ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देश केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना 20 फीसदी वोट की लड़ाई लड़ रही भाजपा

केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना 20 फीसदी वोट की लड़ाई लड़ रही भाजपा

लोकसभा चुनावों में भाजपा जहां अपने गढ़ों में पिछले चुनाव की सफलता को दोहराने की कोशिश कर रही है, वहीं क्षेत्रीय दलों के वर्चस्व वाले अपने कमजोर राज्यों में बीस फीसद वोट की लड़ाई लड़ रही है। पार्टी का...

 केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना 20 फीसदी वोट की लड़ाई लड़ रही भाजपा
नई दिल्ली। रामनारायण श्रीवास्तव Sat, 11 May 2019 08:43 AM
ऐप पर पढ़ें

लोकसभा चुनावों में भाजपा जहां अपने गढ़ों में पिछले चुनाव की सफलता को दोहराने की कोशिश कर रही है, वहीं क्षेत्रीय दलों के वर्चस्व वाले अपने कमजोर राज्यों में बीस फीसद वोट की लड़ाई लड़ रही है। पार्टी का मानना है कि ऐसे राज्यों में बीस फीसद वोट मिलने के बाद राज्य की राजनीति में जनता में तो पैठ बनती ही है, विभिन्न दलों का नजरिया भी बदल जाता है। गठबंधन की स्थिति में इसका लाभ भी मिलता है। 

भाजपा का सबसे ज्यादा जोर दक्षिण के चार राज्यों केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना पर है। इन राज्यों में वह सबसे कमजोर है। इस बार भाजपा चारों राज्यों में सीटों से ज्यादा बीस फीसद वोटों के लिए जद्दोजहद कर रही है ताकि वह राज्यों में खुद को स्थापित कर सके। पार्टी महासचिव व दक्षिण भारतीय राज्यों के प्रभारी मुरलीधर राव का कहना है कि बीस फीसद से कम वोट मिलने पर जनता में पैठ नहीं बन पाती है और राज्यों के मजबूत क्षेत्रीय दल भी ज्यादा अहमियत नहीं देते हैं, जिससे मजबूत गठबंधन में समस्या आती है। गठबंधन होने पर भी सीटें कम मिलती है। 

लोकसभा चुनाव 2019 : बजरंगबली में आस्था, मैं आग नहीं उगलता : योगी

कर्नाटक के अलावा अन्य राज्यों में हैं दिक्कतें 
दरअसल दक्षिण में कर्नाटक को छोड़कर किसी भी राज्य में भाजपा 20 फीसद वोट के आंकड़े से बहुत दूर है। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा को केरल में 10.30 फीसद, तमिलनाडु में 5.50 फीसद, आंध्र प्रदेश में 8.50 फीसद और तेलंगाना में 8.50 फीसद वोट मिले थे। इन चारों राज्यों में लोकसभा की 101 सीटें हैं और भाजपा को मात्र तीन चार सीटें मिली थी। केरल में उसका खाता नहीं खुला था, जबकि आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में उसका तेलुगू देशम के साथ व तमिलनाडु में छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन से चार सीटें मिली थी। 

वोट बढ़ा तो साथी भी मिलेंगे और सीटें भी 
इस बार भाजपा ने तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक व अन्य दलों के साथ मजबूत गठबंधन किया है, लेकिन वह पांच सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। कम सीटें मिलने की वजह बीते लोकसभा चुनाव में उसे मात्र 5.50 फीसद वोट मिलना रहा। आंध्र व तेलंगाना में भाजपा अकेले चुनाव लड़ रही है। बीते चुनाव में दोनों राज्यों में दस फीसद से भी कम वोट मिलने से पार्टी को इस बार मजबूत क्षेत्रीय दलों ने भी ज्यादा अहमियत नहीं दी है। केरल में भाजपा ने स्थानीय दलों से गठबंधन किया है, लेकिन राज्य के दो मजबूत गठबंधनों एलडीएफ व यूडीएफ के बीच जगह बनाने में उसे दिक्कत आ रही है। हालांकि बीते चुनाव में उसने 10.30 वोट हासिल किए थे। इस बार उसे वोट फीसद बढ़ने का भरोसा है।

HINDUSTAN EXCLUSIVE: प्रियंका ने कहा- अभी मोर्चा न लेती तो कायरता होती

बंगाल व ओडिशा में प्रमुख विरोधी के रूप में उभरी
पूर्वी भारत के दो राज्यों ओडिशा व पश्चिम बंगाल इस बात के उदाहरण है कि बीस फीसद के आसपास वोट मिलने पर समीकरण कैसे बदलते हैं। दोनों राज्यों में बीते लोकसभा चुनाव में अकले लड़कर भाजपा को ओडिशा में 21.50 फीसद व पश्चिम बंगाल में 18 फीसद वोट मिले थे। मुरलीधर राव का कहना है कि इन दोनों राज्य में भाजपा का वोट बीस फीसद के करीब पहुंचने पर लोगों का भाजपा के प्रति भरोसा बढ़ा ही है, बल्कि वह सत्ता की प्रमुख दावेदार बन कर भी उभरी है। सत्तारूढ़ दल भी अन्य विरोधी दलों के बजाय भाजपा से लड़ रहे हैं। 
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें