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भीमा कोरेगांव केसः आरोपियों को नजरबंदी से राहत नहीं, SC में अगली सुनवाई 19 को

भीमा कोरेगांव हिंसा व माओवादियों से संबंध में गिरफ्तार आरोपियों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। मामले में आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के पक्षकार भी...

भीमा कोरेगांव केसः आरोपियों को नजरबंदी से राहत नहीं, 19 को अगली सुनवाई (एचटी फोटो)
1/ 2भीमा कोरेगांव केसः आरोपियों को नजरबंदी से राहत नहीं, 19 को अगली सुनवाई (एचटी फोटो)
भीमा कोरेगांव केस(पीटीआई फोटो)
2/ 2भीमा कोरेगांव केस(पीटीआई फोटो)
एजेंसी,नई दिल्लीMon, 17 Sep 2018 02:12 PM
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भीमा कोरेगांव हिंसा व माओवादियों से संबंध में गिरफ्तार आरोपियों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। मामले में आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के पक्षकार भी अदालत में मौजूद थे। केंद्र सरकार ने आरोपियों के खिलाफ कुछ और सबूत पेश करने के लिए कोर्ट से मोहलत मांगी है। कोर्ट ने आज की सुनवाई स्थगित कर अगली तारीख 19 सितंबर तय की है।  

मामले में केंद्र की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट को आरोपियों की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर पिटिशन को महत्व नहीं देना चाहिए। महाराष्ट्र पुलिस का बचाव करते हुए केंद्र के पक्षकार ने कोर्ट में कहा कि आरोपियों को भीमा कोरेगांव हिंसा में शामिल होने के शक में गिरफ्तार किया गया है। 

भीमा कोरेगांव केस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मामले की सीबीआई या फिर एनआईए के द्वारा जांच की जाए। केंद्र सरकार के वकील ने आरोपियों के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनके पास निचली अदालतों और हाई कोर्ट में जाने का ऑप्शन बाकी है।

केंद्र सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि माओवादियों और नक्सलियों का खतरा हर दिन बढ़ता जा रहा है। मामले में आरोपी सभी लोग आसामजिक गतिविधियां बढ़ने के खतरे के लिए जिम्मेदार हैं। याचिका दाखिल करने वाले लोगों की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मामले की जांच एसआईटी या फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो।

वहीं सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा का आरोपी केवल भीमा कोरेगांव के मामले में गिरफ्तार नहीं हुए हैं, आशंका है कि ये देश में शांति भंग करने के प्रयास में भी हैं।

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