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अयोध्या मामले में हिन्दू-मुस्लिम दोनों पक्षों को ही फैसले का इंतजार

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की चल रही सुनवाई के बीच मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के 18 अक्तूबर तक सुनवाई पूरी करने पूरी करने को कहा है। इसके बाद फैसला लिखने के लिए भी न्यायाधीशों को चार सप्ताह का...

अयोध्या मामले में हिन्दू-मुस्लिम दोनों पक्षों को ही फैसले का इंतजार
अयोध्या, कमलाकान्त सुन्दरमThu, 19 Sep 2019 05:09 AM
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सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की चल रही सुनवाई के बीच मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के 18 अक्तूबर तक सुनवाई पूरी करने पूरी करने को कहा है। इसके बाद फैसला लिखने के लिए भी न्यायाधीशों को चार सप्ताह का वक्त चाहिए। इस खबर के बाद हिन्दू पक्ष उत्साहित है। वहीं मुस्लिम पक्षकार भी चाहते हैं कि मसला जल्द हल हो। मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब का कहना है कि अच्छी बात है कि  फैसला जल्द आ जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में अमन और सुकून की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि मामला निपट जाए। उन्होंने कहा कि हम लोग पहले प्रयास कर रहे थे लेकिन मामला उलझता रहा था। खैर देर से ही फैसले की घड़ी आ गयी है। 

न्याय का रास्ता बंद नहीं होगा 

एक अन्य पक्षकार व हेलाल कमेटी के संयोजक खालिक अहमद खां ने कहा कि फैसला तो आएगा ही क्योंकि सीजेआई 17 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी इस फैसले से बहुत खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह प्रथम अपील है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की अवर न्यायालय में सुनवाई नहीं हुई बल्कि सीधे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और फैसला आ गया। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट अपीलीय कोर्ट हुई जो कि प्रथम अपील की सुनवाई कर रही है। अब अगर फैसले से कोई पक्ष असंतुष्ट होगा तो वह दूसरी अपील कर सकेगा और आगे पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले की समीक्षा सात सदस्यीय पीठ करेगी। ऐसे में न्याय का रास्ता बंद नहीं होगा।

फैसले की घड़ी नजदीक जान मन प्रसन्न

निर्मोही अखाड़ा की अयोध्या शाखा के महंत दिनेन्द्र दास ने कहा कि इतने दिनों के इंतजार के बाद फैसले की घड़ी नजदीक है, तो मन प्रसन्न है। उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला ही अंतिम है तो बीच में रुकावट नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कि किसी पक्ष ने सुनवाई के बीच में मध्यस्थता की बात की है जो कि बकवास है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने जब पंच नियुक्त किया और पंचों ने सभी पक्ष को मिलाने की बात की, तब लोगों ने पंचों को भाव नहीं दिया तो अब फिर कहानी गढ़ने का मतलब मामले को लटकाना है।

पूरा देश कर रहा इंतजार

रामलला के अभिन्न मित्र एवं विहिप के नेता त्रिलोकी नाथ पाण्डेय ने कहा कि बात सिर्फ इतनी है कि इस बार दो-दो दीवाली मनाई जाएगी। पहली दीवाली 27 अक्तूबर को होगी और दूसरी फैसले की तारीख को मनाई जाएगी। एक अन्य पक्षकार एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल का कहना है कि यह खुशी की बात है कि ऐतिहासिक विवाद का निपटारा होने जा रहा है।

बाबरी मस्जिद-मुस्लिम पक्षकारों में दो फाड़

लखनऊ। अयोध्या के राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मुस्लिम पक्ष आपस में ही भिड़ गए हैं। बुधवार को लखनऊ में यूपी प्रेस क्लब में प्रेस कान्फ्रेंस कर जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद मतीनुल हक उसामा कासमी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी निजी स्वार्थ के लिए बाबरी मस्जिद का सौदा करने पर उतर आए हैं। आरोप लगाया कि चल रही सुनवाई के दरम्यान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना वकील सैय्यद शकील अहमद को बदल कर शाहिद हुसैन रिज़वी को बना दिया, दरअसल यह एक साजिश है।

कानून की बुनियाद पर हो फैसला : मदनी   

नई दिल्ली। जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने अयोध्या विवाद में सुनवाई पूरी करने के लिए 18 अक्तूबर की समयसीमा तय करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का बुधवार को स्वागत किया। साथ ही भरोसा जताया कि शीर्षअदालतका फैसला आस्था नहीं, कानूनकी बुनियाद पर होगा। मदनी ने कहा, हम शुरू से ही अदालतके हर फैसले का स्वागत करते आए हैं। आगे भी पूर्ण विश्वास है कि अदालतइस मुद्दे पर न्याय देगी और मामले का फैसला आस्था की बुनियाद पर न होकर कानूनी प्रक्रियाओं के आधार पर होगा।
 

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