चीन के साथ कब तक जारी रहेगा भारत का सीमा विवाद? सेना प्रमुख नरवणे ने बताया
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पिछले काफी समय से सीमा विवाद है। इस बीच आर्मी चीफ जनरल एम नरवणे ने गुरुवार को कहा कि जब तक दोनों देशों के बीच सीमा समझौता नहीं हो जाता, तक भारत और चीन के बीच सीमा...
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पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पिछले काफी समय से सीमा विवाद है। इस बीच आर्मी चीफ जनरल एम नरवणे ने गुरुवार को कहा कि जब तक दोनों देशों के बीच सीमा समझौता नहीं हो जाता, तक भारत और चीन के बीच सीमा पर घटनाएं होती रहेंगी। सेना प्रमुख ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीन मसले पर कहा कि हमारे बीच बड़ा सीमा विवाद है। हम भविष्य में किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए फिर से तैयार हैं, जैसा कि हमने अतीत में भी करके दिखाया है।
सेना प्रमुख ने कहा कि इस तरह की घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक कि एक दीर्घकालिक समाधान नहीं हो जाता है और वह है सीमा समझौता। हमारे प्रयासों में इस बात पर जोर होना चाहिए ताकि हमारे पास उत्तरी (चीन) सीमा पर स्थायी शांति स्थापित हो। अफगानिस्तान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सेना या सशस्त्र बल खतरे की आशंकाओं का समय-समय पर मूल्यांकन करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि उन मूल्यांकनों के आधार पर भारतीय सेना भविष्य के खतरों से निपटने के लिए आवश्यक रणनीतियां और सिद्धांत तैयार करती है। यह एक सतत प्रक्रिया है जो कभी नहीं रुकती है।
नरवणे ने कहा कि जहां तक आतंकवादी खतरे का सवाल है, भारतीय सेना सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। बता दें कि 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा हो गया था। अफगानिस्तान में 20 साल बाद तालिबान की वापसी पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए भारत ने 20 सितंबर को कहा था कि अफगान की धरती का उपयोग आतंकवादी कृत्यों को आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
बता दें कि भारत और चीनी सेनाओं के बीच मौजूदा सीमा गतिरोध पिछले साल मई में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों को लेकर अपनी तैनाती बढ़ा दी। पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद यह विवाद बढ़ गया था। गलवान घाटी में झड़प में भारत के भी कुछ जवान शहीद हुए थे, मगर काफी समय तक चीन डूठ बोलता रहा कि उसके जवान नहीं मरे। मगर बात में उसने स्वीकार किया कि गलवान में उसे बड़ा नुकसान हुआ और पीएलए के कई सैनिक मारे गए।