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चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में नहीं किया जाए शामिल, JDU ने बीजेपी पर बढ़ाया दबाव

बिहार में जद (यू) व लोजपा के बीच घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इन दोनों दलों के बीच फंसी भाजपा की उलझन भी लगातार बढ़ती जा रही है। जद (यू) ने अब भाजपा पर यह दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है कि...

चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट में नहीं किया जाए शामिल, JDU ने बीजेपी पर बढ़ाया दबाव
विशेष संवाददाता ,नई दिल्लीMon, 19 Oct 2020 06:38 PM
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बिहार में जद (यू) व लोजपा के बीच घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इन दोनों दलों के बीच फंसी भाजपा की उलझन भी लगातार बढ़ती जा रही है। जद (यू) ने अब भाजपा पर यह दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई सीट लोजपा को न दी जाए और मंत्रिमंडल में भी चिराग को शामिल न किया जाए। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे पर विवाद के चलते लोजपा ने गठबंधन से बाहर जाकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। लोजपा नेता चिराग पासवान का पूरा जोर जद (यू ) के खिलाफ है। वह खुलेआम नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। ऐसे में भाजपा को गठबंधन में सहयोगी जद (यू) के दबाव में लोजपा के खिलाफ सख्ती बरतनी पड़ रही है। भाजपा ने लोजपा को वोट कटवा तक करार दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो इस्तेमाल न करने की चेतावनी भी दे डाली है। 

नरम नहीं पड़ रहे चिराग
इसके बाद भी चिराग पासवान के तेवर नरम नहीं पड़े हैं और वह जद (यू) के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बता चुके चिराग अभी भी भाजपा के साथ अपनी करीबी बताने में नहीं चूकते हैं। हालांकि इससे जद (यू) की परेशानी बढ़ रही है और वह भाजपा पर लोजपा से केंद्र में भी संबंध तोड़ने का दबाव बढ़ा रही है। रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट को लेकर भी जद (यू) का कहना है कि अब वह लोजपा को नहीं दी जाएगी। इतना ही नहीं जद (यू) यह भी चाहती है कि रामविलास पासवान की जगह उनके बेटे चिराग पासवान को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल भी न किया जाए। ऐसा होने पर लोजपा का राजग से पूरी तरह बाहर होना जय हो जाएगा।

भाजपा ने चुप्पी साध रखी
हालांकि भाजपा ने फिलहाल जद (यू) के इस तरह के दबाव पर चुप्पी साध रखी है। वह इस पूरे मामले को बिहार के विधानसभा चुनाव तक सीमित रखना चाहती है और नतीजे आने के बाद वह अपनी भावी रणनीति तय करेगी। दरअसल भाजपा लोजपा को छोड़ना नहीं चाहती है, क्योंकि इससे देश भर के दलित वर्ग में गलत संदेश जाएगा। वैसे भी रामविलास पासवान के निधन के बाद दलित सहानुभूति फिलहाल लोजपा के पास है और केंद्रीय स्तर पर वह भाजपा को भी मिल रही है। ऐसे में भाजपा जद (यू) के दबाव में लोजपा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहती है। 

भाजपा नेताओं का कहना है कि जद (यू) ने भी राज्य और केंद्र के स्तर पर अलग-अलग नीति बना रही है। राज्य में भाजपा और जद (यू) की गठबंधन सरकार है, लेकिन जद (यू) अभी तक केंद्र सरकार में शामिल नहीं हुआ है। पिछली लोकसभा में और मौजूदा लोकसभा में भी उसने मोदी सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया था। हालांकि भाजपा ने उसे सरकार में शामिल होने का न्योता दिया था।

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