ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देश Ayodhya Verdict: 40 दिन की मैराथन बहस में जानें क्या रही हिंदू-मुस्लिम पक्षों की दलीलें

Ayodhya Verdict: 40 दिन की मैराथन बहस में जानें क्या रही हिंदू-मुस्लिम पक्षों की दलीलें

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने आज अपना फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला को तो...

 Ayodhya Verdict: 40 दिन की मैराथन बहस में जानें क्या रही हिंदू-मुस्लिम पक्षों की दलीलें
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 09 Nov 2019 03:43 PM
ऐप पर पढ़ें

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने आज अपना फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला को तो वहीं मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन मुस्लिमों को देने का फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में सौहार्द का माहौल दिखा। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में उच्चतम न्यायालय के फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की गयी।  सुप्रीम कोर्ट परिसर में सुरक्षा बंदोबस्त से जुड़े सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति गोगोई को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की गयी, जबकि संविधान पीठ के अन्य न्यायाधीशों के लिए भी पहले से मौजूद सुरक्षा बंदोबस्त कड़े किये गये।

पहला दिन :
6 अगस्त को शुरू हुई रोजाना सुनवाई के पहले दिन निर्मोही अखाड़ा ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अपना दावा किया था। उन्होंने कहा कि पूरी विवादित भूमि पर 1934 से ही मुसलमानों को प्रवेश की मनाही है।

दूसरा दिन :
सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से जानना चाहा कि विवादित स्थल पर अपना कब्जा साबित करने के लिए क्या उसके पास कोई राजस्व रिकॉर्ड और मौखिक साक्ष्य है। इस पर निर्मोही अखाड़े ने कहा कि साल 1982 में डकैती हुई थी, जिसमें हमने सारे रिकॉर्ड खो दिए।

तीसरा दिन :
संविधान पीठ ने पूछा कि एक देवता के जन्मस्थल को न्याय पाने का इच्छुक कैसे माना जाए, जो इस केस में पक्षकार भी हो। इस पर वकील ने कहा, हिंदू धर्म में किसी स्थान को पवित्र मानने और पूजा करने के लिए मूर्तियों की जरूरत नहीं है।

चौथे दिन :
जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा, इसमें कोई विवाद नहीं है कि जन्मस्थान पर विध्वंस और निर्माण हुआ। यहां पर मस्जिद बनी। पीठ ने यह टिप्पणी तब कि जब रामलला विराजमान के वकील ने बताया कि 1945 में शिया वक्फ बोर्ड ने सुन्नी बोर्ड के खिलाफ जिला अदालत में मुकदमा दर्ज किया था।


पांचवां दिन :
संविधान पीठ के समक्ष रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने मस्जिद के निर्माण होने से पहले इस विवादित स्थल पर कोई मंदिर होने संबंधी सवाल पर बहस शुरू की। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन न्यायाधीशों की पीठ अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था।

छठवां दिन :
राम लला विराजमान के वकील ने न्यायालय को बताया कि भगवान राम की जन्मस्थली अपने आप में देवता है और मुस्लिम 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अधिकार होने का दावा नहीं कर सकते क्योंकि संपत्ति को बांटना ईश्वर को नष्ट करने और उसका भंजन करने के समान होगा।

सातवां दिन:
राम लला विराजमान की ओर से दलील दी गई कि विवादित स्थल पर देवताओं की अनेक आकृतियां मिली हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने संविधान पीठ के समक्ष अपनी दलीलों के समर्थन में विवादित स्थल का निरीक्षण करने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट के अंश पढ़े।

आठवां दिन :
राम लला विराजमान के वकील ने एएसआई की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि अयोध्या में मस्जिद का निर्माण करने के लिए हिंदू मंदिर गिराया गया। उन्होंने कहा, एएसआई की रिपोर्ट में मगरमच्छ और कछुए की आकृतियों का जिक्र है, जिसका मुस्लिम संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है।

नौवां दिन :
रामजन्म पुनरोद्धार समिति के वकील ने कहा, अथर्ववेद के मुताबिक अयोध्या में एक मंदिर है, जिसमें पूजा करने से मुक्ति मिलती है। इस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि अयोध्या की पवित्रता पर कोई संदेह नहीं। आप विवादित स्थल के ही जन्मस्थान होने के साक्ष्य पेश करें।

दसवां दिन:
निर्मोही अखाड़े ने राम लला विराजमान का एकमात्र भक्त होने का दावा करते हुए कहा कि वह वहां पर पूजा के लिए पुरोहित नियुक्त करता रहा है। पीठ ने कहा, जिस क्षण आप कहते हैं कि आप राम लला के भक्त हैं, आपका संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं रह जाता है।

11वां दिन :
जस्टिस गोगोई ने निर्मोही अखाड़े की ओर से दलील रख रहे सुशील जैन को हिदायत दी कि वो केस की मेरिट पर बात करें। सुशील जैन ने कोर्ट से कहा था कि वो विवादित जमीन पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर रहे, सिर्फ पूजा प्रबंधन और कब्जे का अधिकार मांग रहे हैं।

12वां दिन :
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष निर्मोही अखाड़े ने अपना पक्ष रखा और वह इसी बात पर अड़ा रहा कि पूरा विवादित हिस्सा उनका है। रामलला और उनके मित्र का इसमें कोई भी हक नहीं बनता।

13वां दिन :
निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि विवादित ढांचे में मुस्लिम ने 1934 के बाद से कभी नमाज नहीं पढ़ी है। ये मंदिर ही था जिसकी देखरेख निर्मोही अखाड़ा करता था।

14वां दिन :
अयोध्या केस में 14वें दिन हुई सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में श्रीराम जन्मभूमि पुनरुत्थान समिति की ओर से वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा ने दलीलें देते हुए खंडन किया कि मस्जिद बाबर ने बनवाई।

15वां दिन :
अखिल भारतीय श्री राम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति के वकील ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह कहकर गलती की कि वह इस मामले में नहीं जाएगा कि क्या बाबर ने बिना ‘शरिया’ ‘हदीस’ और अन्य इस्लामिक परंपराओं का पालन किये बिना मस्जिद का निर्माण कराया।

16वां दिन :
अयोध्या मामले में हुई सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने शिया बोर्ड के वकील को भी सुना। इस दौरान शिया बोर्ड ने कहा कि हमने इमाम तो सुन्नी रखा लेकिन मुतवल्ली हम ही थे। पीठ ने वकील से सवाल किया कि जब 1946 में उनकी अपील खारिज हो गई थी तो उन्होंने अपील क्यों नहीं की। धींगरा ने कहा कि हम डरे हुए थे।

17वां दिन :
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलील कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति छल से स्थापित की गई थी। 1934 में निर्मोही अखाड़े ने अवैध कब्जा किया। हमें नमाज पढ़ने नहीं दी गई।

18वां दिन :
मुस्लिम पक्षकारों ने दावा किया कि 22-23 दिसंबर 1949 की रात बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रखने के लिए कुछ अधिकारियों की हिंदुओं के साथ मिलिभगत थी। यह साजिश थी।

19वां दिन :
मुस्लिम पक्षकारों ने दलील दी कि लगातार नमाज ना पढ़ने और मूर्तियां रख देने से मस्जिद के अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यह सही है कि विवादित ढांचे का बाहरी अहाता शुरू से निर्मोही अखाड़े के कब्जे में रहा है। झगड़ा आंतरिक हिस्से को लेकर है जिस पर कब्जा किया गया।

20वां दिन :
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा 1734 से अस्तित्व का दावा कर रहा है। लेकिन अखाड़ा 1885 में बाहरी आंगन में था और राम चबूतरा बाहरी आंगन में है जिसे राम जन्मस्थल के रूप में जाना जाता है और मस्जिद को विवादित स्थल माना जाता है। उन्होंने महंत भास्कर दास के बयान का हवाला दिया।

21वां दिन :
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इस मामले में दिसंबर 1950 का मजिस्ट्रेट का आदेश गलत था। इस आदेश के बाद ही से वह(हिन्दूपक्ष) अपना दावा जता रहे हैं। ये स्थल के मालिक नहीं है। इस पर हमारा संबंधित अधिकार है।

22वां दिन :
पीठ के समक्ष मुस्लिम पक्ष ने कहा, हिंदू पक्ष जबरन घुसकर कब्जा करने के बाद स्थल पर मालिकाना हक मांग रहा है। क्या गैरकानूनी कार्य करने के बाद प्रतिकूल कब्जे का फायदा लिया जा सकता है?

23वां दिन :
मुस्लिम पक्ष की तरफ से पीठ के सामने वरिष्ठ वकील जाफरयाब जिलानी ने कहा कि साल 1885 में निर्मोही अखाड़े ने जब अदालत में याचिका दाखिल की थी तब उन्होंने अपनी याचिका में विवादित जमीन के पश्चिमी सीमा पर मस्जिद होने की बात की थी।

24वां दिन :
अयोध्या मामले की सुनवाई के 24वें दिन मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने कहा है कि जन्मस्थान कानूनी व्यक्ति नहीं है। वहीं, हिंदू पक्षकार की ओर से आस्था व विश्वास के साथ-साथ जन्मस्थान और जन्मभूमि को लेकर दलील दी गई।

25वां दिन :
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने यह दलील दी कि किसी स्थान को न्यायिक व्यक्ति में बदलने के लिए पवित्रता ही पर्याप्त नहीं है। इसके लिए उसमें कैलाश पर्वत जैसी भौतिक अभिव्यक्ति और आस्था की निरंतरता के साथ यह भी दिखाया जाना चाहिए कि निश्चित रूप से वहीं प्रार्थना की जाती थी।

26वां दिन :
मामले से जुड़े पक्षकारों से 18 अक्तूबर तक अपनी जिरह पूरी करने को कहा है। जिसके बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बहस के लिए अगले हफ्ते तक का समय मांगा। रामलाल पक्ष ने कहा कि वह इस बारे में दो दिन में अपना जवाब कोर्ट को दे देंगे।

27वां दिन :
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों की पैरवी करने पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन को आपत्तिजनक पत्र लिखने वाले 88 वर्षीय सेवानिवृत्त लोकसेवक के खिलाफ अवमानना का मामला बंद कर दिया। पीठ ने धवन को आगाह किया कि भविष्य में इस तरह की हरकत की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।

28वां दिन :
सुनवाई के 28वें दिन कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने नरमी बरती। उन्होंने कहा कि कोई शक नहीं है कि भगवान राम का सम्मान होना चाहिए।

29वां दिन :
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने 29वें दिन की सुनवाई में कहा कि हिंदू पक्ष चाहता है कि राम जन्मभूमि पर मौजूद निर्माण को ध्वस्त कर दिया जाए। इसके बाद वहां पर मंदिर का निर्माण कर दिया जाए।

30वां दिन :
सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलीलें पेश कीं कि केवल विश्वास के आधार पर यह स्पष्ट नहीं होता कि अयोध्या में मंदिर था।

31वां दिन :
अयोध्या में खुदाई के बाद हिंदू मंदिरों के प्रमाण होने की संबंधी पुरातत्व विभाग (एएसआई) की रिपोर्ट पर सवाल उठाने पर उच्चतम न्यायालय ने सुन्नी बोर्ड को फटकारा और कहा वह इस रिपोर्ट पर सवाल नहीं उठा सकते।

32वां दिन :
मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसए बोब्डे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नजीर की पीठ के समक्ष दलील दी कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकता है।

33वां दिन :
मुस्लिम पक्ष के वकील ने एएसआई की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उसे महज एक विचार बताते हुए कहा कि इसके आधार पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता।

34वां दिन :
अयोध्या मामले में 34वें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में मुस्लिम पक्षकार के वकील ने दलील दी कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमे एक जैसे ही हैं।

36वां दिन:
मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने रामजन्मस्थान पुनरोद्धार समिति को नया तथ्य रखने से रोक दिया। पीठ ने कहा, भरोसा रखिए, हम ऐसा फैसला देंगे जिसे हमें देने की जरूरत है।


37वां दिन :
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि यदि मस्जिद के लिए बाबर द्वारा इमदाद देने के सबूत नहीं हैं, तो सबूत राम मंदिर के दावेदारों के पास भी नहीं है, सिवाय कहानियों के।

38वां दिन :
मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने आरोप लगाया कि इस मामले में हिन्दु पक्ष से नहीं बल्कि सिर्फ हमसे ही सवाल किए जा रहे है।

39वां दिन :
कोर्ट ने कहा कि हिन्दू और मुस्लिम के पास विवादित स्थल के टाइटल के ठोस और पर्याप्त सबूत नहीं हैं। ऐसे में क्या भूमि किसी तीसरे पक्ष यानी सरकार को जमीन दी जा सकती है।

40वां दिन :
 उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई पूरी कर ली और कहा, फैसला बाद में सुनाएगा।
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें