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बांग्लादेश में उग्र हुए प्रदर्शनकारी, कर्फ्यू के बीच अब ढाका तक मार्च का ऐलान

बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन उग्र हो गए हैं। इस बीच प्रदर्शनकारियों ने ढाका तक मार्च निकालने का ऐलान किया है। हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

बांग्लादेश में उग्र हुए प्रदर्शनकारी, कर्फ्यू के बीच अब ढाका तक मार्च का ऐलान
Jagriti Kumari रॉयटर्स, ढाकाMon, 5 Aug 2024 09:44 AM
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बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन उग्र होते जा रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने अब देशभर में लागू कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए सोमवार को राजधानी ढाका तक मार्च निकालने का ऐलान किया है। इससे पहले सरकार ने कल शाम 6 बजे से अनिश्चित समय के लिए पूरे देश में कर्फ्यू की घोषणा की थी। देश में हिंसा और झड़पों में करीब 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। बांग्लादेश में पिछले महीने छात्र समूहों द्वारा सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री हसीना को हटाने के अभियान में बदल गया है। हसीना ने इस साल जनवरी में हुए चुनावों में जीत दर्ज कर चौथी बार सरकार बनाई है। 

विरोध प्रदर्शन कर रहे आसिफ महमूद ने कहा, "सरकार ने कई छात्रों को मार डाला है। अंतिम जवाब देने का समय आ गया है। हर कोई ढाका आएगा, खासकर आसपास के जिलों से। ढाका आएं और सड़कों को ठिकाना बनाएं।" वहीं एक अन्य छात्र नेता, एम. जुबैर ने कहा, "कोई भी हमें आज आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता। अगर हम एक बार उनका सामना करते हैं, तो हम बांग्लादेश को आज़ाद कर देंगे। और मैं सेना के भाइयों से कहना चाहता हूं कि वे तानाशाह के साथ गठबंधन न करें। या तो आप लोगों के साथ रहें या किसी का साथ ना दे।" वहीं बांग्लादेश की सेना ने सभी से कर्फ्यू नियमों का पालन करने का आग्रह किया।

पिछले महीने कोटा के खिलाफ प्रदर्शन में मारे गए थे 150 लोग
17 करोड़ की आबादी वाले देश में रविवार को हिंसा में कम से कम 91 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। मरने वालों में 13 पुलिसकर्मी भी शामिल थे। पुलिस ने हजारों प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं। रविवार शाम से पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं रेलवे सेवाएं निलंबित कर दी हैं और देश का कपड़ा उद्योग भी बंद हो गया है। इससे पहले 19 जुलाई को प्रदर्शनकारी और पुलिस की झड़प में 67 लोगों की मौत हो गई थी। पिछले महीने सरकारी नौकरियों के लिए कोटा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्र समूहों की हिंसा में कम से कम 150 लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए।

देश भर में कामकाज ठप्प
स्थानीय मीडिया ने बताया कि सप्ताह के अंत में सरकारी इमारतों, सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के कार्यालयों, पुलिस स्टेशनों और जनप्रतिनिधियों के घरों को निशाना बनाकर हमले, तोड़फोड़ और आगजनी की गई। देश के 64 जिलों में से 39 में हिंसा की खबरें हैं। बांग्लादेश रेलवे ने कहा कि बढ़ती हिंसा के कारण उसने सभी सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया है। देश में कपड़े के कारखाने जो दुनिया के कुछ शीर्ष ब्रांडों को परिधान की आपूर्ति करते हैं को भी अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है। वहीं सरकार ने हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। मानवाधिकार समूहों ने हसीना सरकार पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ अत्यधिक बल प्रयोग करने का आरोप लगाया है।

छात्र नहीं, आतंकवादी हैं प्रदर्शनकारी- शेख हसीना
बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित कोटा प्रणाली को खत्म करने का फैसला सुनाया था, जिसके बाद देश में विरोध प्रदर्शन रुक गए थे। लेकिन लोग एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं और हिंसा में मारे गए लोगों के लिए न्याय लिए और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे है। वहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि "जो लोग हिंसा कर रहे हैं, वे छात्र नहीं बल्कि आतंकवादी हैं जो देश को अस्थिर करना चाहते हैं।"

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