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जन्मदिन विशेष: 93 साल के हुए अटल बिहारी वाजपेयी, पढ़ें उनकी 5 कविताएं, VIDEO

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 25 दिसंबर को अपना 93वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी को उनके 93वें जन्मदिन की बधाई भी दी है। अटल जी का जन्मदिन हो, तो भला उनकी...

जन्मदिन विशेष: 93 साल के हुए अटल बिहारी वाजपेयी, पढ़ें उनकी 5 कविताएं, VIDEO
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली Mon, 25 Dec 2017 10:13 AM
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 25 दिसंबर को अपना 93वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी को उनके 93वें जन्मदिन की बधाई भी दी है। अटल जी का जन्मदिन हो, तो भला उनकी कविताओं को कैसे भूला जा सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं आज भी कई बड़ें मंचों पर पढ़ी जाती हैं। 'गीत नया गाता हूं' से लेकर 'कदम मिलाकर चलना होगा' कविताओं को लोग बड़े आनंद के साथ सुनते हैं। आपको बता दें ति 25 दिसंबर, 1924 को जन्मे वाजपेयी वर्ष 1996 में पहले 13 दिनों के लिए भारत के प्रधानमंत्री बने और उसके बाद वह 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे थे। यहां पेश हैं उनकी कुछ कविताएं:


कदम मिलाकर चलना होगा

बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा

हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा

कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा
क़दम मिलाकर चलना होगा

पहली अनुभूति

बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं 
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

पीठ मे छुरी सा चांद, राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

-दूसरी अनुभूति

गीत नया गाता हूं

टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात

प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूं
गीत नया गाता हूं

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं

गीत नया गाता हूं

दूध में दरार पड़ गई

खून क्यों सफेद हो गया?

भेद में अभेद खो गया
बंट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई
दूध में दरार पड़ गई

खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है.
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई

अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता.
बात बनाएं, बिगड़ गई
दूध में दरार पड़ गई


मनाली मत जइयो

मनाली मत जइयो, गोरी 
राजा के राज में

जइयो तो जइयो, 
उड़िके मत जइयो, 
अधर में लटकीहौ, 
वायुदूत के जहाज़ में.

जइयो तो जइयो, 
सन्देसा न पइयो, 
टेलिफोन बिगड़े हैं, 
मिर्धा महाराज में

जइयो तो जइयो, 
मशाल ले के जइयो, 
बिजुरी भइ बैरिन 
अंधेरिया रात में

जइयो तो जइयो, 
त्रिशूल बांध जइयो, 
मिलेंगे ख़ालिस्तानी, 
राजीव के राज में

मनाली तो जइहो. 
सुरग सुख पइहों. 
दुख नीको लागे, मोहे 
राजा के राज में

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