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पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की आज 116वीं जयंती, जानिए उनके सफर के बारे में

देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसानों के मसीहा कहे जाने वाले स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की आज जयंती है। चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को गाजियाबाद जिले के नूरपुर गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। वे...

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की आज 116वीं जयंती, जानिए उनके सफर के बारे में
लाइव हिन्दुस्तान ,नई दिल्लीSun, 23 Dec 2018 02:29 PM
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देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसानों के मसीहा कहे जाने वाले स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की आज जयंती है। चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को गाजियाबाद जिले के नूरपुर गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। वे स्वाधीनता आंदोलन के समय राजनीति में आए। उनके पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्य विरासत में चरण सिंह को सौंपा था। चरण सिंह के जन्म के 6 साल बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द गांव आकर बस गए थे।

आगरा विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई कर सन् 1928 में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में वकालत शुरू की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे, जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। सन् 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के 'पूर्ण स्वराज्य' उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया।

सन् 1930 में महात्मा गांधी के चलाए सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल होकर उन्होंने नमक कानून तोड़ने को डांडी मार्च किया। चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया इस कारण चरण सिंह को 6 महीने की कैद की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित कर दिया।

चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। चरण सिंह की ईमानदाराना कोशिशों की सदैव सराहना हुई। वह लोगों के लिए एक राजनीतिज्ञ से ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ता थे।

चौधरी चरण सिंह 3 अप्रैल 1967 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दोबारा 17 फरवरी 1970 को वह मुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपने सिद्धांतों व मर्यादित आचरण से कभी समझौता नहीं किया।

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