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मंजिल की ओर पहुंचने लगी भारत जोड़ो यात्रा? गुलाम नबी आजाद होंगे सफलता

कांग्रेस और उसके नेता भारत जोड़ो यात्रा को राजनीतिक यात्रा कहने से बचते हैं। लेकिन साल 2022 के जाते-जाते एक ऐसी सियासी हलचल हुई है, जिससे संकेत मिल रहा है कि भारत जोड़ो मंजिल की ओर पहुंचने लगी है।

मंजिल की ओर पहुंचने लगी भारत जोड़ो यात्रा? गुलाम नबी आजाद होंगे सफलता
Deepakलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीFri, 30 Dec 2022 08:05 PM

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कांग्रेस और उसके नेता भारत जोड़ो यात्रा को राजनीतिक यात्रा कहने से बचते हैं। लेकिन साल 2022 के जाते-जाते एक ऐसी सियासी हलचल हुई है, जिससे संकेत मिल रहा है कि भारत जोड़ो अपनी मंजिल की ओर पहुंचने लगी है। यह सियासी हलचल है, जम्मू कश्मीर के दिग्गज गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस में वापसी। बता दें कि कुछ अरसा पहले कांग्रेस और राहुल गांधी को खूब खरी-खोटी सुनाकर कांग्रेस से अलग हुए गुलाम नबी आजादी की फिर से पार्टी में वापसी हो सकती है। 

भूमिका हो चुकी है तैयार
भारत जोड़ो यात्रा को राहुल गांधी की इमेज बिल्डिंग और कांग्रेस की खोई साख को फिर से पाने की दिशा में कदम के तौर पर देखा जा रहा है। अलग-अलग राज्यों से होते हुए यह यात्रा अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है। फिलहाल यात्रा में दस दिनों का ब्रेक है। अगर सबकुछ सही रहा तो यही भारत जोड़ो यात्रा गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस में वापसी का रास्ता बनेगी। इसकी भूमिका तैयार हो चुकी है। इसके लिए कांग्रेस के कुछ दिग्गज चेहरों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। यह चेहरे, अंबिका सोनी, अखिलेश प्रसाद और भूपिंदर सिंह हुड्डा हैं। बताया जाता है कि आजाद से कहा गया है कि वह पहले यात्रा में शामिल होकर राहुल गांधी से मुलाकात करें, फिर बात बनेगी।

भारत जोड़ो यात्रा को भुनाने में लगी कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा को पूरी तरह से भुनाने में लगी है। आजकल कांग्रेस के सभी नेताओं की सारी बातें इसी यात्रा के इर्द-गिर्द होती हैं। कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि भारत जोड़ो यात्रा पार्टी के लिए एक नया राजनीतिक अध्याय लिखेगी। यही वजह है कि कांग्रेस ने इस यात्रा को लेकर पूरी बज क्रिएट कर रखी है। अब अगर गुलाम नबी आजाद जैसे दिग्गज की वापसी भारत जोड़ो यात्रा के मंच पर होती है तो कांग्रेस इससे एक बड़ा सियासी संदेश देने में कामयाब होगी, इसमें कोई दो राय नहीं।

आजाद ने ऐसे छोड़ी थी कांग्रेस
गुलाम नबी आजाद कांग्रेस में जी-23 ग्रुप का हिस्सा था। 26 अगस्त को उन्होंने कई अन्य नेताओं के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी। कांग्रेस छोड़ते वक्त आजाद ने राहुल गांधी को लेकर कई बातें कही थीं। इसके बाद उन्होंने डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के नाम से पार्टी भी बनाई थी। हालांकि आजाद का यह कदम सियासी तौर पर उनके लिए बहुत फलदायक नहीं साबित हुआ। वहीं, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव के दौरान आजाद ने जिस तरह के बयान दिए थे, उससे लगने लगा था कि उनका कांग्रेस मोह फिर से जाग रहा है। तब आजाद ने कहा था कि देश में अगर भाजपा का कोई मुकाबला कर सकता है तो वह कांग्रेस ही है।

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