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LIVE: कैलाश विजयवर्गीय बोले, ममता बनर्जी की नैतिक हार, प्रजातंत्र की जीत

सुप्रीम कोर्ट में (Supreme Court) कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार (Kolkata Police Commissioner Rajeev Kumar) पर शारदा चिटफंड घोटाला मामले (Sardha Chitfund Scam Case) से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक सबूत नष्ट...

कैलाश विजयवर्गीय (हिन्दुस्तान टाइम्स)
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रविशंकर प्रसाद (ANI)
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सुप्रीम कोर्ट और ममता बनर्जी
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नई दिल्ली, एजेंसीTue, 05 Feb 2019 12:47 PM
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सुप्रीम कोर्ट में (Supreme Court) कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार (Kolkata Police Commissioner Rajeev Kumar) पर शारदा चिटफंड घोटाला मामले (Sardha Chitfund Scam Case) से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक सबूत नष्ट करने का आरोप लगाने वाली सीबीआई (CBI) की अर्जियों पर सुनवाई हुई। सीजेआई रंजन गोगोई ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर से जांच में सहयोग करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना के मामले में कोलकाता पुलिस कमिश्ननर, डीजीपी और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया। वहीं, कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 20 फरवरी तय की है। इस बीच पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार शिलॉन्ग में सीबीआई के सामने पेश होंगे। 

पढ़ें सुप्रीम कोर्ट के LIVE UPDATES:

- तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को लोकसभा की बैठक एक बार के स्थगन के बाद 12:30 बजे दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित।

- बीजेपी के महासचिव एवं पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने न्यायालय का फैसला आने के बाद ट्वीट करके कहा, 'ममता बनर्जी की नैतिक हार। प्रजातंत्र की जीत। राजीव कुमार को सीबीआई के सामने पेश होने के आदेश।' 

- केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लाखों छोटे निवेशकों के साथ धोखा किया गया और लूटा गया। क्या जांच का हमारा नैतिक दायित्व नहीं है? ममता जी इस पर चुप क्यों हैं? अन्य राजनीतिक दल इस पर चुप क्यों हैं?

- कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के जांच को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर ममता बनर्जी ने कहा कि राजीव कुमार ने कभी नहीं कहा कि वे उपस्थित नहीं रहेंगे।

- सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, यह हमारी नैतिक जीत है। हम न्यायपालिका और सभी संस्थानों का सम्मान करते हैं।

- कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार की गिरफ्तारी समेत कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा : न्यायालय ।

-न्यायालय ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को सीबीआई के समक्ष स्वयं को उपलब्ध कराने और शारदा घोटाला जांच में पूरा सहयोग करने का आदेश दिया। 

- सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह अपमान और नंबर पाने की कोशिश है।

- सिंघवी ने पूछा कि मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों थी? पांच साल तक कोई एफआईआर नहीं हुई। आईपीसी की धारा 201 के तहत राजीव कुमार के खिलाफ कोई भी एफआईआर नहीं है।

- कोलकाता पुलिस ने छेड़छाड़ किए हुए कॉल डेटा रिकॉर्ड मुहैया कराए : अटॉर्नी जनरल 

- अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सीबीआई की ओर से बहस शुरू की, शारदा चिटफंड घोटाला मामले में सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया।

-कोलकता उच्च न्यायालय ने कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार से जुड़ा मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचने के कारण इसकी सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित की ।

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इससे पहले कोर्ट ने सोमवार को सख्त शब्दों में कहा कि यदि रंचमात्र भी यह पता चला कि पुलिस आयुक्त साक्ष्य नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं तो उनके साथ सख्ती से पेश आया जायेगा।
     
शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के आवेदनों पर मंगलवार को सुनवाई की जायेगी जिनमें आरोप लगाया गया है कि असाधारण परिस्थितियां उत्पन्न होने की वजह से उसने यह आवेदन दायर किये हैं जिसमें पश्चिम बंगाल पुलिस के शीर्ष अधिकारी कोलकाता में एक राजनीतिक दल के साथ धरना दे रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष जांच ब्यूरो की ओर से सोमवार को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार पर शारदा चिटफंड घोटाले से संबंधित मामले के साक्ष्य नष्ट करने और न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाते हुये इसका उल्लेख किया।

पीठ ने हालांकि इन आवेदनों पर सोमवार को अपराह्न के सत्र में सुनवाई करने से इंकार कर दिया। पीठ ने कहा कि इस दौरान सॉलिसीटर जनरल या कोई भी अन्य पक्ष ऐसी सामग्री या साक्ष्य न्यायालय में पेश कर सकता है जिससे यह पता चलता हो कि पश्चिम बंगाल में प्राधिकारी या पुलिस अधिकारी इस मामले से संबंधित साक्ष्य नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं।

पीठ ने कहा कि इस तरह की सारी सामग्री और साक्ष्य उसके समक्ष हलफनामे के माध्यम से दायर किये जाने चाहिए। सॉलिसीटर जनरल की दलीलों का संज्ञान लेते हुये पीठ ने कहा कि यदि रंचमात्र भी यह पता चला कि पुलिस आयुक्त साक्ष्य नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं तो हम उनसे सख्ती से पेश आयेंगे और वह इसे भूलेंगे नहीं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार की रात साढ़े आठ बजे से ही धरना दे रही हैं। सोमवार को उन्होंने कोलकाता के पुलिस प्रमुख से पूछताछ के सीबीआई के प्रयास को लेकर अपने धरने को गैर राजनीतिक विरोध करार दिया। इससे पहले, सुबह सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ''असाधारण परिस्थिति उत्पन्न हो गयी है जिसमें रविवार की रात में पश्चिम बंगाल पुलिस ने सीबीआई के अधिकारियों को उस वक्त हिरासत में ले लिया जब वे शारदा चिट फंड प्रकरण की जांच के सिलसिले में साक्ष्यों के लिये कोलकाता पुलिस आयुक्त के कार्यालय गये थे।
     
मेहता ने कहा कि पुलिस ने सिर्फ गिरफ्तार ही नहीं किया बल्कि संयुक्त निदेशक (पूर्व) पंकज श्रीवास्तव का आवास भी घेर लिया और उनके परिवार को बंधक बनाकर रखा। यही नहीं, पुलिस ने कोलकाता में सीजीओ परिसर में स्थित सीबीआई कार्यालय की घेराबंदी भी की गयी। सॉलिसीटर जनरल के इस कथन के बीच ही पीठ ने उनसे जानना चाहा कि सोमवार की सुबह क्या हालात थे तो उन्होंने कहा कि सीबीआई अधिकारियों को रिहा कर दिया गया है।
    
संयुक्त निदेशक ने टेलीकांफ्रेंस के माध्यम से मीडिया चैनलों को अपने आवास की घेराबंदी किये जाने और परिवार को एक तरह से बंधक बनाये जाने की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में तत्काल आदेश की आवश्यकता है क्योंकि सीबीआई की जांच के दायरे में आये कोलकाता के पुलिस आयुक्त शारदा घोटाले से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और सामग्री नष्ट कर सकते हैं।
     
मेहता ने कहा कि शारदा चिटफंड घोटाले की जांच में शामिल होने के लिये कोलकाता के पुलिस आयुक्त को बार-बार समन भेजे जाने पर भी उन्होंने इनका जवाब नहीं दिया और , ''जब हमारा दल उनके आवास पर पहुंचा तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

सालिसीटर जनरल ने कहा कि शुरूआत में सीबीआई में संबद्ध अधिकारियों के बीच रात में ही शीर्ष अदालत में आवेदन दायर करने के बारे में मंत्रणा हुयी लेकिन बाद में सोमवार सवेरे तक इंतजार करने का निर्णय लिया गया। पीठ ने जब यह कहा कि सीबीआई अधिकारी अब गिरफ्तार नहीं हैं तो सॉलिसीटर जनरल ने जवाब दिया कि रोजाना के आधार पर राज्य पुलिस जांच एजेन्सी के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर रही है।

सॉलिसीटर जनरल ने न्यायालय से कहा कि जांच एजेन्सी ने दो आवेदन दायर किये हैं। पहले आवेदन में पुलिस आयुक्त को तत्काल समर्पण करने और किसी भी साक्ष्य को नष्ट नहीं करने का आदेश देने का अनुरोध न्यायालय से किया गया है। दूसरा आवेदन पुलिस आयुक्त द्वारा न्यायालय की अवमानना के बारे में है क्योंकि इस मामले में शीर्ष अदालत के आदेश पर ही जांच की जा रही है।
    
सॉलिसीटर जनरल ने जब महसूस किया कि इस मामले की सोमवार को सुनवाई नहीं हो पायेगी तो उन्होंने कहा कि यह असाधारण परिस्थितियों वाला मामला है जिसमें पुलिस आयुक्त एक राजनीतिक दल के साथ धरने पर बैठे हैं। उन्होंने पीठ से कहा, कृपया इस तथ्य का संज्ञान लें कि वर्दी में लोग एक राजनीतिक दल के साथ धरना दे रहे हैं और इसलिए इस पर अपराह्न दो बजे सुनवाई की जाए। मेहता की इस दलील पर पीठ ने कहा, यदि सारे साक्ष्य नष्ट कर दिये जाएं तो भी यह इलेक्ट्रानिक रूप में हैं और इन्हें हासिल किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि उसने अवमानना याचिका का अवलोकन किया है और इसमें ऐसा कुछ नहीं है। इसी वजह से हम पांच मिनट देर से एकत्र हुये हैं।

हालांकि, सॉलिसीटर जनरल ने स्पष्ट किया, ''कल जब अंतरिम आवेदन तैयार किये गये तो हमारे पास हमारा रिकार्ड नहीं था। वह पुलिस की घेराबंदी में था। हमें यह रिकार्ड आज ही मिला है। इस पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जांच ब्यूरो के आवेदन का विरोध किया और कहा, मैं (पुलिस आयुक्त) आरोपी नहीं हूं। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मेरे पक्ष में आदेश दे रखा है। हालांकि, पीठ ने उन्हें बीच में ही टोकते हुये अपना आदेश लिखा दिया।

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