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मायावती लोकसभा चुनाव में कम सीटें मिलने से खफा

बसपा सुप्रीमो मायावती लोकसभा चुनाव में संतोषजनक सीटें न मिलने से खफा बताई जा रही हैं। वह 12 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उप चुनाव और 2022 में होने वाले चुनाव को लेकर पार्टी में बड़े बदलाव कर रही...

 मायावती लोकसभा चुनाव में कम सीटें मिलने से खफा
लखनऊ | प्रमुख संवाददाताMon, 24 Jun 2019 09:23 AM
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बसपा सुप्रीमो मायावती लोकसभा चुनाव में संतोषजनक सीटें न मिलने से खफा बताई जा रही हैं। वह 12 सीटों पर होने वाले विधानसभा के उप चुनाव और 2022 में होने वाले चुनाव को लेकर पार्टी में बड़े बदलाव कर रही हैं। पार्टी की बैठक में उन्होंने कहा कि चुनावी धांधलियों पर पर्दा डालने के लिए ‘एक देश एक चुनाव' का पाखंड भाजपा कर रही है। कांग्रेस की तरह भाजपा का भी एक दिन पाप का घड़ा जरूर फूटेगा। उन्होंने धांधली रोकने के लिए ईवीएम के स्थान पर बैलट पेपर से मतदान कराने की मांग की है।

एक देश एक चुनाव का विरोध: मायावती ने रविवार को पार्टी मुख्यालय पर अखिल भारतीय बैठक की। इसमें लोकसभा चुनाव और ईवीएम के मार्फत लोकतंत्र व जनमत को हाईजैक करने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव' भाजपा का नया पाखंड है। चुनावी धांधलियों पर पर्दा डालने व बार-बार गड़बड़ी करके जीतने से बचने के लिए भाजपा ऐसा चाहती है। देश इससे पूरी तरह से विपक्ष-मुक्त होकर जातिवाद के अंधकार में चला जाएगा। अगर ऐसा नहीं है तो भाजपा बैलट पेपर से चुनाव कराने से क्यों कतरा रही है। इजराइल मोदी का मित्र देश है जहां इस वर्ष संसद का दूसरी बार चुनाव हो रहा है। सवाल उठाया कि भाजपा सरकार की तरह इजराइल क्यों नहीं चिंतित है? इससे साबित होता है कि ईवीएम से धांधली की जा रही है।

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देशभर से ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें: उन्होंने कहा कि यूपी ही नहीं देश के अन्य राज्यों से आए बसपा नेताओं ने ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें की हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर नरेंद्र मोदी के आगे घुटने टेकने के आरोप लगाए। मायावती ने कहा कि इस बैठक से पहले नई दिल्ली में भी राज्यवार समीक्षा में यही कहा गया कि भाजपा की एकतरफा जीत सुनियोजित धांधली के बिना संभव नहीं है। भाजपा की देश में एक चुनाव को लेकर अगर नीयत में खोट नहीं है तो हरियाणा, महाराष्ट्र आदि राज्यों के चुनाव लोकसभा के साथ ही क्यों नहीं कराया।.

भाईचारा कमेटियां खड़ी करें: उन्होंने कहा कि आंबेडकरवादी बाबा साहेब डा. आंबेडकर की तरह कभी निराश नहीं होते हैं। पार्टी संगठन की मजबूती वर्ष 2007 की तरह भाईचारा के आधार पर जनाधार को व्यापक बनाने पर जोर दिया। पार्टी संगठन का काम, जो लोकसभा चुनाव के कारण रुक गया था, उसे गति प्रदान करने के लिए विशेष दिशा-निर्देश दिए। अखिल भारतीय बैठक के बाद विभिन्न राज्यों की अलग-अलग बैठक करके उन्हें आगे की तैयारी व संगठन में जरूरी फेरबदल के निर्देश दिए। विधानसभा चुनाव वाले राज्यों खासकर हरियाणा व महाराष्ट्र के लिए अलग से बैठक में काफी विस्तार से चर्चा की गई। सांसदों को निर्देश दिया कि वे संसद में अपनी सार्थक भूमिका निभाएं। जनता की सच्ची सेवा को धर्म समझें। यही निर्देश पार्टी विधायकों को भी दिया।

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गठबंधन की गांठ
- 12 जनवरी: लखनऊ के ताज होटल में गठबंधन का ऐलान हुआ। मायावती व अखिलेश यादव ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी जानकारी दी।.
- 23 मई: लोकसभा चुनाव की मतगणना हुई। बसपा को 10 और सपा को 5 सीटें मिली।.
- 03 जून: मायावती ने नई दिल्ली में यूपी के पदाधिकारियों की बैठक बुलाकर गठबंधन तोड़ने के दिए संकेत।
- 04 जून:    मायावती ने नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर गठबंधन तोड़ने के बताए कारण।.
- 23 जून:    मायावती ने लखनऊ की बैठक में हार का ठीकरा अखिलेश पर फोड़ा.
 

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