केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र के लिए भूमि हस्तांतरण के नए नियमों को दी मंजूरी, जानें इसके फायदे
विकास कार्यों के लिए रक्षा मंत्रालय की भूमि के बदले अब दूसरे विभाग रक्षा मंत्रालय को भवन या अन्य बुनियादी सुविधाएं भी बदले में तैयार करके दे सकेंगे। पहले भूमि के बदले भूमि देने का नियम था, जिसमें...

विकास कार्यों के लिए रक्षा मंत्रालय की भूमि के बदले अब दूसरे विभाग रक्षा मंत्रालय को भवन या अन्य बुनियादी सुविधाएं भी बदले में तैयार करके दे सकेंगे। पहले भूमि के बदले भूमि देने का नियम था, जिसमें भूमि हस्तांतरण में काफी समय लग जाता था। अब रक्षा मंत्रालय ने रक्षा भूमि हस्तांतरण के नए नियमों को मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे रक्षा महकमे भूमि हस्तांतरण से अपने संसाधनों में बढ़ोत्तरी कर सकेंगे।
सड़क, मेट्रो, बिजली परियोजनाओं आदि के लिए अक्सर बीच में रक्षा भूमि आ जाती है। इसके लिए रक्षा भूमि का हस्तांतरण करना होता है। मौजूदा समय में नियम यह है कि जितनी भूमि हस्तांतरित की जानी है, उतनी ही जमीन सेना को उपयुक्त स्थान पर देनी होगी। इसकी कीमत भी बराबर होनी चाहिए, लेकिन राजमार्ग प्राधिकरण, मेट्रो, पावर जैसी एजेंसियों के पास जमीन नहीं होती है। वे राज्यों से बात करते हैं। राज्य से जमीन लेकर रक्षा महकमे को देते हैं, लेकिन जहां जमीन मिलती है, वहां रक्षा महकमे के काम की नहीं होती है। ऐसे में दोबारा जमीन देखी जाती है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लग जाता है। इस बीच प्रोजेक्ट की कीमत बढ़ जाती है।
नए निमयों के मुताबिक जितनी रक्षा भूमि किसी महकमे को दी जानी है, उसका बाजार मूल्य निकाला जाएगा। उसके बाद जो महकमा उसे ले रहा है, उसे यह विकल्प दिया जाएगा कि वह उतनी राशि का कोई बुनियादी ढांचा संबंधित रक्षा महकमे के लिए बना दे, जिसकी महकमे को जरूरत है। जैसे कोई भवन, ऑडिटोरियम, स्टेडियम, आवासीय परिसर आदि। इससे एक तो बदले में जमीन देने की जरूरत नहीं रहेगी। दूसरे रक्षा महकमे के खर्च में भी बचत होगी। जमीन हस्तांतरण का कार्य भी जल्दी हो जाएगा।
डॉयरेक्टर जनरल ऑफ डिफेंस स्टेट के पूर्व महानिदेशक जे. शर्मा ने कहा कि इससे रक्षा महकमे को अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए संसाधन मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि जहां जमीन के बदले जमीन का अच्छा विकल्प होगा, वह भी खत्म नहीं किया गया है तथा उसका उपयोग किया जा सकता है। तीसरा और अंतिम विकल्प कीमत की भुगतान का भी खुला रहेगा, लेकिन जमीन के बदले उसकी कीमत के बराबर की बुनियादी सुविधाएं तैयार करने की पहल अच्छी है। इससे विकास योजनाओं को रफ्तार मिलेगी।




