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chandrayaan 2: चंद्रयान ने अमेरिका-रूस की चांद में दिलचस्पी बढ़ाई

भारत के चंद्रयान कार्यक्रम ने जहां चीन के लिए प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा कर दिया, वहीं 50 साल पहले चांद पर पहुंच चुके अमेरिका और रूस को फिर से चंद्र मिशन में दिचलस्पी लेने को मजबूर कर दिया है। आज...

chandrayaan 2: चंद्रयान ने अमेरिका-रूस की चांद में दिलचस्पी बढ़ाई
मदन जैड़ा,नई दिल्लीTue, 23 Jul 2019 05:37 AM
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भारत के चंद्रयान कार्यक्रम ने जहां चीन के लिए प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा कर दिया, वहीं 50 साल पहले चांद पर पहुंच चुके अमेरिका और रूस को फिर से चंद्र मिशन में दिचलस्पी लेने को मजबूर कर दिया है। आज अमेरिका चंद्रमा में अपनी जगह बनाने के लिए आतुर है। वहीं, रूस ने ऐलान किया है कि 2030 तक चंद्रमा पर इंसान उतारेगा। 

 चंद्रमा पर साठ के दशक में रूस और अमेरिका ने अनेक मिशन किए। रूस ने जहां कई सॉफ्ट र्लैंंडग चांद पर की। वहीं, अमेरिका ने 15 मिशन चांद पर भेजे, जिनमें से छह मिशन में 12 इंसान चांद पर उतरे। लेकिन लौटकर उन्होंने बताया कि चंद्रमा पर धूल और चट्टान के अलावा कुछ भी नहीं है तो अमेरिका ने ये खर्चीले अभियान बंद कर दिए। तब रूस ने भी अपने चंद्रमिशन कार्यक्रम समेट लिए। नतीजा यह हुआ कि 1976 के बाद चांद पर कोई अभियान नहीं उतरा। करीब 37 सालों के बाद 2013 में चीन के चेंग-3 ने चांद पर साफ्ट र्लैंंडग की। 

चंद्रयान से प्रतिस्पर्धा

चंद्रमिशन कार्यक्रम में आज चीन भारत से भले ही थोड़ा आगे हो, लेकिन उसे इस प्रतिस्पर्धा में चंद्रयान ही लाया। चंद्रयान-1 की तैयारी वाजपेयी सरकार में शुरू हुई थी जिसकी देखादेखी चीन ने भी तैयारी शुरू की। चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण 2008 में हुआ, जबकि चीन ने एक साल पहले ही चेंग-1 भेज दिया। चंद्रयान-2 में और देरी हुई, जबकि चीन ने 2013 में चांद पर साफ्ट र्लैंंडग कर दी। 

अमेरिका का कार्यक्रम संभव

संभावना है कि भविष्य में अमेरिका अपना चंद्रमिशन कार्यक्रम फिर शुरू कर सकता है। वैसे, खबर यह भी है कि जहां अपोलो शृंखला के यान चांद पर उतरे थे, उस क्षेत्र को अमेरिका ऐतिहासिक स्थान बताते हुए अपनी मिल्कियत सुनिश्चित करने का रास्ता खोज रहा है।

कई अन्य देश भी कतार में

रूस ने सबसे पहले चांद में सॉफ्ट र्लैंंडिंग में सफलता हासिल की लेकिन कभी इंसानों को वहां भेजना जरूरी नहीं समझा। रूस की तरफ से अमेरिका के उन अभियानों पर सवाल उठाए जिन्होंने चांद पर कदम रखे। अब वह खुद अपने वैज्ञानिकों को चांद पर भेजने के पक्ष में है। 

उसने 2030 में अपने वैज्ञानिकों को चांद पर भेजने का ऐलान कर दिया है। इसी प्रकार जापान और यूरोपीय यूनियन अपने चंद्रमिशन कार्यक्रम को विस्तार देने में लगे हैं जबकि इजरायल और बुल्गारिया जैसे देश नए शुरू करने की तैयारी में हैं। 

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