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विदेशी कंपनियों के 85 फीसदी ऑफसेट दावे गलत पाए गए, CAG की रिपोर्ट में हुआ है खुलासा

केंद्र सरकार ने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया में दो सरकारों के बीच होने वाले रक्षा सौदों में ऑफसेट के प्रावधान को खत्म कर दिया है। हालांकि, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुसार विदेशी कंपनियों...

विदेशी कंपनियों के 85 फीसदी ऑफसेट दावे गलत पाए गए, CAG की रिपोर्ट में हुआ है खुलासा
मदन जैड़ा, हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Wed, 30 Sep 2020 06:37 AM
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केंद्र सरकार ने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया में दो सरकारों के बीच होने वाले रक्षा सौदों में ऑफसेट के प्रावधान को खत्म कर दिया है। हालांकि, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुसार विदेशी कंपनियों ने पूर्व में 85 फीसदी तक गलत ऑफसेट दावे पेश किए, जो अस्वीकार कर दिए गए। आपको बता दें कि जब विदेशों से 300 करोड़ से अधिक की खरीद होती है तो ऑफसेट प्रावधानों के तहत विदेशी कंपनियों को 30 फीसदी कल-पुर्जों की खरीद भारतीय रक्षा उत्पादकों से करनी होती है। अन्य विकल्प निवेश और तकनीक हस्तांतरण के हैं।

सीएजी की यह रिपोर्ट हाल में संसद में पेश की गई है। सीएजी ने 17 ऑफसेट कांट्रेक्ट जिनका कुल मूल्य 2,710.98 करोड़ रुपये था, का लेखा परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय के समक्ष विदेशी कंपनियों ने ऑफसेट प्रावधान पूरे करने के उपरोक्त राशि के प्रमाण पेश किए। रक्षा मंत्रालय ने जांच में सिर्फ 409.83 करोड़ रुपये के दावे ही सही पाए, जो कुल मूल्य का महज 15 फीसदी था। यानी 85 फीसदी मूल्य के कांट्रेक्ट दावे सही नहीं पाए गए।

दूसरे सामान का बिल लगा दिया
सीएजी की रिपोर्ट के नतीजे पर जाएं तो विदेशी रक्षा कंपनियों ने ऑफसेट प्रावधानों को पूरे करने के झूठे दावे रक्षा मंत्रालय के समक्ष किए। दावों में मिलीं विसंगतियों से यह स्पष्ट हो जाता है। जैसे कुछ मामलों में खरीद का आदेश देने से पूर्व का बिल जारी हुआ पाया गया। कुछ मामलों में सामान कुछ और खरीदा गया है तथा बिल दूसरे सामान का लगाया गया है।

सीएजी ने कहा, बेमानी हो गया है ऑफसेट प्रावधान
सीएजी ने कहा कि ऑफसेट प्रावधान बेमानी हो गया है। अधिकतर मामलों में विक्रेताओं ने जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए। जैसे शिपिंग बिल, लैंडिंग बिल आदि। इनसे खरीद किए जाने की पुष्टि होती है। कई मामलों में विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनी को भुगतान किए जाने के प्रमाण पेश नहीं कर पाईं। कुछ ऐसे भी मामले पकड़े गए, जिसमें भारतीय विक्रेता ने किसी तीसरी कंपनी को कोई सामान बेचा, जिसके बिल ऑफसेट दावे के तौर पर लगा दिए गए।

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