CBDT का आयकर अधिकारियों को निर्देश, सुनियोजित कर चोरी के मामलों में दायर करें अपील
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर अधिकारियों को शुक्रवार को निर्देश दिया कि वह दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) या अल्पकालिक पूंजी हानि (एसटीसीएल) के जरिए की गई 'सुनियोजित कर चोरी'...
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर अधिकारियों को शुक्रवार को निर्देश दिया कि वह दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) या अल्पकालिक पूंजी हानि (एसटीसीएल) के जरिए की गई 'सुनियोजित कर चोरी' के मामलों को बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ायें। बोर्ड ने कहा कि कर चोरी के ऐसे मामलों में कर मांग को लेकर तय की गई मौद्रिक सीमा के दायरे में नहीं बंधें और इस तरह के मामलों को आगे बढ़ायें।
पीटीआई-भाषा को मिले सीबीडीटी आदेश में कहा गया है कि बोर्ड को बड़ी संख्या में एलटीसीजी और एसटीसीएल के माध्यम से संगठित कर चोरी के मामलों की जानकारी मिली। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है। आयकर विभाग ने सीबीडीटी को सूचित किया था कि कर विवादों के मामले में हाल में बढ़ाई गई मौद्रिक सीमा के कारण वह इन मामलों को उच्च न्यायिक मंचों पर लाने में 'असमर्थ' है।'
इसमें कहा गया था कि "काफी मामलों में, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरणों (आईटीएटी) और उच्च न्यायालयों ने इस तरह के घोटालों में शामिल आधुनिक कार्य प्रणाली (एलटीसीजी और एसटीसीएल) को मान्यता दी है और राजस्व के पक्ष में फैसला सुनाया है। इसलिए सीबीडीटी ने आदेश में निर्देश दिया कि अपील मामले के ''गुण दोष के आधार पर " दायर की जा सकती है।
आदेश में कहा गया है कि बोर्ड विशेष आदेश के माध्यम से संगठित कर चोरी के मामलों में अपील दाखिल करने का निर्देश दे सकता है , भले ही वे तय मौद्रिक सीमा से कम का मामला क्यों न हो। सीबीडीटी ने हाल ही में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में विभाग की ओर से की जाने वाली कर मामलों की अपील की मौद्रिक सीमा को 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया है। वहीं, उच्च न्यायालय के मामले में यह सीमा बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गयी है। उच्चतम न्यायालय के मामले में अपील दायर करने के कर मामलों की सीमा एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दी गई है।
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