युद्ध स्मारक बनवाने का मतलब Amar Jawan Jyoti बुझाना नहीं, केंद्र पर बरसी कांग्रेस
नई दिल्ली में इंडिया गेट पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय किया जाएगा। हालांकि, मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो...

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नई दिल्ली में इंडिया गेट पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय किया जाएगा। हालांकि, मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी मोदी सरकार पर जमकर बरसे हैं। उन्होंने कहा, ''जो कुछ भी किया जा रहा है वह एक राष्ट्रीय त्रासदी है। इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास किया जा रहा है। अमर जवान ज्योति को युद्ध स्मारक मशाल में मिलाने का अर्थ है इतिहास को मिटाना।''
न्यूज एजेंसी एएनआई ने मनीष तिवारी के हवाले से कहा, ''बीजेपी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाया है। इसका मतलब यह नहीं है कि वे अमर जवान ज्योति को बुझा सकते हैं।''
राहुल गांधी का भी मोदी सरकार पर हमला
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि कुछ लोग देशप्रम और बलिदान को नहीं समझ सकते। राहुल गांधी ने कहा, 'बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे।''
बुझा नहीं रहे, विलय हो रही ज्योति: सेना
सेना के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार दोपहर को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय किया जाएगा जो कि इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है।
सोशल मीडिया पर भी मचा हंगामा
केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग अलग-अलग राय दे रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार का यह कदम सही है और अंग्रेजों के बनाए इंडिया गेट की बजाय उसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में ही रखा जाना चाहिए। वहीं एक वर्ग ऐसा भी है, जो मानता है कि इंडिया गेट में रखी अमर जवान ज्योति लोगों के दिलों में बसती है और उससे यादें जुड़ी हैं। ऐसे में युद्ध स्मारक पर एक ज्योति अलग से भी रखवाई जा सकती थी।
पीएम मोदी ने किया था वॉर मेमोरियल का उद्घाटन
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जोकि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।