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हिंदी न्यूज़ देशसबका साथ, सबका विश्वास का नारा देनेवाली मोदी सरकार का अल्पसंख्यकों पर फोकस हटा, 38% बजट घटा 

सबका साथ, सबका विश्वास का नारा देनेवाली मोदी सरकार का अल्पसंख्यकों पर फोकस हटा, 38% बजट घटा 

इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 में इस मंत्रालय को 5020.50 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। हालांकि, रिवाईज्ड एस्टीमेट्स के मुताबिक मंत्रालय मौजूदा वर्ष में 2612.66 करोड़ रुपये ही खर्च कर सकेगा।

सबका साथ, सबका विश्वास का नारा देनेवाली मोदी सरकार का अल्पसंख्यकों पर फोकस हटा, 38% बजट घटा 
Pramod Kumarलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीWed, 01 Feb 2023 07:34 PM

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Budget Allocation For Ministry of Minority Affairs: आम चुनाव 2024 से पहले पेश पूर्ण बजट में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने ही अहम नारे पर पलटी मार ली है। 2019 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया था- सबका साथ,सबका विकास और सबका विश्वास। इस नारे के जरिए माना जा रहा था कि मोदी सरकार अल्पसंख्यों में विश्वास बहाली करना चाहती है और सभी समुदायों को विकास की धारा में एकसाथ समावेशित करना चाहती है। 

इसके लिए सरकार ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए बजटीय आवंटन भी बढ़ाया था लेकिन इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पांचवें बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट पिछले साल की तुलना में 38 फीसदी घटा दिया है। बुधवार, एक फरवरी को पेश बजट में 2023-24 के लिए वित्त मंत्री ने अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट आवंटन घटाकर 3097.60 करोड़ रुपये कर दिया है।

इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 में इस मंत्रालय को 5020.50 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। हालांकि, रिवाईज्ड एस्टीमेट्स के मुताबिक मंत्रालय द्वारा मौजूदा वित्त वर्ष में 2612.66 करोड़ रुपये ही खर्च किया जा सकेगा।

बता दें कि 2006 में बने अल्पसंख्यक मंत्रालय को वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 4346.45 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जो पिछले साल यानी 2020-21 की तुलना में 674.05 करोड़ रुपये ज्यादा थे।  वित्त वर्ष 2021-22 में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने कुल 4323.63 करोड़ रुपये खर्च किए थे। यानि 2021-22 वित्त वर्ष में जितनी रकम खर्च किए गए थे उससे 29 फीसदी कम रकम 2023-24 वित्त वर्ष के लिए आवंटित किया गया है। 

स्थापना वर्ष यानी वर्ष 2006 से वर्ष 2013 तक अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट 144 करोड़ रुपये की शुरुआत के साथ बढ़ता गया जो 2013 में  3531 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा था। मोदी सरकार के कार्यकाल में भी इसमें बढ़ोत्तरी हुई लेकिन अब यह घटकर यूपीए सरकार के अंतिम बजट से भी कम पर आ चुका है।