कोरोना वैक्सीन की कॉकटेल खुराकें डेल्टा के खिलाफ ज्यादा असरदार, रिसर्च में हुआ खुलासा
इस साल की शुरुआत में कई देशों ने कोरोना टीकों की दो अलग-अलग खुराक मिलाकर देने का कार्य शुरू किया था। तब प्रारंभिक अध्ययनों में यह दावा किया गया था कि इस प्रकार के टीके ज्यादा असरदार हो सकते हैं। अब...
इस खबर को सुनें
इस साल की शुरुआत में कई देशों ने कोरोना टीकों की दो अलग-अलग खुराक मिलाकर देने का कार्य शुरू किया था। तब प्रारंभिक अध्ययनों में यह दावा किया गया था कि इस प्रकार के टीके ज्यादा असरदार हो सकते हैं। अब कई नए अध्ययन सामने आए हैं, जो इस बात की वैज्ञानिक पुष्टि करते हैं कि एक ही टीके की दो खुराक की बजाय दो टीकों की अलग-अलग खुराक ज्यादा कारगार साबित होती हैं। विशेषकर डेल्टा स्वरूप के खिलाफ मिश्रित टीकों की खुराक ज्यादा असरदार पाई गई हैं।
नेचर में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है कि जर्मनी, स्वीडन, डेनमार्क समेत कई देशों में जहां अलग-अलग टीके मिलाकर दिए जा रहे थे, वहां इसके नतीजे अच्छे रहे हैं। स्वीडन में करीब एक लाख लोगों को एस्ट्राजेनेका के साथ फाइजर या माडर्ना की खुराकें मिलाकर दी गई थी। नतीजे अच्छे रहे हैं।
स्वीडन की उमे यूनिवर्सिटी के इम्यूनालाजिस्ट पीडर नार्दस्ट्रम कहते हैं कि इन लोगों की तुलना उन 4.3 लाख लोगों से की गई, जिन्होंने दोनों खुराकें एस्ट्राजेनेका टीके की ली हैं। बाद में इनकी तुलना उन लोगों से की गई, जिन्होंने कोई टीका नहीं लगाया था। एस्ट्राजेनेका की दोनों खुराक लेने वालों में संक्रमण का खतरा 50 फीसदी कम हुआ, जबकि टीकों की मिश्रित खुराक लेने वालों में यह 68 फीसदी कम हुआ।
इसी प्रकार डेनमार्क में एस्ट्राजेनेका और फाइजर के टीके को लेने से संक्रमण का खतरा 88 फीसदी तक कम होना पाया गया। इस अध्ययन के अनुसार यह प्रभाव फाइजर की दो खुराकों के बराबर है, लेकिन एस्ट्राजेनेका की दो खुराकों की तुलना में ज्यादा है।
नेचर रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस में स्वास्थ्यकर्मियों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि एस्ट्राजेनेका और फाइजर टीकों की मिश्रित खुराकें लेने वालों तथा दोनों खुराकें फाइजर की लेने वाले समूहों में संक्रमण दर अलग-अलग पाई गई। मिश्रित खुराक लेने वालों में यह एक जैसे टीके की खुराक लेने वालों की तुलना में आधी थी। इस अध्ययन में 2512 लोग ऐसे थे, जिन्हें मिश्रित खुराक दी गई, जबकि 10 हजार लोगों को फाइजर की दोनों खुराक दी गई थी।
ये तमाम अध्ययन उस दौरान हुए हैं, जब डेल्टा स्वरूप का संक्रमण ज्यादा था। इसलिए यह शोध इस बात की भी पुष्टि करता है कि सबसे ज्यादा संक्रामक डेल्टा स्वरूप के खिलाफ टीकों की मिश्रित खुराक ज्यादा असरदार हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि टीके की मिश्रित खुराकें ज्यादा प्रभावी हैं, लेकिन यह कितने समय तक असरदार होंगे, इस प्रश्न का जवाब अभी भी नहीं मिला है। क्या मिश्रित खुराक लेने के बाद बूस्टर खुराक की जरूरत पड़ेगी या नहीं, यह कहना भी अभी मुश्किल है।