ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशएलएसी पर विवाद के बीच हिंद महासागर में पीछे हटा चीनी पोत, भारतीय नौसेना की थी कड़ी नजर

एलएसी पर विवाद के बीच हिंद महासागर में पीछे हटा चीनी पोत, भारतीय नौसेना की थी कड़ी नजर

पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनातनी के बीच हिन्द महासागर में घुसे चीनी युआन वांग श्रेणी के रिसर्च पोत कुछ दिन पहले वापस लौट गए। यह चीनी पोत पिछले महीने मलक्क जलडमरूमध्य से हिंद महासागर में प्रवेश किया...

The vessel returned to China few days ago after being under constant watch of Indian Navy vessels. (ANI Twitter Pic)
1/ 2The vessel returned to China few days ago after being under constant watch of Indian Navy vessels. (ANI Twitter Pic)
The vessel returned to China few days ago after being under constant watch of Indian Navy vessels. (File Pic)
2/ 2The vessel returned to China few days ago after being under constant watch of Indian Navy vessels. (File Pic)
एजेंसी,नई दिल्ली।Thu, 17 Sep 2020 06:37 PM
ऐप पर पढ़ें

पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनातनी के बीच हिन्द महासागर में घुसे चीनी युआन वांग श्रेणी के रिसर्च पोत कुछ दिन पहले वापस लौट गए। यह चीनी पोत पिछले महीने मलक्क जलडमरूमध्य से हिंद महासागर में प्रवेश किया था। इसके बाद से ही इस चीनी पोत के ऊपर भारतीय नौसेना की तरफ से तैनात किए गए युद्धपोत से इस पर कड़ी नजर रखी जा रही थी। लेकिन, यह चीनी पोत कुछ दिनों पहले ही भारतीय नौसेना की कड़ी निगरानी में वापस लौट गया।

ऐसे रिसर्च पोत लगातार चीन की तरफ से आते रहे हैं और भारतीय समुद्री क्षेत्र की सूचनाएं इकट्ठी कर वापस चले जाते हैं। दिसंबर के महीने में चीन के रिसर्च पोत शी यान-1 भारतीय जल क्षेत्र अंडमान निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर के पास रिसर्च की गतिविधियां करते हुए समुद्री सर्विलांस एयरक्राफ्ट ने देखा था। ऐसे पोतों के जरिए चीन द्विपीय क्षेत्र में भारत की गतिविधियों पर निगरानी रखता है, जहां से भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रों पर करीबी नजर रखता है।

हालांकि, कानून इंडियन एक्सक्लूसिव इकॉनोमिक जोन में ऐसे किसी विदेशियों को इस तरह की रिसर्च गतिविधियों को इजाजत नहीं देता है, भारतीय नौसेना ने उस समय चीन के रिसर्च पोत से यह कहा था कि वे भारतीय जलक्षेत्र से वापस लौट जाएं।

गौरतलब है कि चीन लगातार हिंद महासागर में अपनी मजबूती बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की सेना की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर नौसेना अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वैश्विक नौसेना विश्लेषकों के मुताबिक चीन के पास 50 से ज्यादा पनडुब्बी और करीब 350 पोत हैं। अगले आठ-10 साल में जहाजों और पनडुब्बियों की संख्या 500 से ज्यादा हो जाएगी।

भारत भी बढ़ा रहा समुद्री ताकत

नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के वास्ते 55,000 करोड़ रुपए की वृहद परियोजना की निविदा प्रक्रिया अक्टूबर तक शुरू होने वाली है। चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत के मद्देनजर ये पनडुब्बियां भारत की सामरिक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी। समाचार एजेंसी भाषा सूत्रों के हवाला से यह जानकारी दी।

रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण होगा। इसके तहत घरेलू कंपनियों को देश में अत्याधुनिक सैन्य उपकरण निर्माण के लिए विदेशी रक्षा कंपनियों से करार की अनुमति होगी और आयात पर निर्भरता घटेगी। सूत्रों ने बताया कि परियोजना के संबंध में आरएफपी (अनुरोध प्रस्ताव) जारी करने के लिए पनडुब्बी की विशिष्टता और अन्य जरूरी मानदंड को लेकर रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना की अलग-अलग टीमों द्वारा काम पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर तक आरएफपी जारी होगा।

रक्षा मंत्रालय परियोजना के लिए दो भारतीय शिपयार्ड और पांच विदेशी रक्षा कंपनियों के नामों की संक्षिप्त सूची बना चुका है। इसे 'मेक इन इंडिया' के तहत सबसे बड़ा उपक्रम बताया जा रहा है। अंतिम सूची में शामिल भारतीय कंपनियों में एलएंडटी ग्रुप और सरकारी मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) हैं, जबकि चुनिंदा विदेशी कंपनियों में थायसीनक्रूप मरीन सिस्टम (जर्मनी), नवानतिया (स्पेन) और नेवल ग्रुप (फ्रांस) शामिल हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें