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बाड़मेर लोकसभा सीट: बीजेपी के लिए राजस्थान की इस हाईप्रोफाइल सीट को बचाने की चुनौती

राजस्थान में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दबदबा वाले बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र में इस बार भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता रहे एवं पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह की राजनीतिक प्रतिष्ठा...

बाड़मेर लोकसभा सीट: बीजेपी के लिए राजस्थान की इस हाईप्रोफाइल सीट को बचाने की चुनौती
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 25 Apr 2019 01:18 PM
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राजस्थान में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दबदबा वाले बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र में इस बार भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता रहे एवं पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी है जबकि भाजपा के नये उम्मीदवार पूर्व विधायक कैलाश चौधरी के सामने सीट बचाने की कड़ी चुनौती है। यहां 29 अप्रैल को मतदान होगा। 

इस बार का मुकाबला
जसवंत सिंह के पुत्र पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर फिर चुनाव मैदान में उतरे हैं। मानवेन्द्र सिंह इस बार कांग्रेस प्रत्याशी हैं जबकि वह वर्ष 2004 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे था। उनका चुनाव में सीधा मुकबला कैलाश चौधरी से हैं। हालांकि इन दोनों प्रमुख राजनीतिक दल के अलावा एक प्रत्याशी बीएमयूपी पार्टी तथा चार निर्दलीय उम्मीदवार सहित कुल सात प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही होने के आसार है। इनमें इस बार भी कोई महिला उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ रही है।

विधानसभा रिकॉर्ड 
बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र में बाड़मेर की 7-शिव, बाड़मेर, वायतू, पचपदरा, सिवाना, गुढ़ामालानी चौहटन और जैसलमेर विधानसभा सीट शामिल हैं। आठ विधानसभा क्षेत्र वाले बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र में आठ में से सात (सिवाना) विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का कब्जा है। बायतू से विधायक चुने गये हरीश चौधरी राज्य में राजस्व मंत्री हैं जबकि शिव से अमीन खां एवं गुडामालानी से हेमाराम चौधरी मंत्री रह चुके है। 

बीजेपी के मौजूदा सांसद कर्नल सोनाराम बाड़मेर सीट पर कांग्रेस विधायक मेवाराम जैन से 30000 मतों के भारी अंतर से पराजित हुए। जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बाड़मेर छोड़ सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी।

संसदीय सीट का इतिहास
बाडमेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र में अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने नौ बार जीत हासिल कर अपना राजनीतिक दबदबा बनाया जबकि भाजपा केवल दो बार चुनाव जीत सकी है। इनके अलावा दो बार निर्दलीय, एक बार जनता पार्टी, जनता दल एवं रामराज्य परिषद पार्टी ने चुनाव जीता है। इनमें वर्ष 1952 में पहली लोकसभा का चुनाव जज रहे एवं पूर्व जागिरदार भवानी सिंह ने निर्दलीय के रुप में जीता। वर्ष 1957 में निर्दलीय रघुनाथ सिंह तथा 1962 में रामराज्य परिषद के तान सिंह विजय रहे जबकि लोकसभा चनुाव शुरु होने के पन्द्रह साल बाद वर्ष 1967 में कांग्रेस के अमृत नाहटा चुनाव जीते। इसके अगला चुनाव भी उन्होंने जीता।

आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए चुनाव में तान सिंह ने फिर चुनाव जीता लेकिन इस बार वह जनता पार्टी के प्रत्याशी थे। इसके बाद वर्ष 1980 एवं 1984 में कांग्रेस के वृद्धि चंद जैन, वर्ष 1989 में केन्द्र में संयुक्त गठबंधन के चलते जनता दल के कल्याण सिंह कालवी, वर्ष 1991 में कांग्रेस के रामनिवास मिर्धा ने लोकसभा चुनाव जीता।

वर्ष 1996 से कांग्रेस के कर्नल सोना राम ने लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीते लेकिन वर्ष 2004 में भाजपा प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2009 में कांग्रेस के हरीश चौधरी मानवेन्द्र सिंह को हराकर लोकसभा पहुंचे। 

2014 का जनादेश
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मोदी लहर में 40.09 फीसदी और कांग्रेस को 18.12 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए कर्नल सोनाराम चौधरी ने निर्दलीय उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह को 87,461 मतों से पराजित किया। बीजेपी के कर्नल सोनाराम को 4,88,747 और जसवंत सिंह को 4,01,286 वोट मिले थे। जबकि 2,20,881 मतों के साथ कांग्रेस सांसद हरीश चौधरी तीसरे स्थान पर रहे। 

2014 में मतदान- 72.56 फीसदी

जातीय समीकरण और कुल मतदाता
यहां 91.67 प्रतिशत ग्रामीण और 8.33 प्रतिशत शहरी आबादी। कुल आबादी का 16.59 फीसदी अनुसूचित जाति और 6.77 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं। बाड़मेर लोकसभा सीट पर करीब 17 लाख मतदाताओं में से 3.5 लाख जाट, 2.5 लाख राजपूत, 4 लाख एससी-एसटी, 3 लाख अल्पसंख्यक और शेष अन्य जातियों के मतदाता हैं। वहीं 2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़ो के मुताबिक बाड़मेर में 8,95,593 पुरुष और 7,81,989 महिला मतदाता हैं। 

(इनपुट न्यूज एजेंसी वार्ता से भी)

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