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देश में अगर लोकतंत्र बनाए रखना है तो प्रेस का स्वतंत्र रहना जरूरी; CJI चंद्रचूड़ की दो टूक

सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि जब प्रेस को अपना काम करने से रोका जाता है तो लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता होता है। सीजेआई ने कहा कि इसलिए प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए।

देश में अगर लोकतंत्र बनाए रखना है तो प्रेस का स्वतंत्र रहना जरूरी; CJI चंद्रचूड़ की दो टूक
Madan Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 22 Mar 2023 09:53 PM
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने बुधवार को देश में फेक न्यूज के खतरे को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि फेक न्यूज समुदायों के बीच दरार पैदा कर सकती है और लोकतंत्र को नष्ट करने की क्षमता रखती है। उन्होंने कहा, "फर्जी खबरें समुदायों के बीच तनाव पैदा कर सकती हैं। सच और झूठ के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है। फेक न्यूज में लोकतंत्र को परेशान करने की भी क्षमता होती है।" उन्होंने कहा कि यदि किसी देश को लोकतांत्रिक रहना है तो प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ इंडियन एक्सप्रेस की ओर से आयोजित किए जाने वाले रामनाथ गोयनका अवॉर्ड में बोल रहे थे। उन्होंने इस कार्यक्रम में मीडिया से जुड़े कई पहलुओं पर बात की। उन्होंने आपराधिक मामलों में मीडिया ट्रायल पर बात करते हुए कहा कि मीडिया अदालतों से पहले ही एक आरोपी को दोषी घोषित कर देता है।

उन्होंने कहा, "मीडिया का काम है कि वह मासूमों के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना जनता तक जानकारी पहुंचाए। जिम्मेदार पत्रकारिता सच्चाई की किरण है और यह लोकतंत्र को आगे बढ़ाती है। जैसा कि हम डिजिटल युग की चुनौतियों का सामना करते हैं, पत्रकारों को सटीकता, निष्पक्षता और उनकी रिपोर्टिंग में निडरता बनाए रखनी होगी।" सीजेआई ने न्यूज रूम में विविधता और कम्युनिटी पत्रकारिता बनाए रखने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "डायवर्सिफाइड न्यूज रूम मीडिया प्लेटफार्मों की लंबी उम्र के लिए आवश्यक हैं। पत्रकारिता अभिजात्य नहीं हो सकती। कम्युनिटी पत्रकारिता नीतिगत स्तर पर उन मुद्दों पर बहस के लिए एजेंडा तय करने में मदद कर सकती है। कई स्टडीज ने दिखाया है कि मुख्यधारा की मीडिया की संरचना भारत में सभी समुदायों को प्रतिबिंबित नहीं करती है। कम्युनिटी पत्रकारिता ने लोगों को अपनी आवाज बनने के रास्ते खोल दिए हैं।"

'प्रेस को रहना चाहिए स्वतंत्र' 
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब प्रेस को अपना काम करने से रोका जाता है तो लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता होता है। सीजेआई ने कहा कि इसलिए प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए और एक पत्रकार के तौर-तरीकों से असहमति नफरत या हिंसा में नहीं बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा, "कई पत्रकार कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं लेकिन फिर भी अपने काम में बेधड़क हैं। नागरिकों के रूप में हम पत्रकारों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया से सहमत नहीं हो सकते हैं। मैं खुद कभी-कभी सहमत नहीं होता, लेकिन यह असहमति नफरत और फिर हिंसा का रूप नहीं ले सकती।"

'लोकतंत्र का अभिन्न अंग है मीडिया'
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि मीडिया चौथा स्तंभ है, और इस प्रकार लोकतंत्र का एक अभिन्न अंग है। एक कार्यात्मक और स्वस्थ लोकतंत्र को एक ऐसी संस्था के रूप में पत्रकारिता को प्रोत्साहित करना चाहिए जो प्रतिष्ठान से कठिन प्रश्न सवाल कर सके। यदि किसी देश को लोकतंत्र में रहना है तो प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए।'' लीगल जर्नलिज्म पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम लीगल जर्नलिज्म में बढ़ती दिलचस्पी भी देख रहे हैं। लीगल जर्नलिज्म कानून की पेचीदगियों पर प्रकाश डालने वाली जस्टिस सिस्टम की कहानीकार है। हालांकि, भारत में पत्रकारों द्वारा न्यायाधीशों के चुनिंदा भाषणों और फैसलों को कोट करना चिंता का विषय बन गया है।

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