मणिपुर फर्जी एनकाउंटर: CRPF, इंफाल पुलिस, असम रायफल्स के खिलाफ पांच FIR
मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ को लेकर सीबीआई ने सीआरपीएफ, इंफाल पुलिस और असम रायफल्स के खिलाफ पांच एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से इस हत्या की जांच करने के आदेश दिए...
मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ को लेकर सीबीआई ने सीआरपीएफ, इंफाल पुलिस और असम रायफल्स के खिलाफ पांच एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से इस हत्या की जांच करने के आदेश दिए थे।
गौरतलब है कि सर्वोच्च अदालत ने मणिपुर में अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान पिछले साल 14 जुलाई को एक एसआईटी गठित की थी।
Central Bureau of Investigation (CBI) registered five FIRs against CRPF, Imphal Police and Assam Rifles personnel in connection with alleged Manipur fake encounter cases under murder with common intention. The Supreme Court had earlier ordered the CBI to probe the killings. pic.twitter.com/oCMYfzXHib
— ANI (@ANI) December 8, 2018
शीर्ष अदालत ने एफआईआर दर्ज कराने और कथित अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं के मामलों की जांच का आदेश दिया था। मणिपुर में वर्ष 2000 से 2012 के बीच सुरक्षाबलों और पुलिस पर कथित रूप से 1528 फर्जी एनकाउंटर और अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं का आरोप है।
इससे पहले, अटॉर्नी जनरल ने सर्वोच्च अदालत की उस टिप्पणी पर भी ऐतराज जाहिर किया था जिसमें जस्टिस लोकुर और जस्टिस ललित की बेंच ने कहा था कि जिन लोगों ने कत्ल किया है, वे खुलेआम घूम रहे हैं। मणिपुर पुलिस की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि इस मामले को जस्टिस लोकुर और जस्टिस ललित की बेंच को नहीं सुनना चाहिए। इस बात पर जस्टिस ललित ने कहा कि जो टिप्पणी की गई थी, वे किसी पुलिसवाले के खिलाफ नहीं थी। अगर आप चाहते हैं, तो हम आदेश जारी कर सकते हैं।
उसके बाद इस मामले में केंद्र ने कहा था कि सेना के जवान जीवन और मौत से लड़ रहे हैं। अगर कोर्ट की ये टिप्पणी है, तो उनका मोरल गिरता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप ये कहना चाहते हैं कि हम केस को मॉनिटर न करें। इसके जवाब में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस मामले की सुनवाई किसी दूसरी बेंच में हो और सीबीआई स्वतंत्र हो कर जांच करे।
14 जुलाई को हुआ था एसआईटी का गठन
मणिपुर में कथित तौर पर न्यायेत्तर हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पिछले साल 14 जुलाई को एक एसआईटी का गठन किया था और इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का आदेश दिया था।