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कृषि कानूनों की वापसी तो जंग की सिर्फ शुरुआत... जानिए किस खालिस्तानी अलगाववादी धालीवाल का टूल बन गईं ग्रेटा, क्या हैं उसके नापाक मंसूबे

स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग किस तरह भारत में माहौल खराब करने वालों की टूल बन गईं, यह अब साफ होने लगा है। किसान आंदोलन का फायदा उठाकर अलगाववाद को बढ़ावा देने के प्रयासों की जांच कर रहे...

कृषि कानूनों की वापसी तो जंग की सिर्फ शुरुआत... जानिए किस खालिस्तानी अलगाववादी धालीवाल का टूल बन गईं ग्रेटा, क्या हैं उसके नापाक मंसूबे
शिशिर गुप्ता,नई दिल्लीFri, 05 Feb 2021 10:13 PM
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स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग किस तरह भारत में माहौल खराब करने वालों की टूल बन गईं, यह अब साफ होने लगा है। किसान आंदोलन का फायदा उठाकर अलगाववाद को बढ़ावा देने के प्रयासों की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिस 'टूलकिट' को ग्रेटा ने ट्वीट किया था उसे कनाडा के वैंकूवर बेस्ड पोइटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) के फाउंडर एमओ धालीवाल ने क्रिएट किया था। धालीवाल किसानों के प्रदर्शन के सहारे भारत में खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने की ताक में हैं।

पुलिस अधिकारी के संदेह और आरोपों की पुष्टि हाल ही में आए मो धालीवाल के एक वीडियो क्लिप से होती है, जिसमें वह आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने के साथ अलगाववादी आंदोलन को भी बढ़ाने की बात कह रहा है। धालीवाल वीडियो में कहता है, ''यदि कृषि कानून कल वापस हो जाते हैं, तो यही हमारी जीत नहीं होगी। कृषि कानूनों की वापसी के साथ जंग की शुरुआत होगी और इसका अंत यही नहीं होगा। किसी को यह मत बताने दीजिए कि कृषि कानूनों के साथ यह जंग खत्म हो जाएगी। इसलिए कि वे इस आंदोलन से ऊर्जा निकालने की कोशिश कर रहे हैं। वे आपको बताने की कोशिश कर रहे हैं कि आप पंजाब से अलग हैं, और आप खालिस्तान आंदोलन से अलग हैं। आप नहीं हैं।'' 

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बताया जा रहा है कि इस वीडियो को 26 जनवरी को भारतीय कांसुलेट के बाहर प्रदर्शन के दौरान शूट किया गया था। हिन्दुस्तान टाइम्स इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। धालीवाल से उसे ग्रुप के खिलाफ पुलिस के आरोपों को लेकर प्रतिक्रिया मांगी गई थी, शुरुआत में वह इंटरव्यू के लिए तैयार था, लेकिन बाद में उसने कहा कि इसकी बजाय वह एक बयान जारी करेगा। 

दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से किसानों का आंदोलन चल रहा है। किसान केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं। सरकार के साथ उनकी कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक नतीजा नहीं निकला है। किसानों ने कानूनों को डेढ़ साल तक सस्पेंड किए जाने के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है। वे कानूनों की वापसी पर जोर दे रहे हैं। 

इस सप्ताह धालीवाल और उसका ग्रुप PJF एक बार फिर फोकस में आ गया है। ऐसा ग्रेटा थनबर्ग की ओर से ट्वीट किए गए टूलकिट डॉक्युमेंट के बाद हुआ, जिससे किसान आंदोलन को लेकर ऑनलाइन और ऑफलाइन एक्शन प्लान को लेकर जानकारी दी गई थी। दिल्ली पुलिस ने गुरुवार शाम को कहा कि सबकुछ ठीक उसी तरह हो रहा है जिस तरह इस टूलकिट में बताया गया है। दिल्ली पुलिस ने टूलकिट के अज्ञात क्रिएटर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। 

इस डॉक्युमेंट में वे लिंक्स दिए गए हैं जिन्हें सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते थे। ये 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर केंद्रित थे और समूह इसे वैश्विक प्रदर्शन के रूप में मनाना चाहता था। बाद में ग्रेटा ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया और दूसरा डॉक्युमेंट अपोलड किया, जिसे पुलिस अधिकारी ने अपडेटेड और सैनिटाइज्ड वर्जन बताया है। 

ऊपर कोट किए गए अधिकारी ने कहा कि टूलकिट को इसके क्रिएटर्स की पृष्ठभूमि और मंसूबों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। वीडियो उस समूह के उद्देश्यों को दिखाता है जो सोशल मीडिया पर जनमत को भारत सरकार के खिलाफ करना चाहता है। उन्होंने कहा, ''उनके लिए कृषि कानूनों का विरोध सिर्फ उनके अलगाववादी एजेंडे के लिए समर्थन जुटाने का एक बहाना है।'' 

इस वीडियो में धालीवाल अपने सामने मौजूद नौजवानों से अपील कर रहा है कि वे खालिस्तान की मांग को लेकर अपने मस्तिष्क को खुला रखें। धालीवाल इस वीडियो में कहता है, ''इसको (किसान प्रदर्शन) लेकर खालिस्तानी लोग इस लिए इतने उत्साहित हैं, क्योंकि उन्होंने 1970 के दशक में जो उम्मीद की थी उसका सच 40-50 सालों के बाद देख रहे हैं। 1970 के दशक में वे एक स्वतंत्र भूमि चाहते थे ताकि हमें आज यह आंदोलन नहीं करना पड़ता। मैं सभी नौजवानों से गुजारिश करता हूं कि एक दूसरे से आंख बंद ना करें। एक दूसरे से अपने दिल बंद ना करे। अपने दिमाग बंद ना करें। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो समझते नहीं, खालिस्तान को गलत शब्द समझते हैं, सवाल पूछें, जानें... समझें... कोई भी आतंकवादी नहीं बनना चाहता... वे हमें एक दूसरे से अलग करना चाहते हैं। हम यहां आजादी और पंजाब की पवित्रता के लिए के लिए हैं। 

धालीवाल अकेला नहीं है। आतंकरोधी अधिकारी जो किसान आंदोलन में अलगाववादी तत्वों की घुसपैठ को लेकर खुफिया रिपोर्ट की बात करते रहे हैं, वे बताते हैं कि कई खालिस्तानी समर्थक और समूह अलग-अलग स्तर पर एक्टिव हैं। दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उसने कम से कम 300 ऐसे ट्विटर हैंडल की पहचान की है जिन्हें पाकिस्तान से संचालित किया जा रहा है। सपोर्ट खालिस्तान हैशटैग के साथ लोगों को दिल्ली की सीमाओं पर लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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