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यात्री ट्रेनों के 670 फेरे रद्द करेगी भारतीय रेलवे, 'कोयला संकट' के चलते उठाया बड़ा कदम

500 से अधिक यात्राएं लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए हैं। रेलवे ने कोयले की रेलगाड़ियों की औसत दैनिक लोडिंग 400 से अधिक तक बढ़ा दी है, जो पिछले पांच वर्षों में अब तक का सबसे अधिक है।

यात्री ट्रेनों के 670 फेरे रद्द करेगी भारतीय रेलवे, 'कोयला संकट' के चलते उठाया बड़ा कदम
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीFri, 29 Apr 2022 06:42 AM
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कोयले की कमी को लेकर गहराते संकट के बीच, भारतीय रेलवे बड़ा कदम उठा रही है। दरअसल बिजली की मांग में भारी वृद्धि के कारण कोयले की आवश्यकता भी बढ़ गई है, इसके लिए भारतीय रेलवे को पिछले कुछ हफ्तों में प्रतिदिन लगभग 16 मेल/एक्सप्रेस और यात्री ट्रेनों को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा है ताकि देश भर में स्थित बिजली संयंत्रों के लिए कोयला ले जाने वाली ट्रेनों को अतिरिक्त रास्ता दिया जा सके। 

670 फेरों को रद्द करने की अधिसूचना जारी 

रेल मंत्रालय ने 24 मई तक यात्री ट्रेनों के लगभग 670 फेरों को रद्द करने की अधिसूचना जारी की है। इनमें से 500 से अधिक यात्राएं लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए हैं। रेलवे ने कोयले की रेलगाड़ियों की औसत दैनिक लोडिंग 400 से अधिक तक बढ़ा दी है, जो पिछले पांच वर्षों में अब तक का सबसे अधिक है।

रोजाना 415 कोयला ट्रेनें उपलब्ध कराएगी रेलवे

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर (भारतीय रेल) ने मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए रोजाना 415 कोयला रेक (ट्रेनें) उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई है, जिनमें से प्रत्येक में लगभग 3,500 टन कायला ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बिजली संयंत्रों में स्टॉक में सुधार और जुलाई-अगस्त में किसी भी संकट से बचने के लिए यह कवायद कम से कम दो महीने तक जारी रहेगी, तब तक, जब तक कि बारिश के कारण कोयला खनन कम से कम न हो जाए।

'इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं'

रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "विभिन्न राज्यों में यात्री ट्रेनों को रद्द करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है क्योंकि तत्काल आवश्यकता यह सुनिश्चित करने की है कि बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी न हो और कोई ब्लैक आउट न हो। यह एक दुविधा से भरी कठिन परिस्थिति है।"

उन्होंने कहा, "हम इस अस्थायी संकट से उबरने की उम्मीद करते हैं। अधिकारी ने कहा कि चूंकि बिजली संयंत्र देश भर में स्थित हैं, इसलिए रेलवे को लंबी दूरी की ट्रेनें चलानी पड़ती हैं और इसलिए बड़ी संख्या में कोयला रेक 3-4 दिनों के लिए सफर में रहते हैं। घरेलू कोयले का एक बड़ा हिस्सा पूर्वी क्षेत्र से भारत के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी भागों में ले जाया जाता है।

कोयले की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रेलवे ने 2016-17 में प्रतिदिन बमुश्किल 269 कोयला रेक लोड किए। इसे 2017-18 और 2018-19 में बढ़ाया गया था। लेकिन अगले दो वर्षों के दौरान लदान घटकर 267 रेक प्रतिदिन रह गया। पिछले साल इसे बढ़ाकर 347 प्रति दिन कर दिया गया था और गुरुवार तक कोयले से लदी रेक की संख्या लगभग 400-405 प्रति दिन थी। अधिकारियों ने कहा कि इस साल कोयले की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और इसके लिए रेल परिवहन का पसंदीदा साधन बना हुआ है।

कोयले का इस्तेमाल भारत की लगभग 70% बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। रेलवे ने कोयले के लदान और परिवहन को बढ़ाने के लिए भी कई कदम उठाए हैं, जिसमें भारतीय रेलवे और समर्पित फ्रेट कॉरिडोर नेटवर्क दोनों पर लंबी दूरी की ट्रेनें चलाना, लोडिंग और अनलोडिंग प्वाइंट्स पर सभी कोयला रेक के अवरोधन की गहन निगरानी शामिल है।  

अखिल भारतीय स्तर पर बिजली की मांग या एक दिन में सबसे अधिक आपूर्ति बृहस्पतिवार को 204.65 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। देश के ज्यादातर हिस्सों में पारा चढ़ने के साथ बिजली की मांग बढ़ी है।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘अप्रैल, 2022 में 28 अप्रैल 14:50 बजे तक अधिकतम बिजली की मांग 12.1 प्रतिशत बढ़कर 204.653 गीगावॉट पर पहुंच गई। एक साल पहले की समान अवधि में यह 182.559 गीगावॉट रही थी।’’

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