भाजपा के मिशन 2019 को मिली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शक्ति
केंद्रीय सत्ता का एक और कार्यकाल हासिल करने के भाजपा के मिशन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भूमिका तैयार कर दी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत की दिल्ली में हुई तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में जो लोग शामिल...
केंद्रीय सत्ता का एक और कार्यकाल हासिल करने के भाजपा के मिशन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भूमिका तैयार कर दी है। संघ प्रमुख मोहन भागवत की दिल्ली में हुई तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में जो लोग शामिल हुए हैं, उनके जरिए संघ का संदेश आगे बढ़ेगा। साथ ही संघ व भाजपा का कैडर इसे नीचे तक ले जाएगा, ताकि जाति, धर्म, पंथ व सामाजिक समीकरणों की राजनीति के ऊपर हिंदुत्व के बैनर तले सबको जोड़ा जाए।
यह संघ का अपना काम करने का तरीका है, जिससे वह गहरे तक अपनी पैठ बनाता है। संघ के हिसाब से यह व्याखानमाला देश व विदेश के ओपीनियन वर्ग को उसके बारे में दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने का काम करेगी। चूंकि भाजपा परोक्ष रूप से संघ का आनुषंगिक संगठन है इसलिए इसका राजनीतिक लाभ उसे मिलेगा। माना जा रहा है कि संघ की यह व्याख्यानमाला लोकसभा चुनावों के माहौल में हुई है, इसलिए इसका तात्कालिक प्रभाव कम से कम चुनाव तक रह सकता है।
भाजपा को भी कराया अहसास
देश की राजधानी में इतने वृहद आयोजन से संघ ने अपनी ‘संघ शक्ति’ का अहसास भी कराया है और यह अहसास भाजपा के लिए भी है। संघ प्रमुख ने साफ कर दिया कि आपातकाल में उसकी शक्ति का लाभ वामपंथी, समाजवादी सभी कांग्रेस विरोधी दलों को मिला था और वे सफल रहे थे। उसके बाद संघ की शक्ति जिधर जुड़ती है उसे लाभ मिलता रहा है। चूंकि भाजपा इससे मदद मांगती है तो उसे ज्यादा लाभ मिलता है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा व उसके समर्थकों में यह सदेश तो गया ही है कि पार्टी व करिश्माई नेतृत्व की सफलता की जड़ में संघ की शक्ति है।
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विरोधियों की राजनीति को झटका
संघ का यहां का संदेश दूसरे राजनीतिक दलों के लिए भी है। इससे मुसलमानों व आरक्षण जैसे मुद्दों पर उसका दो-टूक जबाब उसके विरोधियों की राजनीति के लिए झटका है। संघ ने इस आयोजन से देश में विरोधियों द्वारा बनाई गई उसकी मुस्लिम विरोधी व केवर हिंदू समर्थक छवि को तोड़ने की कोशिश की है। पूर्व राष्ट्रपति व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणब मुखर्जी की नागपुर में संघ मुख्यालय की यात्रा व स्वयंसेवकों को संबोधन के बाद संघ का हौसले बुलंद हुए हैं। अब दिल्ली का यह आयोजन उसके मिशन के लिए राजनीतिक व सामजिक दोनों हिसाब से बेहद जरूरी है। संघ भले ही राजनीति नहीं करता है, लेकिन वह देश में अपनी विचारधारा वाली राजनीति को तो आगे बढ़ाता ही है।
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