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पूर्वी लद्दाख से पीछे नहीं हटेगी भारतीय सेना, चीन को साफ शब्दों में संदेश

भारत ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना पीछे नहीं हटेगी। सीमा विवाद को लेकर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं में चल रहे बैठकों का दौर जारी है। इस बीच, चीन ने...

पूर्वी लद्दाख से पीछे नहीं हटेगी भारतीय सेना, चीन को साफ शब्दों में संदेश
एजेंसी,नई दिल्ली।Mon, 24 Aug 2020 05:32 AM
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भारत ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना पीछे नहीं हटेगी। सीमा विवाद को लेकर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं में चल रहे बैठकों का दौर जारी है। इस बीच, चीन ने भारत को पूर्वी लद्दाख में फिंगर क्षेत्र से समान दूरी पर पीछे हटने का सुझाव दिया था, जिसे भारत ने दो टूक शब्दों में खारिज कर दिया है। हालांकि, कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद, दोनों पक्ष सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए सैन्य स्तर की और वार्ताएं करने पर भी काम कर रहे हैं।

यह सारी कवायद पूर्वी लद्दाख में तीन महीने से अधिक समय से चले रहे सीमा विवाद के निपटारे के लिए किया जा रहा है। इस दौरान, शीर्ष सैन्य कमांडरों ने भी अपने क्षेत्रीय कमांडरों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी घटना या कार्रवाई के लिए पूरी तरह से तैयार रहने के लिए कहा है। भारत सीमा पर लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी कर रहा है।

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सूत्रों ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, चीनी पक्ष ने सुझाव दिया था कि भारत और चीन दोनों को फिंगर-4 क्षेत्र से समान दूरी पर वापस हटना चाहिए। इसे भारत ने खारिज कर दिया। वहीं, भारत इस पर अडिग है कि चीन को पहले पीछे हटना चाहिए और फिर दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख और डेप्सांग के मैदानों और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्रों से पीछे हटने पर चर्चा कर सकते हैं।

पूरी तरह पीछे हटे चीनी सेना : भारत
फिलहाल, चीनी पैगोंग त्सो झील के पास फिंगर-5 के आसपास हैं और उन्होंने फिंगर-5 से फिंगर-8 तक पांच किलोमीटर से अधिक की दूरी पर बड़ी संख्या में सैनिकों और उपकरणों को तैनात किया हुआ है, जिससे आगे अप्रैल-मई से पहले से चीनी बेस मौजूद हैं। भारतीय पक्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चीनी सेना को फिंगर क्षेत्र से पूरी तरह से पीछे हटना चाहिए और अपने वास्तविक स्थान पर वापस जाना चाहिए।

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भारत ने चीन को कूटनीतिक तौर पर घेरा
सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष के सुझाव को स्वीकार करने का सवाल ही नहीं उठता था। भारत, चीन की ओर से 1993-1996 में दोनों पक्षों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन करने के मुद्दे को भी उठा रहा है। इस समझौते में उन स्थानों पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक लगाई गई है, जहां एलएसी की धारणा दोनों पक्षों के बीच भिन्न होती है। चीनियों ने फिंगर क्षेत्र में भी निर्माण किया है जहां भारतीय क्षेत्र फिंगर-8 तक फैला हुआ है।

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