बजट: शहरों की हवा से लेकर भविष्य की हाइड्रोजन तकनीक पर जोर
बजट में प्रदूषण की रोकथाम से लेकर जलवायु खतरों से निपटने के लिए स्वच्छ ऊर्जा पर फोकस किया गया है। सबसे बड़ा ऐलान 42 शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए 2217 करोड़ रुपये का आवंटन एवं हाइड्रोजन ऊर्जा...

बजट में प्रदूषण की रोकथाम से लेकर जलवायु खतरों से निपटने के लिए स्वच्छ ऊर्जा पर फोकस किया गया है। सबसे बड़ा ऐलान 42 शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए 2217 करोड़ रुपये का आवंटन एवं हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन पर कार्य शुरू करना है। देश के शहर प्रदूषण की चपेट में हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पहले ही राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनकैप) शुरू कर चुका है। इसके तहत 127 शहरों में प्रदूषण की रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं। जिसके लिए पिछले बजट में 4400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस बार इनमें से 42 शहरों के लिए अलग से 2217 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। दरअसल, यह 42 शहर सर्वाधिक प्रदूषित शहर हैं जहां बड़े स्तर पर कार्य करने की जरूरत है। जल्द ही इन शहरों के नामों का भी ऐलान सरकार द्वारा किया जाएगा।
बजट में हाइड्रोजन ऊर्जा नीति की घोषणा को भी बेहद अहम माना जा रहा है। हाइड्रोजन भविष्य का स्वच्छ ईधन है। हमारे देश में हाडइ्रोजन से चलने वाले वाहन तो बने हैं लेकिन हाइड्रोजन की उपलब्धता और उसके इस्तेमाल की दिशा में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। इसलिए माना जा रहा है कि जिस प्रकार सौर मिशन में भारत ने बड़े लक्ष्य निर्धारित किए और तेजी से उस पर कार्य किया है, उसी प्रकार हाइड्रोजन ऊर्जा को लेकर भी रणनीति तैयार होगी।
बजट में सौर ऊर्जा को लेकर भी नए शोध और अनुसंधानों को बढ़ावा देने के लिए सोलर एनर्जी कारपोरेशन को एक हजार करोड़ रुपये अलग से दिए गए हैं। जबकि रिन्यूबल एनर्जी डवलपमेंट एजेंसी को भी डेढ़ हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है ताकि इस क्षेत्र में नई संभावनाओं, तकनीकी और उद्यमों की संभावनाएं तलाशी जा सकें। इसी प्रकार पुराने वाहनों के लिए घोषित कबाड़ नीति हालांकि परिवहन मंत्रालय से संबद्ध है लेकिन यह भी पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। दरअसल, पुराने वाहन ज्यादा कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं जो वैश्विक तापमान वृदिध के लिए जिम्मेदार हैं।
हाइड्रोजन मिशन बड़े लक्ष्य की दिशा में कदम
विशेषज्ञ की टिप्पणी
आरती खोसला, निदेशक क्लाईमेट ट्रेंड
हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा बेहद महत्वपूर्ण है। दरअसल, आज पूरी दुनिया में कोयले का विकल्प तलाशने की बात हो रही है। ऐसे में उसके विकल्पों को भी तलाशा जा रहा है। यदि कोयले के इस्तेमाल को सीमित करना है तो इस्पात और सीमेंट जैसे उद्योगों में जहां बिजली की खपत बहुत ज्यादा होती है तो वहां हाइड्रोजन ऊर्जा बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। यह भी संभावना है कि भारत देर-सवेर कार्बन निरपेक्ष बनने का लक्ष्य घोषित कर सकता है। ऐसे में सौर ऊर्जा के साथ-साथ यदि हाइड्रोजन ऊर्जा पर भी काम तेज हो तो यह लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाएगा। इसलिए हाइड्रोजन ऊर्जा पर आगे बढ़ना वक्त की जरूरत है।
इसी प्रकार 42 शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए अलग से आवंटन करना करना भी एक सकारात्मक कदम है। इससे राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम को गति मिलेगी। लेकिन यह सरकार को जरूर सुनिश्चित करना होगा कि आवंटन के साथ-साथ कार्यक्रम का जमीन पर प्रभावी क्रियान्वयन हो।
बजट में वाहनों के लिए कबाड़ नीति की घोषणा भी अच्छा कदम है। पुराने वाहन प्रदूषण में इजाफा तो करते ही हैं साथ ही यह सड़कों पर कबाड़ के रूप में खड़े रहते हैं। नई नीति में इनके निपटान का रास्ता साफ होगा। इससे प्रदूषण में कमी आएगी तथा जहां-तहां जमे कचरे से भी मुक्ति मिलेगी।

