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उत्तर प्रदेश में यहां भी हैं पैडमैन व बजरंगी भाईजान

बेपरवाह, मनमौला और अपनी प्रॉफिट-लॉस के गणित में मस्त रहने वाले..., कुछ ऐसी ही मॉडर्न आर्ट जैसी बन गई है युवाओं की तस्वीर। और अब इसी फ्रेम को तोड़ने की जिद ठाने बैठे हैं शहर के ये युवा। दूसरों के चेहरे...

उत्तर प्रदेश में यहां भी हैं पैडमैन व बजरंगी भाईजान
पीयूष उपाध्याय,बरेलीSun, 13 Oct 2019 11:53 AM
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बेपरवाह, मनमौला और अपनी प्रॉफिट-लॉस के गणित में मस्त रहने वाले..., कुछ ऐसी ही मॉडर्न आर्ट जैसी बन गई है युवाओं की तस्वीर। और अब इसी फ्रेम को तोड़ने की जिद ठाने बैठे हैं शहर के ये युवा। दूसरों के चेहरे पर पीड़ा की लकीरें मिटाकर मुस्कुराहट बिखेरने की कोशिश जारी है।

कोई जागरुकता अभियान में अपनी तूलिका से नए रंग भर रहा है तो कोई दिन-रात प्रयास कर बिछड़ों को अपनों से मिलाने की मुहिम पर है। माहवारी जैसे मसले पर जहां लोग अब भी बात करने से झिझकते हैं, युवाओं ने बाकायदा सेनेटरी पैड देने के लिए पैड बैंक बना लिया है तो कुछ बेहद खामोशी से अपनी कमाई के एक हिस्से से एड्स पीड़ितों की खातिर खुशियां खरीद रहे हैं।, सामाजिक सरोकारों की अलख जला रहे ये युवा अपने हमउम्र के लिए मिसाल हैं तो युवाओं की बदलती छवि के आइकॉन भी। 

बिछड़ों को आशियाने तक पहुंचा रहे शैलेश
फिल्म बजरंगी भाईजान में जैसा किरदार स्क्रीन पर सलमान खान ने निभाया, बरेली के शैलेश रीयल लाइफ में उसे मुहिम बनाकर चल रहे हैं। मानसिक मंदितों को इलाज के लिए अस्पताल तक लाना और फिर ठीक होने पर उनको घर तक पहुंचाना। काम इतना आसान नहीं, कई बार तो दो से तीन साल लग जाते हैं, मंदितों के घरवालों को खोजने में। पर हौंसला भी कम नहीं शैलेश का। अब तक शैलेश 400 से अधिक बिछड़े लोगों को उनके घरवालों से मिलवा चुके हैं।

दोस्तों को जोड़कर बनाया ‘पैड बैंक’
अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन तो याद होगी। बरेली के छात्र चित्रांश सक्सेना ने इस फिल्म से प्रेरित होकर पैड बैंक बना डाला। आईटी  के छात्र रहे चित्रांश ने शुरूआत में गांव-कस्बों में किशोरियों, महिलाओ को जागरूक किया। उनको सेनेटरी पैड के इस्तेमाल से होने वाले फायदे बताए। दोस्तों को अपने साथ जोड़ा और फिर अभियान का रूप दे दिया। आज उनके पैड बैंक की पूरे शहर में चर्चा है। 

सेहत के प्रति रोशनी बिखेर रही चित्रकार
चित्रकार आंचल रोशनी की पेंटिंग प्रदर्शनी कई बड़े शहरों के साथ ही दुनिया के कई देशों में भी लग चुकी है। धार्मिक, आध्यात्मिक के साथ ही नारी शक्ति उनकी पेंटिंग का विषय रहा है। अब अपने शौक को उन्होंने जागरुकता का भी जरिया बना लिया है। सरकार की तरफ से स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं की पेंटिंग वह नि:शुल्क बनाती हैं। इसमें आयुष्मान योजना, जननी सुरक्षा योजना की पेंटिंग शामिल हैं। 

एड्स पीड़ितों को देते हैं  वेतन का एक हिस्सा
बरेली के जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर के डेटा मैनेजर मनोज बिना किसी होहल्ला के कई सालों से एड्स पीड़ितो को खुशियों की सौगात दे रहे हैं। यहां अधिकांश एड्स पीड़ित आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं। उनको  दवा तो अस्पताल से मिल जाती है लेकिन पोषण आहार नहीं। मनोज को 4 साल पहले यह पता चला तो अपने वेतन का एक हिस्सा उन्होंने एड्स पीड़ितों को पोषक आहार देने में खर्च करना शुरू किया। 

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