दक्षिण में खुद को मजबूत करने में जुटी भाजपा
भाजपा का अगला लक्ष्य दक्षिण में पार्टी को मजबूत करने का है। राष्ट्रीय महासचिव के पद पर संतोष की नियुक्ति को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा में वह दक्षिण भारत से इस पद पर आने वाले पहले नेता हैं।...
भाजपा का अगला लक्ष्य दक्षिण में पार्टी को मजबूत करने का है। राष्ट्रीय महासचिव के पद पर संतोष की नियुक्ति को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा में वह दक्षिण भारत से इस पद पर आने वाले पहले नेता हैं। जनसंघ और भाजपा के शुरुआती दौर में कर्नाटक से एक बड़े नेता जगन्नाथ राव जोशी बेहद अहम भूमिका में थे। उनके बाद अब बीएल संतोष केंद्रीय संगठन में अहम भूमिका में रहेंगे।
भाजपा का मिशन दक्षिण काफी तेजी से चल रहा है। उत्तर, मध्य, पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के बाद भाजपा का सबसे कमजोर क्षेत्र दक्षिण है। इसीलिए शाह ने अपनी खास रणनीति के तहत संतोष को यह कमान सौंपी गई है। संतोष अपने मुखर स्पष्ट बयानों के लिए भी जाने जाते हैं। कर्नाटक में राजनीतिक विवादों में उन्होंने कई बार अपनी स्पष्ट राय रखी, लेकिन कुछ मुद्दों पर उनको लेकर विवाद भी खड़े हुए। करीब एक दशक पूर्व वे कर्नाटक भाजपा में संगठन महामंत्री बने।
प्रदेश संगठन महामंत्री रहते हुए उन्होंने कर्नाटक में भाजपा के विस्तार में अहम भूमिका निभाई। लो प्रोफाइल में रहने वाले संतोष सार्वजनिक मंचों पर आने से बचते रहे हैं। वे पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं। उनमें लोगों को संगठित करने की अपार कला है। उनके कार्यकाल के दौरान राज्य में भाजपा के सदस्यों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी और बड़ी संख्या में पेशेवर लोग भाजपा के साथ जुड़े।
पेशे से इंजीनियर और अविवाहित :
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बनाए गए बीएल संतोष पेशे से केमिकल इंजीनियर हैं। लेकिन राजनीति की केमिस्ट्री को भी वे बहुत अच्छी तरह से समझते हैं। आरएसएस प्रचारक के रूप में उन्हें एक प्रखर विचारक और चुनावी राजनीति का विशेषज्ञ माना जाता है। इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी करने के बाद वे संघ से जुड़ गए। बेंगलुरु में जन्में और पढ़े-लिखे संतोष पूर्णकालिक संघ प्रचारक हैं। वे अविवाहित हैं। उन्होंने मैसूर और शिमोगा जिलों में लंबे समय तक जमीनी स्तर पर काम किया।
मुख्यमंत्री बनने की थीं अटकलें :
कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पूर्व संतोष की पार्टी में अच्छी पकड़ हो चुकी थी। इसके कारण मुख्यमंत्री के दावेदार बीएस येदियुरप्पा को यह भय सताने लगा था कि कहीं संतोष कर्नाटक के योगी आदित्य नाथ ना बन जाएं। येदियुरप्पा ने यह बात स्वीकार भी की थी। हालांकि कभी संतोष की तरफ से नहीं लगा कि वे मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं, लेकिन उनके बढ़ते कद से इन अटकलों को बल मिला। 2017 में चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बेंगलुरु गए तो बीएल संतोष ने उन्हें पार्टी के स्थिति पर एक प्रजेंटेशन दिया जिससे शाह प्रभावित हुए।
स्पष्टवादी और ईमानदार :
संतोष स्पष्टवादी हैं। उनकी छवि बेहद कर्मठ एवं ईमानदार व्यक्ति की है। वह स्वधर्मी भी हैं जिसके चलते कई बार उनकी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से दूरी भी बढ़ जाती थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनावों में जब दिवंगत नेता अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी को टिकट दिए जाने की बात चल रही थी तो संतोष ने कहा कि पार्टी जीन और डीएनए के आधार पर टिकट नहीं दे सकती। अनंत कुमार के योगदान के लिए अगले 50 साल तक भी उन्हें सम्मान देंगे, लेकिन इसे उनकी पत्नी को हस्तांतरित नहीं कर सकते।
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