Chandrayaan-3: चांद पर नहीं जगे तो भी बड़े काम आएंगे विक्रम और प्रज्ञान, इसरो से समझिए कैसे
इसरो को उम्मीद है कि चांद पर दिन शुरू हो चुका है और 6 अक्टूबर तक वहां सूरज बना रहेगा। अगर विक्रम और प्रज्ञान रोवर नहीं जगे तो भी चिंता की बात नहीं, इसरो के वैज्ञानिकों से समझिए कैसे...

22 सितंबर की सुबह इसरो के लिए काफी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इस दिन विक्रम और प्रज्ञान रोवर को जगना था, पर ऐसा हो नहीं पाया। इसरो चीफ एस सोमनाथ का कहना है कि विक्रम लैंडर से सिग्नल नहीं मिल पा रहा है। लेकिन, इसरो की टीम 6 अक्टूबर तक अपनी कोशिश जारी रखेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि उम्मीद है कि चांद पर दिन शुरू हो चुका है और 6 अक्टूबर तक वहां सूरज बना रहेगा। अगर विक्रम और प्रज्ञान रोवर नहीं जगे तो भी चिंता की बात नहीं क्योंकि वे फिर भी बड़े काम आने वाले हैं। इसरो के वैज्ञानिकों से समझिए क्यों और कैसे...
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस महीने की शुरुआत में चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को सो जाने के बाद उनके साथ संचार बहाल करने की कोशिश कर रहा है। इसरो ने 2 सितंबर को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में घोषणा की थी कि प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा पर अपना सारा काम पूरा कर लिया है और अब उसे "सुरक्षित रूप से पार्क कर दिया गया है और स्लीप मोड में सेट कर दिया गया है"।
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इसरो के मुताबिक, “एपीएक्सएस और एलआईबीएस पेलोड बंद हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के माध्यम से पृथ्वी पर प्रेषित किया जाता है। फिलहाल, बैटरी पूरी तरह चार्ज है।" इसरो की टीम 6 अक्टूबर तक विक्रम और प्रज्ञान दोनों को जगाने की कोशिश कर रही है। इसरो चीफ सोमनाथ के मुताबिक, यह कोशिश अगले 14 दिन ही रहेगी। लेकिन, अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो...?
बड़े काम आएंगे विक्रम-प्रज्ञान
इसरो का कहना है कि अपने 14 दिनों के काम के दौरान रोवर ने चांद के दुर्लभ दक्षिणी ध्रुव की तस्वीरें जारी की थी। इसके अलावा चांद पर सल्फर और कई तत्वों की खोज की। इसरो का कहना है कि विक्रम और प्रज्ञान ने पहले 14 दिन जो काम किए वो ऐतिहासिक हैं और बहुत बड़ी उपल्ब्धि है। और अगर ये दोनों नहीं जागे तो ये ''भारत के चंद्र राजदूत के रूप में हमेशा के लिए वहीं रहेंगे।''
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क्यों नहीं जग पा रहे विक्रम और रोवर
इसरो का कहना है कि 22 सितंबर को, जब चंद्र सूर्योदय की उम्मीद थी, इसरो ने रोवर और लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक्स पर एक पोस्ट में इसरो ने कहा, “विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ संचार स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं ताकि उनकी जागने की स्थिति का पता लगाया जा सके। फिलहाल उनकी ओर से कोई संकेत नहीं मिले हैं। संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी रहेंगे।”
जगने की कितनी उम्मीद
विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि रोवर और लैंडर चीन के चंद्र लैंडर चांग'ई -4 और रोवर युतु -2 की तरह जाग सकते हैं, जिन्होंने 2019 में अपनी पहली चंद्र रात से बचने के बाद फिर से काम करना शुरू कर दिया था। हालांकि, इसरो के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने बीबीसी को बताया कि यह जरूरी नहीं है कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर जाग जाएं क्योंकि चंद्रमा पर रात के दौरान तापमान -200 से -250 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है और बैटरी को इसके लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। ऐसे अत्यधिक तापमान पर काम कर सके।
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को मूल रूप से केवल 14 दिनों तक संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
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