Chandrayaan 3: चांद की रात क्यों होती है खौफनाक, विक्रम और प्रज्ञान के जागने की उम्मीद कितनी?
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सुबह होने के साथ एक बार फिर से लैंडर और रोवर को जगाने के प्रयास हो रहे हैं। हालांकि अब तक उधर से कोई सिग्नल नहीं मिला है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लगातार प्रयास में है कि चंद्रयान के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान एक बार फिर जाग जाएं। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि चांद पर फिर से रात होने तक इन दोनों को जगाने का प्रयास होता रहेगा। हो सकता है कि कल ही दोनों जाग जाएं और ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें जागने में 14 दिन लग जाएं। चांद पर 6 अक्टूबर को फिर से रात होने लगेगी। इसलिए 5 अक्टूबर तक कोशिश जारी रहेगी कि उधर से कोई सिग्नल मिले। अगर रोवर और लैंडर जागते हैं तो यह इसरो के लिए प्लस पॉइंट यानी बोनस की तरह होगा क्योंकि लैंडिंग के बाद ही रोवर और विक्रम ने अपना काम खत्म कर लिया था।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर खौफनाक होती है रात
पहली बार है जब कोई मिशन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है। दरअसल चांद का दक्षिणी ध्रुव ज्यादा ठंडा रहता है और यहां की रातें बेहद खौफनाक होती हैं। इंसान तो किसी हालत में यहां सर्वाइव ही नहीं कर सकता। इसीलिए अब तक के सारे मिशन उत्तरी ध्रुव पर ही गए हैं। इसरो को भी इस बात का अंदाजा था कि चांद की खौफनाक रात झेलने के बाद प्रज्ञान और विक्रम को जगाना इतना आसान नहीं होगा।
200 डिग्री के नीचे पहुंच जाता है तापमान
चंद्रमा के साउथ पोल पर रात के वक्त लगातार तापमान में गिरावट होती जाती है। यहां तापमान माइनस 250 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। ऐसे में यहां किसी भी जीवित चीज का बचना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा चांद पर ठंडे अंधड़ भी चलते रहते हैं। भूकंप कभी भी आ सकता है। वायुमंडल ना होने की वजह से उल्कापिंड भी गिर सकते हैं। कह सकते हैं कि चांद पर हर पल चुनौतीभरा होता है। अब देखना है कि प्रज्ञान और रोवर में लगे पेलोड इस ठंड को बर्दाश्त कर पाए हैं या नहीं।
अब तक जितने भी लोग चांद पर गए हैं वे ऐसे समय में पहुंचे हैं जब वहां दिन हो चुका था। ऐसे में किसी को भी चांद के इस तापमान को बर्दाश्त नहीं करना पड़ा। हालांकि चंद्रयान 3 ने पहले ही चुनौती स्वीकार की थी और दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था। दरअसल इसी इलाके में पानी मिलने की संभावना ज्यादा है। रोवर प्रज्ञान ने चांद पर ऑक्सीजन जैसे तत्व की खोज की भी है जो कि आगे के लिए बेहद अहम साबित हो सकता है। हालांकि रोवर और प्रज्ञान चांद की खौफनाक रात के बाद जाग पाएंगे या नहीं, इसका इंतजार जारी है। इसरो का कहना है कि जागने और ना जाने की संभावना 50-50 पर्सेंट है।
