त है। 206 विधायकों के सदन में बहुमत के लिए 104 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। बीजेपी विधायक शरद कौल का इस्तीफा मंजूर हो जाने के बाद विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 106 हो गई है। कांग्रेस के 92 और सपा, बसपा व निर्दलीय विधायकों के समर्थन से यह आंकड़ा 99 तक ही पहुंचता है। 

क्या थे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में सीटें

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस 114 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि बीजेपी को 109 सीटों पर जीत हासिल की थी। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के जादुई आंकड़े को कोई पार्टी हासिल नहीं कर सकी थी, चूंकि कांग्रेस बहुमत के लिए जरूरी 116 सीटों के बिल्कुल करीब थी और उसे निर्दलीयों, बसपा और सपा ने समर्थन दिया था। चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) को बिजावर सीट पर जीत हासिल हुई थी। वहीं, 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) 2 सीटों पथरिया और भिंड सीट पर जीत हासिल की थी।

किसे मिलना था कितना वोट प्रतिशत

चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत करीब आठ फीसदी बढ़ा था और उसे 41 प्रतिशत वोट मिले थें, जबकि बीजेपी को भी 41 फीसदी से थोड़ा अधिक वोट मिला था।
 

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