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CJI रमन ने की कानून-व्यवस्था में सुधार की वकालत, कहा- आम आदमी में अदालतों का डर दूर हो

भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण ने देश की कानून व्यवस्था में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था कई बार आम आदमी के लिए कई रुकावटें खड़ी कर देती है। किसी आम आदमी को अदालत आने में...

CJI रमन ने की कानून-व्यवस्था में सुधार की वकालत, कहा- आम आदमी में अदालतों का डर दूर हो
हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSun, 19 Sep 2021 05:48 AM

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भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण ने देश की कानून व्यवस्था में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था कई बार आम आदमी के लिए कई रुकावटें खड़ी कर देती है। किसी आम आदमी को अदालत आने में न्यायाधीशों या अदालतों का डर महसूस नहीं होना चाहिए, उन्हें सच बोलने का साहस मिलना चाहिए। इसके लिए वादियों व अन्य हितधारकों के लिहाज से सुविधाजनक माहौल बनाने की जिम्मेदारी वकीलों और न्यायाधीशों की है। न्याय व्यवस्था को सुगम और प्रभावी बनाना बेहद आवश्यक है।

न्यायमूर्ति रमण ने शनिवार को कहा कि दालतों के कामकाज और कार्यशैली भारत की जटिलताओं से मेल नहीं खाते। हमारी प्रणालियां, प्रक्रियाएं और नियम मूल रूप से औपनिवेशिक हैं और ये भारतीय आबादी की जरूरतों से मेल नहीं खाते। जब मैं भारतीयकरण कहता हूं तो मेरा आशय हमारे समाज की व्यावहारिक वास्तविकताओं को स्वीकार करने और हमारी न्याय प्रणाली का स्थानीयकरण करने की जरूरत से है। उदाहरण के लिए किसी गांव के पारिवारिक विवाद में उलझे पक्ष अदालत में आमतौर पर ऐसा महसूस करते हैं जैसे कि उनके लिए वहां कुछ हो ही नहीं रहा, वे दलीलें नहीं समझ पाते, जो अधिकतर अंग्रेजी में होती हैं। 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इन दिनों फैसले लंबे हो गये हैं, जिससे वादियों की स्थिति और जटिल हो जाती है। फैसले के असर को समझने के लिए अधिक पैसा खर्च करने को मजबूर होना पड़ता है। अदालतों को वादी केंद्रित होना चाहि। न्याय देने की व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, सुगम तथा प्रभावी बनाना अहम होगा।

दिवंगत न्यायाधीश शांतनगौदर को दी श्रद्धांजलि
मुख्य न्यायाधीश दिवंगत न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। न्यायमूर्ति शांतनगौदर के योगदान का याद करते हुए उन्होंने कहा, उनके जाने से देश ने आम आदमी के एक न्यायाधीश को खो दिया। मैंने व्यक्तिगत रूप से एक अच्छे मित्र और मूल्यवान सहयोगी को खो दिया। न्यायमूर्ति शांतनगौदर का निधन 25 अप्रैल को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में हो गया था, जहां फेफड़े में संक्रमण के कारण उन्हें भर्ती कराया गया था। वह 62 वर्ष के थे।

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