60 साल बाद भारत आ रहे हैं कंबोडिया के राजा, जानिए क्यों खास है यह दौरा
कंबोडिया के राजा की यात्रा 30 मई 2023 को सुबह राजपथी भवन में सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर के साथ शुरू होगी। इसके बाद वह पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए राज घाट जाएंगे।

कंबोडिया के राजा नोरोडोम सिहामोनी 60 साल बाद भारत दौरे पर आ रहे हैं। वे 29 से 31 मई तक भारत की राजकीय यात्रा पर रहेंगे। कंबोडियाई किंग की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। आखिरी बार कंबोडिया के राजा लगभग छह दशक पहले 1963 में भारत आए थे।
यह यात्रा 1952 में स्थापित भारत और कंबोडिया के बीच संबंधों की 70 वीं वर्षगांठ को चिह्नित करेगी। विदेश मंत्रालय सचिव (पूर्व) सौरभ कुमार ने शुक्रवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "उनके साथ रॉयल पैलेस के मंत्री, सीनेट के अध्यक्ष, विदेश मामलों के मंत्री और 27 सदस्यीय उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा।" भारत के राष्ट्रपति द्वारा कंबोडिया की पिछली यात्रा 2010 में हुई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने 2010 में कंबोडिया की यात्रा की थी। राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1959 में कंबोडिया का दौरा किया था।
कंबोडिया के राजा की यात्रा 30 मई 2023 को सुबह राजपथी भवन में सेरेमोनियल गार्ड ऑफ ऑनर के साथ शुरू होगी। इसके बाद वह पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए राज घाट जाएंगे। विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) ने बताया कि कंबोडियाई राजा का भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलने का कार्यक्रम है। विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर भी उनसे मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राजा के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में भोज का आयोजन करेंगी।
कंबोडिया के साथ भारत के संबंधों के बारे में एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि देते हुए, सौरभ कुमार ने कहा कि भारत और कंबोडिया संबंधों की जड़ें भारत से निकलने वाले हिंदू और बौद्ध सांस्कृतिक प्रभावों में हैं। उन्होंने कहा, "ये ऐतिहासिक संबंध हमारे समकालीन संबंधों को एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं। भारत ने 1952 में कंबोडिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे।" भारत पहला लोकतांत्रिक देश था जिसने कंबोडिया में नई सरकार को मान्यता दी और 1981 में अपने राजनयिक मिशन को फिर से खोला था। भारत ने 1991 के पेरिस शांति समझौते को अंतिम रूप देने में भी सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभाई और कंबोडिया में संयुक्त राष्ट्र संक्रमणकालीन प्राधिकरण के संचालन व 1993 में अनटक-प्रायोजित चुनावों में योगदान दिया।
उन्होंने कहा, "भारत के इस योगदान को कंबोडिया में आज भी सराहा और याद किया जाता है।" इसके अलावा, भारत-कंबोडिया संबंधों की गहराई के बारे में विस्तार से बताते हुए, सौरभ कुमार ने कहा, "आसियान और मेकांग गंगा निगम कंबोडिया ने 2002 में पहले भारत आसियान शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। इसने 2022 में आरसीआर की अध्यक्षता की थी।"