ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशअसम विधानसभा चुनाव से पहले टूटने की कगार पर बीजेपी और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट का गठबंधन, आज हो सकता है अंतिम फैसला

असम विधानसभा चुनाव से पहले टूटने की कगार पर बीजेपी और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट का गठबंधन, आज हो सकता है अंतिम फैसला

अगले साल असम में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएप) का गठबंधन टूट की कगार पर पहुंच गया है। दोनों पार्टियां जो असम गण परिषद...

असम विधानसभा चुनाव से पहले टूटने की कगार पर बीजेपी और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट का गठबंधन, आज हो सकता है अंतिम फैसला
उत्पल पराशर,गुवाहाटीFri, 20 Nov 2020 02:28 PM
ऐप पर पढ़ें

अगले साल असम में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएप) का गठबंधन टूट की कगार पर पहुंच गया है। दोनों पार्टियां जो असम गण परिषद (एजीपी) के साथ 2016 से सत्ता में हैं, अगले महीने बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) का चुनाव अलग-अलग लड़ने जा रही हैं।

गुरुवार शाम असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष रंजीत कुमार दास और वरिष्ठ मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति पर चर्चा के लिए एक चार्टर्ड फ्लाइट से दिल्ली गए। ये नेता बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से शुक्रवार को मुलाकात करेंगे। इस दौरान बीपीएफ से गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया जा सकता है। बीजेपी और एजीपी का गठबंधन जारी रहने की संभावना है और माना जा रहा है कि दोनों पार्टियां अगले साल मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव साथ लड़ेंगी।

हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा, ''बीपीएफ के साथ हमारा गठबंधन पांच साल के लिए ही था और यह इससे अधिक समय तक नहीं रहेगा। हम बीटीसी चुनाव अकेले लड़ रहे हैं और अगले विधानसभा चुनाव में बीपीएफ से गठबंधन बिना उतरेंगे।'' बीजेपी के राज्य प्रमुख दास ने भी कहा कि वह भी बीपीएफ के साथ गठबंधन जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं और यह पार्टी नेतृत्व को बताएंगे। अंतिम फैसला दिल्ली में लिया जाएगा। 

उधर, बीपीएफ के अध्यक्ष हाग्रामा मोहिलारी ने गुरुवार को कहा, ''हमने फैसला नहीं किया है कि बीजेपी के साथ रहेंगे या कांग्रेस के साथ जाना है। बीटीसी चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में पार्टनरशिप पर फैसला लेंगे। यह बीजेपी को फैसला करना है कि उन्हें हमारे साथ रहना है या नहीं।''

उन्होंने कहा, ''हमने जेपी नड्डा और असम बीजेपी नेताओं के बीच बैठक के बारे में सुना है, लेकिन यह नहीं पता कि यह किस चीज को लेकर है। वह एक राष्ट्रीय पार्टी है और इसलिए उन्हें फैसला करना है कि उन्हें किसके साथ हाथ मिलाना है। यदि पार्टनरशिप टूटती है तो बीपीएफ और मजबूत होगी।''

बीजेपी 2016 बीपीएफ की मदद से पहली बार सत्ता में आई। कोकराझार, उदलगुरी, बक्सा और चिरांग के बोडो बहुल जिलों में मजबूत उपस्थिति वाले क्षेत्रीय दल में सोनोवाल मंत्रिमंडल में 12 विधायक और तीन मंत्री हैं। 126 विधानसभा सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी के 60 और एजीपी के 14 विधायक हैं। बीजेपी और बीपीएफ में मतभेद उस समय बढ़ गए थे जब मार्च में कोरोना महामारी की वजह से बीटीसी चुनाव को टाल दिया गया था और काउंसिल के तहत आने वाले इलाके को राज्यपाल शासन के तहत ला दिया गया था। बीपीएफ चाहती थी कि काउंसिल का कार्यकाल अगले चुनाव तक बढ़ा दिया जाए। बीटीसी चुनाव अगले महीने दो फेज में होंगे, जिसके लिए पार्टियों के बीच तीखा प्रचार अभियान चल रहा है। बीटीसी काउंसिल में 40 सीटें हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें