Chandrayaan 2 : इन खास वजहों से सभी को लुभाता है चांद
दूर बैठा चांद हमेशा ही हमें लुभाता रहता है। कभी ‘चंदा मामा’ के रूप में तो कभी ‘चौदहवी का चांद’ बनकर। कवियों और प्रेमियों को चांद जहां कल्पनाओं के नए पंख देता है, वहीं आस्तिकों...
दूर बैठा चांद हमेशा ही हमें लुभाता रहता है। कभी ‘चंदा मामा’ के रूप में तो कभी ‘चौदहवी का चांद’ बनकर। कवियों और प्रेमियों को चांद जहां कल्पनाओं के नए पंख देता है, वहीं आस्तिकों के जीवन में भी इसका खासा महत्व है। पौराणिक कथाओं में भी चांद अपनी चमक बिखेरता दिखता है। मगर चांद सिर्फ कल्पनाओं और धार्मिक अनुष्ठानों तक ही सीमित नहीं है। ऐसी बहुत सी वजह हैं, जिनकी वजह से दुनिया के हर देश की निगाहें चांद पर टिकी हुई हैं।
1. दूरी कम
-3,84,000 किलोमीटर दूरी है चांद और धरती के बीच
-1-2 सेकंड में भी चांद पर रेडियो संपर्क स्थापित हो जाता है
-1 घंटे से भी ज्यादा समय लग जाता है पृथ्वी और मंगल के बीच संपर्क स्थापित करने में
2. गुरुत्वाकर्षण कम
-चांद पर गुरुत्वाकर्षण कम है, इससे ऑर्बिटर्स और लैंडर्स के लिए काम आसान हो जाता है
चंद्रमा से चंद कदम दूर चंद्रयान 2, कैसे 15 मिनट होंगे अहम,खास बातें
3. नई जानकारियां
-दशकों के अध्ययन के बाद चांद का प्रत्येक नया मिशन नई जानकारियां जुटाने में कामयाब हो रहा है
-चंद्रयान-1 और जापान के सेलेन यान ने चांद पर पानी समेत कई खनिजों का पता लगाया
-यह भी नई जानकारी मिली कि चांद के जिस हिस्से पर सूरज की रोशनी नहीं पड़ती है, वहां बर्फ मौजूद है
4. चांद पर जीवन
-चांद पर पानी मिलने के संकेत मिल रहे हैं। अगर वहां बर्फीले पानी की बड़ी झीलें मिलती हैं, तो यह बड़ी सफलता होगी।
-इससे चांद पर इंसानी बस्ती बसाने की योजना को मजबूती मिलेगी क्योंकि पृथ्वी से पानी ले जाना बहुत महंगा पड़ेगा।
चंद्रयान के चांद तक पहुंचने के पहले इसरो ने की मजाकिया टिप्पणी
5. पृथ्वी के नए राज खुलेंगे
-चांद की परिस्थितियों से हमारे सौर मंडल के बारे में भी कुछ नए राज खुल सकते हैं।
-अपोलो मिशन से पहले माना जाता था कि चांद का निर्माण धूलभरे कणों के धीरे-धीरे इकट्ठा होने से हुआ
-मगर मिशन के बाद रातोंरात यह सोच पूरी तरह से बदल गई
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चांद पर छिपा है बेशकीमती धातुओं का खजाना
हिलियम-3 का खजाना छिपा है चांद पर
-चांद पर हिलियम-3 काफी ज्यादा मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन धरती पर इसकी उपलब्धतता न के बराबर है
-परमाणु कार्यक्रम के लिए हिलियम-3 को बहुत ही अहम माना जाता है
-साथ ही यह ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत भी है। चीन ने तो इसमें रुचि दिखानी शुरू भी कर दी है
इन बेशकीमती धातुओं का भी भंडार
-चांद की चट्टानों पर सल्फर मिलने के भी संकेत मिले हैं
-एक शोध के मुताबिक चंद्रमा पर मूल्यवान धातु प्लेटिनम और प्लाडियम का भंडार है
-चांद के आवरण पर मैग्निशियम और सिलिकॉन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध
-चांद की बाहरी और भीतरी सतह पर आयरन मौजूद
सियासत से भी अछूता नहीं :
सौ देशों के बीच 1967 की संधि के मुताबिक कोई भी देश चांद पर अपना दावा नहीं कर सकता। मगर वहां मौजूद बहुमूल्य खनिजों की वजह से देशों के बीच आगे निकलने की होड़ भी है। वर्तमान में प्रमुख देश चांद पर अपना दखल रखना चाहते हैं ताकि भविष्य में अगर आर्थिक व अनुसंधान विकास के लिए इसके जोन का बंटवारा हो, तो वो पीछे न रहें।
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450 करोड़ साल पहले जन्मा था चांद
वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद का जन्म करीब 450 करोड़ साल पहले हुआ था। इस बारे में थ्योरी है कि एक विशाल गृह ‘थिया’ के पृथ्वी से टकराने पर चांद का जन्म हुआ था। चांद के चट्टानी टुकड़ों पर 'थिया' नाम के ग्रह की निशानियां दिखती हैं।
जानें चांद से जुड़ी अहम बातें
- 150 से ज्यादा चांद हैं ब्रहृमांड में
-32,000 ईसा पूर्व के कैलेंडर में भी चांद का जिक्र
सौर मंडल में पांचवां सबसे बड़ा चांद
चांद ग्रह
गेनीमेड बृहस्पति
टाइटन शनि
कैलिस्टो बृहस्पति
आईओ बृहस्पति
चांद पृथ्वी
चीन बराबर चांद
-2159 मील (3475 किलोमीटर) व्यास है चांद का
-2193 मील (3530 किलोमीटर) व्यास है चीन का
शीतलता देने वाले चांद पर कभी बहता था लावा
-200 करोड़ साल पहले चांद भौगोलिक रूप से सक्रिय था
-चांद उस समय मैग्मा (लावा) से पूरी तरह से ढंका हुआ था
-मगर अब चांद पर पानी-बर्फ के कुछ ही निशान दिखते हैं
-अब चांद पूरी तरह से धूल और पत्थरों से ढंका हुआ है
इतने बड़े गड्ढे कि पूरा एवरेस्ट समा जाए
-लाखों क्रेटर हैं चांद की सतह पर
-5185 क्रेटर (गड्ढे) चांद पर जिनकी चौड़ाई 20 किलोमीटर से भी ज्यादा
-साउथ पोल एटकिन बेसिन सबसे बड़ा क्रेटर है चांद पर
-2500 किलोमीटर में फैला है यह क्रेटर, 13 किलोमीटर गहराई है इसकी
-यह इतना गहरा है कि पूरा माउंट एवरेस्ट इसमें समा सकता है
धरती से कितनी दूर
-30 पृथ्वी के बराबर औसतन दूरी है चांद की धरती से
-3,84,400 किलोमीटर दूर है चांद धरती से
-पृथ्वी के चक्कर लगाते समय चांद धरती की बराबर गति से ही घूमता है
-इस वजह से चांद की एक ही साइड हमेशा धरती की ओर होती है
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चांद की प्रमुख आठ कलाएं
1. अमावस्या (न्यू मून) : यह चरण तब होता है जब चांद पृथ्वी और सूरज के बीच आता है। सूर्य के सबसे करीब होने की वजह से हम इसे देख नहीं पाते।
2. वर्धमान चांद (वैक्सिंग क्रिसेंट): आसमान में जब सूर्य पूर्व की ओर बढ़ता है, तब यह स्थिति होती है। इस चरण में हमें चांद की एक बारीक सी रेखा दिखने लगती है।
3. अर्धचंद्र (फर्स्ट क्वार्टर) : अमावस्या के करीब सात दिन बाद चांद पृथ्वी के बगल में आ जाता है। इस स्थिति में हमें आधा चांद दिखने लगता है।
4. कुबड़ा चांद (गिबस मून) : इस स्थिति में चांद का काफी सारा हिस्सा हमें देखने को मिलता है। ‘गिबस’ का मतलब बढ़ना होता है।
5. पूर्णिमा (फुल मून) : अमावस्या के करीब दो हफ्ते बाद पृथ्वी चांद और सूरज के बीच आ जाती है। इससे हमें पूरा चमकता चांद देखने को मिलता है।
6. कुबड़ा चांद (गिबस मून) : पूर्णिमा के बाद चांद सूर्य के करीब पहुंचने लगता है, जिससे हमें वो घटता नजर आता है।
7. अर्धचंद्र (थर्ड क्वार्टर) : चांद वापस से पृथ्वी के बगल आ जाता है। अब तक चांद अपनी कक्षा का तीन चौथाई हिस्सा पार कर चुका होता है।
8. वर्धमान चांद (वेनिंग क्रिसेंट मून) : यह चांद के सफर का आखिरी चरण होता है।