स्वागत के लिए तैयार हो जाए यूपी, चीतों को खुले में घूमने की मिलेगा पूरी आजादी
अधिकारियों ने कहा कि एक महीने पहले, पवन चीता लगभग 300 किमी पूर्व की ओर चला गया था और उसे कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सीमा के पास शिवपुरी में रेस्क्यू किया गया था।

कूनो नेशनल पार्क में मौजूद चीतों के उत्तर प्रदेश और पूर्वी मध्य प्रदेश की ओर बढ़ने की उम्मीद है। चीता संचालन समिति ने यूपी और एमपी के जिला अधिकारियों से तैयार रहने को कहा है। हाल ही में गठित चीता संचालन समिति का मानना है कि कूनो नेशनल पार्क से चीते उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के रीवा की ओर लंबी दूरी तय करेंगे, न कि राजस्थान की ओर जाएंगे। राजस्थान का इलाका, कूनो पार्क से महज 50 किलोमीटर से भी कम की दूरी पर है। चीता संचालन समिति ने शुक्रवार को एमपी व यूपी के वन अधिकारियों के साथ समन्वय बैठक की। इसमें उन्हें चीतों के कूनो से बाहर जाने पर की जाने वाली तैयारियों की जानकारी दी गई।
इन जिलों की ओर जाने में रुचि दिखा रहे हैं चीते
इस बैठक में राजस्थान के वन अधिकारियों को इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि समिति के अध्यक्ष राजेश गोपाल ने कहा कि फिलहाल चीते एमपी के पन्ना जिले के पूर्वी हिस्से में और उत्तर प्रदेश के ललितपुर व झांसी जिले की ओर जाने में रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, “पार्क से दो चीते निकले और दोनों शिवपुरी की ओर बढ़े। पवन चीता पन्ना लैंडस्केप के तहत आने वाले शिवपुरी, झांसी और ललितपुर की ओर गया था। मादा चीता आशा भी उधर ही गई, इसलिए हम कह सकते हैं कि चीते केवल पूर्वी हिस्से की ओर निकल रहे हैं और यूपी की ओर बढ़ रहे हैं।"
अधिकारियों ने कहा कि एक महीने पहले, पवन चीता लगभग 300 किमी पूर्व की ओर चला गया था और उसे कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सीमा के पास शिवपुरी में रेस्क्यू किया गया था। इसी तरह, एक अन्य मादा चीता आशा दक्षिणी पूर्वी मध्य प्रदेश की ओर जा रही है और अब अशोक नगर में चंदेरी की ओर बढ़ रही है।
"खुले में घूमना चाहते हैं चीते"
एमपी के एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, "चीता खुली भूमि और कम घने जंगल की ओर अधिक जा रहे हैं और इसीलिए समिति को लगा कि यह केएनपी से लगभग 550 किमी पूर्व में पन्ना लैंडस्केप के माध्यम से रीवा तक पहुंच सकते हैं।" राजेश गोपाल ने कहा, “अब, चीतों को स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी जाएगी, इसलिए हमने जिला प्रशासन और संभावित जिलों के वन अधिकारियों से चीता के स्वागत के लिए तैयार होने को कहा है। बैठक में, हमने मूल रूप से उन्हें क्या करें और क्या न करें इसके बारे में बताया है। उन्हें स्थानीय लोगों को चीता के बारे में जागरूक करने और चीता का सामना करने के तरीके सिखाने के लिए कहा गया है। इसी तरह, वन अधिकारियों को चीता दिखने के बाद उठाए जाने वाले बुनियादी कदमों के बारे में सूचित किया गया है।”
अभी और चीते छोड़े जाएंगे
हालांकि, गोपाल ने कहा कि अगर चीता राजस्थान की ओर बढ़ते हैं, तो वे उन अधिकारियों के साथ भी समन्वय करेंगे। अभी तक आठ चीते जंगल में घूम रहे हैं जबकि एक शावक सहित 10 चीते बाड़े में मौजूद हैं। आने वाले महीनों में छह और चीतों को कूनो नेशनल पार्क के जंगलों में छोड़ दिया जाएगा। आठ चीतों में से सात नेशनल पार्क तक ही सीमित हैं, पवन की तरह आशा भी इलाका खोज रही है।
एमपी वन विभाग के अधिकारी जगह की कमी के कारण दूसरे घर में अन्य चीतों को छोड़ने का अनुरोध कर रहे थे। हालांकि इन अधिकारियों से अब चीतों को किसी भी दिशा में स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति देने के लिए कहा गया है। एमपी वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हमें चीते की आवाजाही के बारे में सतर्क रहने के लिए कहा गया था। अब, हमें समिति द्वारा तय किए गए चीतों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों में जागरूकता पैदा करनी है।”